- मप्र से गिरफ्तार हो रहे आंतकियों व उनके जुड़ने वाले तारों की वजह से उठाया गया कदम
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही मप्र में कोई आंतकी घटना लंबे समय से नहीं हुई हो, लेकिन जिस तरह से बीते कुछ सालों में पकड़े गए आंतकियों का मप्र से कनेक् शन सामने आ रहा है उसे देखते हुए अब केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने मप्र की राज लिया है। दरअसल प्रदेश सिमी का गढ़ तो रह ही चुका है अब कई अन्य मुस्लिम आंतकी संगठन भी मप्र में गुपचुप रुप से अपना ठिकाना बना रहे हैं। इसका खुलासा हाल ही में पकड़े गए चार बंगलादेशी आंतकियों से हुआ है। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है जिसका मुख्यालय दिल्ली में है, जबकि उसकी अब तक 12 राज्यों में शाखाएं हैं। मध्यप्रदेश में उसकी नई शाखा खुलने से उसकी संख्या अब तेरह हो गई है। फिलहाल प्रदेश में इस शाखा का संचालन अभी दिल्ली से आयी टीम द्वारा किया जा रहा है। इस एजेंसी में जाने के लिए प्रदेश में पुलिस विभाग के करीब आधा सैकड़ा अधिकारियों व कर्मचारियों के एजेंसी में प्रतिनियुक्ति पर जाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। दरअसल भोपाल के ऐशबाग इलाके से 13 मार्च को पकड़े गए जमात-उल -मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के आतंकियों के बाद आई एजेंसी की टीम अब भी वापस नहीं गई है। इसके बाद रतलाम में भी सूफा के आतंकी भी विस्फोटकों के साथ पकड़े गए। यही वजह है की अब इस एजेंसी ने भोपाल में स्थायी ठिकाना बना लिया है। इससे न केवल आतंकी संगठनों व स्लीपर सेल पर नजर रखना आसान हो जाएगा, बल्कि आतंकियों के नेटवर्क की खोज और वर्तमान में चल रहे मामलों की जांच में भी तेजी आएगी। एक पूर्व आला सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि इस तरह की कोई भी राष्ट्रीय एजेंसी कहीं अपना कार्यालय तभी स्थाई रूप से खोलती है जब उसके पास पुख्ता इंटेलीजेंस इनपुट होता है। प्रदेश में आतंकियों के स्लीपर सेल बनने से लेकर भूमिगत संगठनों के विस्तार का इनपुट था, जो बीते दो माह में की गई कार्रवाईयों से सामने आ चुका है। प्रदेश में नई शाखा और कार्यालय बनने से आवागमन का समय, श्रम, संसाधन ही नहीं बचेंगे, बल्कि कई अन्य तरीकों से जांच में तेजी और चुस्ती आएगी। इसके साथ शाखा विहीन पड़ोसी राज्यों को भी लाभ मिलेगा। वहीं प्रदेश में नई शाखा खुलने से आवागमन का समय, श्रम और अतिरिक्त संसाधनों की भी बचत तो होगी ही साथ ही पड़ोसी राज्यों को भी लाभ मिलेगा। इसके पहले सीबीआई भी मप्र में अपनी शाखा खोल चुका है।
सिमी का गढ़ रह चुका है मध्यप्रदेश
दरअसल मप्र सिमी का मजबूत गढ़ रह चुका है। इसके कई आंतकी पुलिस द्वारा पकड़े गए हैं। देशभर में सिमी के सबसे ज्यादा कायकर्ताओं की गिरफ्तारी मप्र से ही हुई है। अप्रैल 2008 में इन्दौर की मुस्लिम बहुल गुलनार कालोनी में छापा मारकर सिमी के 13 कट्टरपंथियों को गिरफ्तार किया था। इनमें सिमी का राष्ट्रीय महासचिव सफदर नागौरी भी शामिल था।
प्रतिनियुक्ति से यह होता है फायदा
पुलिस से एनआईए में प्रतिनियुक्त पर जाने वाले अधिकारी कर्मचारियों को मूल वेतन का 20 फीसद विशेष भत्ता मिलता है। इसके अलावा दो बच्चों तक प्रत्येक की पढ़ाई के लिए 27000 प्रति वर्ष भत्ता अलग से देने का भी प्रावधान है। यही नहीं केन्द्रीय जांच एजेंसी में काम करने पर कर्मचारी को केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना के सदस्य बनने की पात्रता मिल जाती है , जिससे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं भी मिलती हैं।
डीआईजी के पास रहेगी कमान
बताया जा रहा है की भोपाल में शाखा की कमान पुलिस उप महानिरीक्षक यानि की डीआईजी स्तर के अफसर के हाथों में रहेगी, जबकि उनके अधीन एक पद पुलिस अधीक्षक स्तर को होगा। इस शाखा में चार उप पुलिस अधीक्षक के अलावा उनके अधनस्थ पांच-पांच निरीक्षक, उपनिरीक्षक एवं सहायक उपनिरीक्षक पदस्थ रहेगें।
11/05/2022
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