बिहाइंड द कर्टन/मंत्रियों से मुंहजोरी व बहिष्कार पड़ गया भारी

  • प्रणव बजाज
मुंहजोरी व बहिष्कार

मंत्रियों से मुंहजोरी व बहिष्कार पड़ गया भारी  
अनूपपुर जिला पंचायत के सीईओ हर्षल पंचोली को बैठक में मंत्रियों के साथ मुंहजोरी करने के बाद बहिष्कार करना भारी पड़ गया। उनका तबादला कर दिया गया है। यह बात अलग है की माना जा रहा था की इस मामले में कड़ी कार्रवाई होगी , लेकिन तबादला तक ही मामला सीमित रह गया है। दरअसल हाल ही में अनूपपुर की प्रभारी मंत्री मीना सिंह ने समीक्षा बैठक की थी, जिसमें मंत्री बिसाहूलाल सिंह भी मौजूद थे। बैठक के दौरान सीईओ जिला पंचायत हर्षल पंचोली पर आरोप लगाए गए कि वे जनप्रतिनिधियों के काम नहीं करते और अनावश्यक रुप से फाइलों में देरी करते हैं। इस पर पंचोली ने विरोध करते हुए यहां तक कह दिया था की जब तक कोई आधार न हो तब तक आरोप न लगाएं। इसके बाद वे बैठक छोड़कर चले गए थे। दोनों मंत्रियों की नाराजगी के चलते ही उन्हें हटाया गया है। उनकी जगह जिला पंचायत सीईओ की कमान अब राज्य प्रशासनिक सेवा के सोजान सिंह रावत को दी गई है। वे अभी तक सीईओ उज्जैन विकास प्राधिकरण थे।

डीजीपी के जाते ही रिश्वत लेते धराया थाना प्रभारी
जिस थाने का एक दिन पहले देर रात डीजीपी सुधीर सक्सेना ने निरीक्षण किया था, उस थाने का थाना प्रभारी दूसरे दिन रिश्वत लेते धर लिया गया है। यह थाना प्रभारी हैं सीहोर जिले के श्यामपुर थाने में पदस्थ अर्जुन जायसवाल। उसने यह रिश्वत थाने में पदस्थ होमगार्ड सैनिक अजय मेवाड़ा के माध्यम से ली थी। यह 25 हजार रुपए की रिश्वत सीहोर निवासी भागीरथ जाटव से उसकी बोलेरो जीप चोरी की रिपोर्ट लिखने के मामले में ली गई है। दरअसल वाहन चोरी की रिपोर्ट लिखाने गए जाटव की रिपोर्ट कई दिनों से पुलिस द्वारा नहीं लिखी जा रहा थी। यही नहीं थाना प्रभारी द्वारा उसे यह कहकर धमकाया भी जा रहा था की वह झूठ बोल रहा है। बाद में प्रकरण दर्ज करने के एवज में 25  हजार रुपए की मांग की गई थी। इसकी शिकायत जाटव ने लोकायुक्त संगठन पुलिस से की। बीते रोज जब जाटव रिश्वत की राशि देने गए तो जायसवाल थाने में बैठे थे। उन्होंने यह राशि थाने के पीछे होमगार्ड सैनिकों के बैरक में मौजूद मेवाड़ा को दिलवा दी। कुछ देर बाद जायसवाल ने यह रकम अपन ेपास बुलवा ली। इसी दौरान उन्हें रिश्वत की रकम के साथ पकड़ लिया गया।

कांग्रेस ने तन्खा के नाम पर लगाई मुहर
राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने प्रत्याशी के नाम की घोषणा के मामले में भी भाजपा को पीछे छोड़ दिया है। प्रदेश की तीन रिक्त हो रहीं सीटों में से कांग्रेस के खाते में एक सीट आना तय  है। यह सीट तन्खा का कार्यकाल समाप्त होने से ही रिक्त हो रही है। कांग्रेस ने इस सीट पर एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व मौजूदा राज्यसभा सांसद विवेक को तन्खा उम्मीदवार घोषित कर दिया है। राज्यसभा के नामांकन भरने की अंतिम तारीख 31 मई है। इससे एक बार फिर तन्खा का राज्यसभा में जाना तय हो गया है। उनके नाम की घोषणा करने से पहले कमलनाथ ने बीते रोज पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात की और इसके बाद उनके नाम की घोषणा कर दी। दिग्विजय सिंह पहले से ही उनके पक्ष में बने हुए थे। उधर भाजपा में अब भी दो सीटों के लिए नामों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।  

चुनावी चिंता में जातिगत हिंसा के प्रकरण वापस होंगे
जिस जातिगत हिंसा की वजह से भाजपा को बीते चुनाव में सरकार से बाहर होना पड़ा था, उन मामलों में दर्ज प्रकरण अब सरकार वापस लेने जा रही है। इसकी वजह है पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव । यह जातिगत हिंसा चार साल पहले ग्वालियर चंबल अंचल में वर्ष 2018 में हुई थी। इन दोनों संभागों में हुई हिंसा के मामलों में दर्जनों प्रकरण दर्ज किए गए थे। इनमें अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग के लोगों को भी आरोपी बनाया गया था। यह बात अलग है की कुछ मामले तों कमलनाथ सरकार के समय ही वापस ले लिए गए थे। इन प्रकरणों की वापसी की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते रोज भोपाल में की है। उनका कहना है की दोनों वर्ग के प्रतिनिधिमंडल ने समझौता कराने के लिए कहा है। दोनों समाज की पहल पर व्यापक विचार के बाद सामाजिक समरसता बढ़ाने के लिए मुकदमे वापस लेने का निर्णय लिया है। दरअसल एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद दो अप्रैल 2018 को अनुसूचित जाति समाज के भारत बंद के दौरान यह हिंसा हुई थी। इसके बाद हुए विस चुनाव में इस अंचल में भाजपा को 34 सीटों में से महज सात सीटें ही मिल सकी थीं।  

Related Articles