नयी दिल्ली/बिच्छू डॉट कॉम। एक जमाने के सुपर स्टार और उससे भी ज्यादा बेहतरीन इंसान सुनील दत्त आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी इंसानियत, फिल्मी किस्सागोई और संघर्ष की दास्तानें हमेशा हमारे जेहन में रहेंगी। बहुत कम लोगों को पता होगा कि सुनील दत्त अपने संघर्ष के दिनों में मुंबई में चलने वाली लोकल बसों में कंडक्टरी करके अपना जीवन यापन किया करते थे। सुनील दत्त के जीवन से जुड़ी ऐसी तमाम बातों को आज हम आपके सामने रख रहे हैं….. विभाजन से पहले पंजाब राज्य के झेलम जिले के खुरदी गांव के एक गरीब परिवार में जन्मे सुनील दत्त के संघर्ष की कहानी बचपन से ही शुरू हो गई थी। 5 साल की उम्र में सुनील दत्त के सिर से पिता का साया उठ गया था। ऐसे में सुनील दत्त ने आजाद भारत से पहले जीवन जीने के लिए काफी कष्ट देखे। बेटे सुनील दत्त का लालन-पालन किसी तरह मां कुलवंती देवी ने किया। इस दौरान सुनील ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए मुंबई आ गए। मुंबई आने के बाद सुनील दत्त ने जय हिंद कॉलेज से एडमिशन लिया। सुनील दत्त जब कॉलेज में पढ़ रहे थे। उस समय उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब थी। ऐसे में सुनील दत्त सितारों के शहर मुंबई में अपना पेट भरने के लिए नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगे। कड़ी मेहनत के बाद सुनील दत्त को मुंबई बेस्ट की बसों में कंडक्टर की नौकरी मिल गई। जिससे सुनील दत्त का दैनिक खर्चा चलने लगा। बस कंडक्टर के तौर पर काम करते हुए सुनील दत्त के मन में हमेशा एक सवाल रहता था कि मुझे कुछ बड़ा करना है। कॉलेज के बाद सुनील दत्त ने अपने करियर की शुरुआत बतौर अभिनेता नहीं बल्कि रेडियो जॉकी से की थी। सुनील दत्त उस समय रेडियो सेयलॉन में हिंदी के सबसे प्रसिद्ध उद्घोषक के रूप में तैनात थे। हालांकि अभिनेता बनने का सपना उनमें हमेशा फलता-फूलता रहा। सालों तक एक रेडियो जॉकी के रूप में काम करने के बाद, सुनील दत्त की किस्मत चमक गई जब उन्हें स्वतंत्र भारत के 8 साल बाद 1955 में पहली फिल्म मिली। उनकी पहली फिल्म का नाम था रेलवे प्लेटफॉर्म। हालांकि सुनील की ये फिल्म कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन इसके बाद सुनील दत्त को बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री नरगिस के साथ फिल्म मदर इंडिया में अहम रोल मिला। फिर क्या था, इसके बाद सुनील दत्त ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और मदर इंडिया सुपरहिट रही। इतना ही नहीं नरगिस और सुनील दत्त की मदर इंडिया ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होने वाली भारत की पहली फिल्म बनी। सुनील दत्त और नरगिस की प्रेम कहानी बॉलीवुड में सुनहरे पन्नों में लिखी गई है। सुनील दत्त ने फिल्म मदर इंडिया में नरगिस के बेटे की भूमिका निभाई थी। बता दें कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान एक बार सेट पर आग लग गई, जिसमें नरगिस फंस गई। ऐसे में सुनील दत्त ने अपनी जान की परवाह किए बगैर नरगितस को आग की लपटों से बचा लिया। इस दौरान सुनील को काफी चोटें भी आईं। यहीं से सुनील ने नरगिस के दिल में जगह बना ली और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया। 11 मार्च 1958 को नरगिस और सुनील एक दूसरे के हो गए। इसके बाद दोनों के तीन बच्चे भी हैं, जिनके नाम प्रिया दत्त, नम्रता दत्त और सुपरस्टार अभिनेता संजय दत्त हैं। अपने जीवन काल में सुनील दत्त ने राजनीति में अपना दमखम दिखाया। सुनील दत्त उस समय देश में मनमोहन सिंह सरकार के दौरान राज्यसभा सांसद भी थे। इसके अलावा उन्हें इस सरकार के तहत युवा और खेल विभाग के मंत्री का प्रभार दिया गया था। इस दौरान सुनील दत्त ने राजनीति में रहकर जरूरतमंदों की काफी मदद की थी। फिल्म संजू में हम सभी ने देखा है कि अभिनेता संजय दत्त के करियर को संभालने के लिए उनके पिता सुनील दत्त ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी। संजय दत्त के करियर की सबसे बड़ी सुपरहिट फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में मुरली प्रसाद के पिता के रोल में सुनील दत्त ने सबका दिल जीत लिया था। यह फिल्म साल 2003 में आई थी। इसके बाद 25 मई 2005 को सुनील दत्त का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया और एक बड़ा कलाकार और काबिल राजनेता ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
06/06/2022
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