- हरीश फतेह चंदानी
कलेक्टर का अनूठा नवाचार
प्र देश की प्रशासनिक वीथिका में अपने नवाचारों के लिए ख्यात 2013 बैच के आईएएस अधिकारी संदीप जी आर ने अपने कलेक्टरी वाले जिले में एक ऐसा अनूठा एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसकी चर्चा इन दिनों खूब हो रही है। बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में कलेक्टर के पद पर आसीन साहब ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए 7वीं से 10वीं कक्षा में पढ़ रहे छात्रों को स्कूल में पढ़ाने की ट्रेनिंग देने का प्लान बनाया है। यही नहीं उन्होंने प्लान पर एक्शन लेने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को भी निर्देशित कर दिया है। अगर साहब का यह प्लान सफल होता है तो एक तीर से कई निशाने लगाए जा सकते हैं। यानी शिक्षकों की कमी तो दूर होगी ही छात्रों में स्किल डेवलप होगा। साथ ही इस प्लान से छात्रों के मन से गणित समेत फिजिक्स, साइंस सब्जेक्ट का डर निकालने की कोशिश की जाएगी। जिले के लोग भी साहब के इस कदम की सराहना कर रहे हैं।
मैडम की राह में कौन है रोड़ा?
संस्कारधानी को स्मार्ट बनाने के लिए करीब एक साल पहले 2008 बैच की आईएएस अधिकारी को कमान सौंपी गई थी। मैडम को बड़ी उम्मीद और दावों के साथ स्मार्ट सिटी के दफ्तर में पदस्थ किया गया था, लेकिन उनके एक वर्ष का कार्यकाल बीत जाने के बाद भी शहर की सूरत नहीं बदल पाई है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जितने भी कार्य कराए जा रहे सब के सब अधूरे हैं। पता चला है कि ठेकेदार उनकी सुन ही नहीं रहे है। मैडम भी उनके खिलाफ सख्ती नहीं बरत पा रही। आखिर इसकी वजह क्या है? क्या कोई और है जो मैडम की राह में रोड़ा अटका रहा है? इस तरह के सवाल संस्कारधानी से लेकर राजधानी तक उठ रहे हैं। आलम यह है कि स्मार्ट सिटी के कामों को गति देने के लिए लाल बिल्डिंग में बैठने वाले साहब अपना रंग दिखा रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी स्थिति जस की तस है। ऐसे में कहा जा रहा है कि काम कैसे हो, मैडम की तो बिलकुल ही नहीं चल रही है।
…बाबा ने बुलाया है
2014 बैच के एक आईपीएस अधिकारी इन दिनों अपने साथियों से कहते फिर रहे हैं कि मैं बाबा महाकाल की सेवा करना चाहता हूं। बाबा का बुलावा आया है। साहब वर्तमान में राजधानी के एक पड़ोसी जिले में पुलिस अधीक्षक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। साहब की जिले में पदस्थापना के 3 साल पूरे होने वाले हैं। ऐसे में साहब महाकाल की नगरी में अपनी सेवाएं देना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने अपने आकाओं के पास अर्जी लगा दी है। बताया जाता है कि साहब की अर्जी पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है और अगले माह तबादलों पर से प्रतिबंध हटने के साथ ही उनको बाबा नगरी की सेवा के लिए तैनात कर दिया जाएगा। यहां बता दें कि साहब की राजनीति में भी अच्छी पैठ है क्योंकि इनकी माताश्री सत्तारूढ़ पार्टी की सदस्य हैं और राजधानी के एक वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं।
एसपी साहब की बाबूगिरी
ग्वालियर-चंबल अंचल के एक जिले के एसपी साहब की बाबूगिरी इन दिनों चर्चा का विषय बनी है। बाबूगिरी का मतलब यह नहीं कि साहब लिखा-पढ़ी में व्यस्त हैं, बल्कि साहब का सारा काम इन दिनों एक बाबू ने संभाल रखा है। गौरतलब है कि साहब जिस जिले की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, वहां खनिज संपदा का अवैध खनन, चोरी-डकैती, अपहरण और अवैध कारोबार जोरों पर होता है। ऐसे में साहब ने जिले में कानून व्यवस्था के नाम पर अपने पूर्ववर्ती जिले से उक्त बाबू को बुलवा लिया है। सूत्र बताते हैं कि बाबू के आते ही साहब ने अपने कामकाज का सारा हिसाब-किताब उसे सौंप दिया है। साहब के इशारों को समझने वाले बाबू ने अपने कंधों को और मजबूत कर लिया है। वह साहब के साथ मिलकर पूरा जिला चला रहा है। साहब भी सुकून में हैं और केवल कानून व्यवस्था पर अपने आपको केंद्रित कर रखा है। यहां बता दें कि साहब ने जिस जिले से बाबू को बुलाया है, वह जिला इस समय दंगे के कारण चर्चा में है।
किसकी लगेगी लॉटरी?
विधानसभा चुनाव 2023 से पहले मप्र में मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद शुरू हो गई है। दिल्ली दरबार से इसके लिए सरकार के मुखिया को फ्रीहैंड दे दिया गया है। ऐसे में कयासों का दौर भी शुरू हो गया है। इसके साथ ही मंत्री बनने वाले विधायकों की सक्रियता बढ़ गई है। महीनों तक पार्टी कार्यालय न झांकने वाले विधायक दस्तक देने लगे हैं। कुछ तो समिधा के भी चक्कर लगा रहे हैं। शायद इन विधायकों को यह मालूम नहीं है कि उनके कामों और सक्रियता की सर्वे रिपोर्ट पहले से ही सत्ता, संगठन और संघ के पास है। चुनावी वर्ष होने के कारण सोशल इंजीनियरिंग के आधार पर ही मंत्री की कुर्सी मिलेगी। इसलिए जिन विधायकों ने अच्छे काम किए हैं, वे थोड़े सुकून में हैं। उधर, उन मंत्रियों की नींद उड़ी हुई है जो बार-बार की हिदायत के बाद भी अपनी परफॉर्मेंस सुधार नहीं पाए हैं। अब देखना यह है कि किसकी कुर्सी जाती है और किसकी लॉटरी लगती है।