भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र वाला प्रदेश होने के बाद भी मप्र में आईएफएस अफसरों का टोटा है। इस कारण वनों की सुरक्षा की व्यवस्था इस कदर गड़बड़ाई है कि मैदानी अफसरों की कमी के कारण प्रदेश के वन क्षेत्रों में जंगलराज चल रहा है। यानी अवैध खनन, लकड़ी चोरी और अवैध शिकार की घटानाएं रूकने का नाम नहीं ले रही हैं।
गौरतलब है कि फील्ड में प्रशासनिक कसावट लाने, अवैध खनन, लकड़ी चोरी और अवैध शिकार की घटनाओं पर अंकुश लगाने का काम चीफ कंजरवेटर का होता है, लेकिन सीएफ के स्वीकृत 40 में से 30 पद खाली हैं। यानि सभी 16 सर्किलों में सीएफ नहीं हैं, जिसके चलते वन अपराध और अवैध कटाई की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस संदर्भ में एपीसीसीएफ प्रशासन आरके यादव का कहना है कि पूर्व के वर्षों में केंद्र सरकार से आईएफएस अधिकारी कम मिलने की वजह से आज आईएफएस संवर्ग के पदों में कमी आई है। हम केंद्र सरकार को ज्यादा अधिकारी भेजने के लिए हर साल डिमांड पत्र लिखते हैं। कम अधिकारियों के कारण फील्ड में भी काम प्रभावित हो रहा है।
आईएफएस के करीब 106 पद रिक्त
प्रदेश में वन विभाग के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसके पास पर्याप्त अधिकारी-कर्मचारी नहीं हैं। प्रदेश में आईएफएस संवर्ग में करीब 106 पद रिक्त होने से कॉडर गड़बड़ा गया है। मप्र आईएफएस संवर्ग में 296 पद स्वीकृत हैं और इनमें से 188 पर ही अधिकारी कार्यरत हैं और सबसे ज्यादा खराब स्थिति चीफ कंजरवेटर पदों की हैं। इनमें स्वीकृत 40 में से 30 पद खाली हैं, वहीं डीएफओ के 60 पद स्वीकृत हैं, लेकिन फील्ड में 45 ही अधिकारी कार्यरत हैं।
वन विभाग ने इस कमी को दूर करने एसीएफ को प्रभार सौंप रखा है। उधर, डीएफओ के लिए स्वीकृत पदों पर सीएफ और सीएफ के पदों पर सीसीएफ को पदस्थ कर विभाग ने स्वयं कॉडर मैनेजमेंट को बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई है। वर्तमान में 16 सर्किलों में सीएफ के लिए स्वीकृत पदों पर सीसीएफ पदस्थ हैं। वहीं क्षेत्रीय वनसंरक्षक के लिए भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सीहोर, छतरपुर, दमोह, देवास, गुना, खंडवा, नरसिंहपुर, सतना, शिवपुरी, विदिशा, होशंगाबाद, डिंडोरी, उमरिया तथा कटनी का पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश स्थानों पर सीएफ पदस्थ नहीं है।
08/06/2022
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