खराब सड़कें बिगाड़ न दें ‘माननीय’ की परफॉर्मेंस

खराब सड़कें

– 800 करोड़ की सड़कों के निर्माण पर आचार संहिता का लगा ग्रहण

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी /बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव 2023 से पहले माननीयों की लिए पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं। क्योंकि इन चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों की जीत-हार से माननीयों की परफॉर्मेंस तय होगी। ऐसे में विधायकों की चिंता इस समय सातवें आसमान पर है। इसकी वजह यह है की विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र में सड़कों के निर्माण और सुधार के लिए जो प्रस्ताव भेजा था उस पर आचार संहिता के कारण ब्रेक लग गया है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में विधायकों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र में करीब 800 करोड़ की सड़कों के विकास का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा था। लेकिन प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों की आचार संहिता के कारण विधायकों द्वारा की गई अनुशंसा पर ब्रेक लग गया है। इससे विधायकों को चिंता सताने लगी है कि वे निकाय और पंचायत चुनाव में कैसे वोट मांगेगे। वैसे वित्तीय समिति ने इन सड़कों के लिए मंजूरी दे दी है, लेकिन डिपाजिट वर्क सहित 350 से 400 प्रोजेक्ट के टेंडर नहीं हो सके हैं। इससे करीब 4 हजार करोड़ के काम अटकने की संभावना है। उधर, इन शामिल हैं। कामों के टेंडर 18 जुलाई के बाद होंगे, जिससे इन सड़कों पर काम बारिश के बाद ही शुरू हो सकेंगे।
600 सड़कों के डामरीकरण की अनुशंसा
गौरतलब है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री द्वारा विधायकों से  उनके क्षेत्र की सड़कों के विकास कार्य के प्रस्ताव मांगे थे। मांगे गए प्रस्ताव के आधार पर की गई अनुशंसा में बीना-आगासोद, उमरी से पांडरी मार्ग, लहरोली से ढोचरा मार्ग, निपानिया बैजनाथ से लसूडिय़ा मार्ग, हरनामपुर से भखुरी, रेही से नवाही मार्ग, पोड़ी से अजगुढ़, बिछुआ से मलारा मार्ग, भदभदा से बिलकिसगंज, डेली से मोहनगढ़, गिरवार से घोची मार्ग आदि शामिल है। विधायकों ने करीब 600 सड़कों व मुख्य मार्गों के डामरीकरण की अनुशंसा की थी, जिनके कारण संभागीय कार्यालय द्वारा निर्माण 800 करोड़ में कराए जाने हैं। उधर, भू- अर्जन के लिए राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पीडब्ल्यूडी को 7,580 वृहद पुलों का निर्माण करोड़ का बजट जारी किया है। ईएनसी पीडब्ल्यूडी नरेंद्र कुमार का कहना है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने  मेंटेनेंस और रेन्यूवल के कार्यों को अनुमति दे दी है। बड़ी सड़कों के प्रोजेक्ट के टेंडर एमपीआरडीसी करता है, इसलिए नए कामों के टेंडर अभी नहीं हो रहे हैं। आचार संहिता समाप्त होने के बाद इनके टेंडर होंगे।
ये कार्य भी अटके
बजट में मंजूर राशि करोड़ में
सड़क विकास, एडीबी 1250
ग्रामीण सड़कों का निर्माण 861
केंद्रीय सड़क निधि में काम 800
एन्यूटी पर सड़कों का निर्माण 730
एनडीबी से लोन में सहयोग 515
मुख्य मार्गों का डामरीकरण 300
संभागीय कार्यालय निर्माण 287
भू-अजन के लिए 247
वृहद पुलों का निर्माण 110
स्त्रोत: पीडब्ल्यूडी
भोपाल की 70 फीसदी सड़कें खराब
प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों की स्थिति क्या होगी इसका आंकलन राजधानी की सड़कों की स्थिति से लगाया जा सकता है। शहर में सड़कों का हाल-बेहाल बना हुआ है। सड़कें जगह-जगह से गड्ढों में तब्दील हो गई है। इसके कारण रहवासियों को मुसीबत झेलना पड़ रही है। मानसून आते ही परेशानी और भी बढ़ गई है। बारिश के कारण सड़कों पर बने गड्ढों में पानी जमा हो रहा है। जिससे चलना दूभर हो गया है। बारिश का मौसम एकबार फिर आने वाला है। एक  बार फिर राजधानी भोपाल के लोगों को सड़कों के उन्हीं गड्ढों का सामना करना पड़ेगा जैसा पिछले साल करना पड़ा था। भले ही सड़कों की वजह से सीपीए बंद कर दिया गया हो,अधिकारियों को फटकार लगाई गई हो लेकिन अधिकारी है कि सुधरते नहीं। हालात ये है कि राजधानी की जो प्रमुख सड़कें है वो एक्सीडेंट जोन में तब्दील हो चुकी है। राजधानी भोपाल की करीब 70 प्रतिशत खराब सड़कों से लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है। बारिश थमने पर जहां धूल के गुबार उड़ते हैं तो बारिश होने पर गड्ढे उभर आते हैं और कीचड़ फैल जाता है। गतदिनों हुई बारिश के कारण सड़कों ने मुसीबत बढ़ा दी है। कई इलाकों में सड़कें तालाब बन गई हैं। नगर निगम की करीब 288 सड़कें खराब हैं। इनमें से 24 सड़कें गारंटी पीरियड में बताई जा रही है, जिनकी मरम्मत ठेकेदार ही करेंगे। कोलार का करीब 10 किमी लंबी सड़क पूरी तरह से उखड़ चुकी है। कोलार रेस्ट हाउस, चूना भट्टी, नयापुरा, ललिता नगर, हनोती जोड़ और गेहूंखेड़ा में बुरे हाल है। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का कहना है कि नगर निगम द्वारा पानी और सीवेज लाइन की खुदाई करने के कारण सड़क की हालत बिगड़ी है। इधर, पुराने शहर की सड़कें भी खराब हो चुकी है। नए शहर के एमपी नगर क्षेत्र से लेकर पुराने शहर के भोपाल टॉकीज इलाके एक समान बने हुए हैं। बारिश थमने पर पूरे दिन धूल के गुबार उड़ते हैं। वहीं, बारिश होने पर कीचड़ फैल जाता है। इस कारण ट्रैफिक भी प्रभावित होता है।

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