भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा हिन्दी में उच्च शिक्षा पढ़ाई की सुविधा के लिए खोला गया देश का एक मात्र हिन्दी विश्व विद्यालय सरकार की मंशा पर खरा नहीं उतर पा रहा है। इसकी वजह है विश्व विद्यालय प्रबंधन द्वारा शिक्षा की जगह स्टडी सेंटर, खोलने में रुचि अधिक लेना। इसकी वजह से हालात यह हो गए हैं की विवि के 23 संकाय में सिर्फ 405 स्टूडेंट हैं और 183 स्टडी सेंटर खोल दिए गए हैं। यह बात अलग है की अलग शहरों में खाले गए इन स्टडी सेंटरों में छह हजार बच्चे हैं।
दरअसल इस विवि की स्थापना प्रदेश की शिवराज सरकार ने 11 साल पहले शुरू किया था, जिसका नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया था। इस विवि की खास बात यह है की इसमें अब तक कोई भी रेगुलर फैकल्टी नहीं है। जो एकमात्र रेगुलर फैकल्टी है, वह भी प्रतिनियुक्ति पर हैं और प्रशासकीय कामकाज देखती है। विवि में अभी 23 संकाय में महज 405 स्टूडेंट हैं। यानी हर साल महज 36 नए स्टूडेंट ही प्रवेश लेते हैं। 183 स्टडी सेंटर में जरुर रेगुलर कोर्स के मुकाबले लगभग 15 गुना अधिक बच्चे हैं। इन स्टडी सेंटर में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स संचालित किए जाते हैं। हद तो यह है की इनके वेरिफिकेशन और निरीक्षण का काम उसी गेस्ट फैकल्टी के पास है, जिसे विवि में मौजूद विद्यार्थियों को पढ़ाने का काम दिया गया है। इधर, विवि के हाल इससे ही समझे जा सकते हैं की 8 विषयों में तो महज 1-1 छात्र ही है। इसी तरह से 5 विषयों में सिर्फ 2-2 छात्र हैं। केवल बीएड के सेकंड और फोर्थ सेमेस्टर में ही 43-43 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।
छात्रों की जगह स्टडी सेंटर पर फोकस
विवि के नियमों में स्टडी सेंटर का कोई प्रावधान तक नही था, नियमों के तहत विवि को सिर्फ हिन्दी में रिसर्च करना और आंग्रेजी वाले कोर्सों को हिन्दी में शुरू करना था। हालांकि इसमें से इंजिननियरिंग और मेडीकल के कोर्स जरुर हिन्दी में केर्स शुरू तैयार किए गए , लेकिन अब तक इनकी पढ़ाई ही शुरू नहीं हो सकी है। विवि ने दो साल पहले स्टडी सेंटर खेलने का नियमों में संशोधन किया और उसके बाद 183 सेंटर खोल डाले। यानी कि हर माह करीब आठ सेंटर औसत रूप से खोल डाले।
30/05/2022
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