प्रमुख सचिव और मंत्री के आदेश को सीसीएफ ने पलटा

 सीसीएफ
  • वन महकमे में  जारी है अफसरों की भर्राशाही

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। वन विभाग के एक सीसीएफ स्तर के अफसर न तो विभागीय मंत्री के आदेशों को मानते हैं और न ही प्रमुख सचिव के आदेशों को, शायद यही वजह है कि उनके द्वारा हाल ही में इन दोनों के ही आदेशों को पलट दिया गया है। इनमें से एक मामला विभाग के एसडीओ से जुड़ा हुआ है तो दूसरा मामला डीएफओ की रात्रि गश्त का है।
दरअसल विभाग के प्रमुख सचिव ने ब्यौहारी की एक रेत खदान के लिए एक एनओसी देने के मामले में वन विभाग के एसडीओ विद्या भूषण मिश्रा को दोषी मानते हुए उनकी दो वेतनवृद्धि रोकने के आदेश दिए थे, लेकिन इसी मामले में शहडोल के सीसीएफ लखनलाल उइके ने मिश्रा को क्लीनचिट दे डाली। दरअसल जिस खदान से जुड़ा यह मामला है वह सीधी जिले से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है। उस समय मिश्रा ब्यौहारी में बतौर प्रशिक्षु एसडीओ पदस्थ थे, तभी तत्कालीन पूर्णकालिक  एसडीओ जया पांडे अवकाश पर चली गई थीं, जिसकी वजह से मिश्रा को उस समय सीसीएफ शहडोल एके जोशी ने नियमों को दरकिनार करते हुए ब्यौहारी का प्रभार दे दिया था। एसडीओ का प्रभार मिलते ही उनके द्वारा रेंजर की रिपोर्ट को आधार मानकर बोड्डीहा की खसरा क्रमांक 233 / 01 में 4.50 हेक्टेयर की खदान की एनओसी जारी कर दी थी। इस मामले में खुलासा तब हुआ जब सीसीएफ एके जोशी के रिटायरमेंट के बाद पीके वर्मा को शहडोल सीसीएफ पदस्थ किया गया। वर्मा ने जब एनओसी की फाइल देखी तो मामले का खुलासा हुआ। इस मामले में संजय टाइगर रिजर्व में तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर अशोक कुमार ने लिखित आपत्ति दर्ज कराते हुए सीसीएफ शहडोल को पत्र लिखा था, जिसके बाद कराई गई जांच में स्पष्ट पाया गया कि खदान की एनओसी नियम विरुद्ध जारी की गई है।
इसके बाद सीसीएफ वर्मा द्वारा एसडीओ विद्या भूषण मिश्रा को आरोप पत्र जारी किया था। जांच प्रतिवेदन के आधार पर प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए मिश्रा को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए 2 वेतन वृद्धि रोकने के निर्देश दिए, जिसमें वर्णवाल ने लिखा कि आपके (एसडीओ मिश्रा) द्वारा ग्राम बोड्डीहा तहसील व्यौहारी के खसरा क्रमांक 233/01 खदान की एनओसी वन सीमा से ढाई सौ मीटर के अंदर दी गई। सिया प्रपत्र में 10 किलोमीटर की परिधि में अभयारण्य  दर्शाते  हुए जिसे निरस्त कर दिया गया था, जिसकी आपके द्वारा गलत व्याख्या दी गई है। मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 10 के अंतर्गत क्यों न दो वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकी जाए। इस बीच शहडोल सीसीएफ पीके वर्मा का तबादला होने  के बाद उनकी जगह लखन लाल उइके शहडोल में पदस्थ किए गए। इसके बाद इस मामले में सीसीएफ द्वारा उन्हें क्लीन चिट प्रदान कर दी गई। खास बात यह है कि इस मामले में उइके द्वारा डीएफओ गौरव चौधरी से भी मत नहीं लिया गया। उधर उइके का कहना है कि जब एनओसी दी गई थी तब मिश्रा प्रभार में नहीं थे।
रात्रि गश्त पर लगाई रोक
सीसीएफ शहडोल पदस्थ होने के बाद उईके द्वारा विभागीय मंत्री का वह पुराना आदेश भी बदल दिया गया, जो डीएफओ के रात्रिकालीन पेट्रोलिंग को लेकर था। वन मंत्री के निर्देश पर ही माह में दो बार रात्रिकालीन गश्त करने के लिए डीएफओ को निर्देशित किया गया था। उईके ने डीएफओ को रात्रिकालीन पेट्रोलिंग से मुक्त करते हुए एसडीओ की ड्यूटी लगा दी है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वन मंत्री विजय साहब बार-बार यह फरमान जारी करते आ रहे हैं कि डीएफओ को रात कालीन गश्त करना चाहिए और गांव वालों के बीच ही रुकना चाहिए। 

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