- बड़े फैसलों में ली जाने लगी है राय
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। हाल ही में देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा के चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद अब कांग्रेस हाईकमान द्वारा बड़े फेरबदल की तैयारियां की जा रही हैं। इस बीच जिस तरह से पार्टी की महत्वपूर्ण निर्णयों में दिग्विजय सिंह की भागीदारी हो रही है उससे यह माना जाने लगा है कि एक बार फिर से उनका दिल्ली दरबार में रुतबा बढ़ गया है। हाल ही में वे उस बैठक में भी शामिल हुए जिसे पार्टी में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को प्रवेश देने को लेकर सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर बुलाई गई थी। प्रशांत किशोर को लेकर दिल्ली में बीते कई दिनों से बैठकें की जा रही हैं। इस मीटिंग में सोनिया और प्रियंका गांधी समेत कई नेताओं के अलावा दिग्विजय सिंह को भी सोनिया गांधी द्वारा बुलाया गया । यही वजह है कि उनकी दस जनपथ में वापसी को लेकर कई तरह की चर्चाएं होने लगी हैं। पांच साल बाद यह पहला मौका है, जब वे पार्टी के किसी बेहद महत्वपूर्ण फैसले में शामिल हो रहे हैं। इसके पहले वे पार्टी में बतौर महासचिव रहते 10 जनपथ में आते जाते रहे हैं, लेकिन उनके द्वारा 2017 में गोवा के प्रभारी रहते हुए कांग्रेस की सरकार न बना पाने के बाद महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया गया था। इसके बाद से ही वे मप्र में ही सक्रिय बने हुए थे। दरअसल इन कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। ऐसे में पार्टी को अपने पुराने व संगठन में पकड़ रखने वाले नेताओं की बेहद जरुरत महसूस हो रही है। दरअसल दिग्विजय 1993 से लेकर 2003 तक मध्य प्रदेश के उस समय मुख्यमंत्री रहे हैं, जब मप्र व छग एक ही राज्य हुआ करता था। 1999 में छग को मप्र से अलग कर नया राज्य बनाया गया था। इसकी वजह से उनके अच्छे खासे समर्थक इन दोनों ही राज्यों में आज भी हैं। यही नहीं वे ऐसे नेता हैं , जो बीते सालों में यूपी, बिहार, कर्नाटक, आंध्र, तेलंगाना और असम जैसे राज्यों में पार्टी के प्रभारी रह चुके हैं, जिसकी वजह से वे उन राज्यों का सियासी गणित भी अच्छी तरह से जानते हैं। यह वे राज्य हैं, जहां से लोकसभा की करीब 250 सीटें आती हैं। यही वजह है कि पार्टी हाईकमान मानकर चल रहा है कि जिस तरह से उनकी संगठन में पकड़ और राज्यों में प्रभाव है उसका फायदा कांग्रेस को आगामी चुनाव में मिल सकता है। यही नहीं वे पार्टी के ऐसे नेता भी हैं, जो लगातार विरोधी दल भाजपा पर सोशल मीडिया से लेकर तमाम तरह से लगातार आक्रमक बने रहते हैं। इसके अलावा उन्हें संगठन और सरकार दोनों में काम करने का अनुभव है।
पार्टी में है अनुभवी व भरोसे के नेताओं की कमी
दरअसल पार्टी में इन दिनों अहमद पटेल के निधन और जी-23 गुट बनने के बाद पुराने और भरोसेमंद नेताओं की बेहद कमी है। इसका फायदा भी दिग्विजय सिंह को मिला है। वे ऐसे नेता है जिनके पास संगठन और सरकार दोनों में काम करने का अनुभव है। वे मुख्यमंत्री के अलावा राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पूर्व में वे यूपीए-2 की सरकार के समय संकटमोचक की भूमिका निभा चुके हैं। इसके अलावा जब भी पार्टी संकट में फंसती थी, दिग्विजय सिंह विवादित बयान देकर मुद्दे को मोड़ देते थे। हालांकि विवादित बयानों की वजह से उनके बारे में पॉलिटिकल परसेप्शन खराब होने से हाईकमान उन्हें फ्रंटफुट पर नहीं ला रहा था। पिछले कुछ साल में उन्होंने धारणाओं को बदलने का काम किया है। उसका फायदा उन्हें मिला है। इसके अलावा कहा जा रहा है कि टीम राहुल की लगातार आलोचना के बाद फिर से टीम सोनिया सक्रिय हो गई है। ऐसे में उन्होंने अपने पुराने वफादार नेताओं से सलाह-मशविरा करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में दिग्विजय सिंह की कांग्रेस में वापसी हुई है।
विवादास्पद ट्वीट पर सोनिया ने दी दिग्विजय को नसीहत
जिस हिन्दुत्व के विरोध की वजह से कांग्रेस आज क्षेत्रीय दलों की बराबरी पर आकर खड़ी हो गई है, दिग्विजय सिंह उस रास्ते को छोड़ने के लिए तैयार नहीं दिखते हैं। इसकी वजह से मप्र में अगले विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने की तैयारी में लगे कमलनाथ की रणनीति पर पानी फिरता नजर आ रहा है। यही वजह है कि अब उनके एक विवादास्पद ट्वीट को लेकर कमलनाथ द्वारा पार्टी हाईकमान सोनिया गांधी से शिकायत की है। कहा जा रहा है कि इसके बाद दिग्विजय सिंह को इस तरह के बयानों से बचने की नसीहत दी गई है। दरअसल दिग्विजय सिंह साफ्ट हिन्दुत्व के मामलें में कमलनाथ से इत्तेफाक रखते नहीं दिखते हैं। इसकी वजह से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ द्वारा किए जाने वाले प्रयासों को न केवल झटका लगता है, बल्कि कई बार तो उनके बयानों की वजह से पार्टी की मुश्किलें तक बेहद बढ़ जाती हैं। इसी तरह का कुछ मामला है खरगोन में हुए दंगे के बाद उनके द्वारा किए गए विवादित ट्वीट का है, जिसे उन्होंने खुद ही बाद में डिलीट कर दिया। इसके बाद भी उनका यह ट्वीट कई दिनों तक बेहद चर्चा में बना रहा। भाजपा ने भी इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए इस मामले में दिग्विजय के खिलाफ थाने में एफआइआर तक दर्ज करा दी गई है। उन पर प्रदेश में दंगे भड़काने की साजिश और उकसावे का आरोप लगाया गया है। इसके बाद ही उनके मुस्लिम परस्त तौर-तरीकों, बयानों और विवादों में बने रहने की आदत की शिकायत अब हाईकमान से की गई है , जिसके बाद ही उन्हें सोनिया गांधी द्वारा तलब करते हुए मामले को संज्ञान में लेकर इस तरह के मामलों से बचने की नसीहत दी गई है। बताया जा रहा है कि उनके बयानों व विवादस्पद ट्वीट को लेकर कमल नाथ भी नाराज बताए जाते हैं। बताया जाता है कि दोनों नेताओं को प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक के साथ सोनिया गांधी ने बुलाकर दिग्विजय को समझाइश देते हुए कहा है कि वे ऐसा कोई बयान न दें, जिससे बहुसंख्यक वर्ग नाराज होकर कांग्रेस से दूरी बनाए। गौरतलब है कि कमल नाथ ने इस साल हनुमान जन्मोत्सव और रामनवमी को संगठन स्तर पर मनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन रामनवमी पर खरगोन में हुए दंगों के बाद दिग्विजय ने कई विवादास्पद बयान दिए और झूठे फोटो पोस्ट किए, उससे कमल नाथ द्वारा बहुसंख्यक समाज को जोड़ने की लिए की जा रही कवायद पर पूरी तरह से पानी फिर गया। दरअसल कमलनाथ जानते हैं कि पार्टी को अगर सत्ता में लाना है तो पार्टी के साथ बहुसंख्यक समाज को भी जोड़ना होगा, जिसकी वजह से ही वे मौका मिलते ही साफ्ट हिंदुत्व की ओर कदम बढ़ाने में पीछे नहीं रहते हैं। यह बात अलग है कि उनके इन प्रयासों को कई बार दिग्विजय के विवादित बयानों से पानी फिर जाता है। दरअसल बीते कई चुनावों को हिंदुत्व लगातार प्रभावित करता आ रहा है। इसका उदाहरण भाजपा बंगाल से लेकर उप्र तक के विधानसभा चुनाव है। बंगाल में भले ही भाजपा सरकार बनाने में सफल नही रही है , लेकिन अब तक की सबसे ज्यादा सीटें उसने हासिल कर स्वयं को दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रुप में स्थापित करने में सफलता तो पा ही ली है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा में सफलता के पीछे हिंदुत्व को भी बड़ा फैक्टर माना गया है। कांग्रेस भी अब इसे समझ चुकी है, जिसकी वजह से ही कमल नाथ लगातार साफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कमलनाथ को हनुमान जी का उपासक माना जाता है। उनके द्वारा कुछ सालों पहले ही निजी तौर पर करोड़ों रुपये खर्च कर 101 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा और भव्य मंदिर का निर्माण कराया जा चुका है और उसके बाद से ही हर साल हनुमान जयंती पर उनके द्वारा बड़ा धार्मिक कार्यक्रम कराया जाता है।