बा खबर असरदार/साहब की डॉक्टरी सबको भायी

  •  हरीश फतेह चंदानी
साहब की डॉक्टरी

साहब की डॉक्टरी सबको भायी
कभी-कभी कुछ अफसर ऐसा कर जाते हैं, जो लोगों के लिए मिसाल बन जाती है। विगत दिनों मालवा क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर ने ऐसा ही कारनामा कर दिखाया, जिससे लोग उन्हें डॉक्टर साहब कहने लगे हैं। दरअसल, 2012 बैच के आईएएस अधिकारी अपने कलेक्टरी वाले जिले में जब जनसुनवाई कर रहे थे, उसी दौरान एक बुजुर्ग अपनी बीमारी को लेकर आर्थिक सहायता मांगने पहुंचे। बुजुर्ग से बीमारी की बात सुनते ही कलेक्टर साहब ने बीमारी के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि हाथ में दिक्कत है।  कलेक्टर ने सुनवाई के बीच ही वृद्ध के हाथ को चेक किया। लोग आश्चर्य से यह दृश्य देख रहे थे। यही नहीं कलेक्टर ने तत्काल जिला अस्पताल के डॉक्टर को बुलाकर कहा कि इन्हें फिजियोथेरेपी की जरूरत है। उसके बाद बुजुर्ग को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनका इलाज चल रहा है। यहां बता दें कि साहब खुद न्यूरो सर्जन हैं।

साहब की खुल गई पोल
कई नगर निगमों में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे एक साहब इन दिनों महाकौशल क्षेत्र के खनिज संपदा वाले एक जिले की नगर निगम की कमान संभाले हुए हैं। यहां भी साहब की भर्राशाही  का दौर जारी है। आलम यह है कि साहब की भर्राशाही  के कारण युवाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसी ही एक शिकायत उक्त जिले के कलेक्टर के पास पहुंची। 2013 बैच के उक्त आईएएस अधिकारी पूर्व में सीएम की फटकार खा चुके हैं, इसलिए उन्होंने आव देखा न ताव और निगम मुख्यालय पर धावा बोल दिया। वहां स्व निधि योजना के लोग खड़े थे। यह देख  कलेक्टर साहब का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उन्होंने निगम कमिश्नर को फटकार लगाते हुए कहा कि तुम लोग बताते हो स्व निधि योजना का लाभ लेने के लिए कोई हितग्राही नहीं मिल रहा है। जबकि यहां लोगों की कतार लगी हुई है। दरअसल, बताया जाता है कि ननि में बिना लिए-दिए कोई काम नहीं होता है। गौरतलब है कि कमिश्नर साहब का पूर्ववर्ती कार्यकाल विवादों भरा रहा है।

विंध्य के शुभंकर
कुछ लोग, कुछ क्षेत्र के लिए इतने शुभ होते हैं कि उनके कारण क्षेत्र का भाग्य चमकने लगता है। प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों एक ऐसे ही प्रमोटी आईपीएस अफसर को विंध्य का शुभंकर माना जा रहा है। दरअसल, साहब विंध्य क्षेत्र के एक जिले में पुलिस अधीक्षक हैं। माना जा रहा है कि साहब ने जबसे उक्त जिले की कमान संभाली है, तबसे उस जिले का भाग्य तो चमक ही उठा है, साथ ही संभाग के अन्य जिलों की स्थिति में सुधार आया है। ये साहब 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। साहब ने जबसे जिले की कमान संभाली है, तबसे जिला कानून व्यवस्था के मामले में अपनी धमक जमाए हुए हैं। सीएम हेल्पलाइन में दर्ज होने वाली शिकायतों के निराकरण में साहब की  पुलिस ने एक बार फिर सबको पीछे  छोड़ते हुए प्रदेश में शीर्ष स्थान हासिल किया है। साथ ही संभाग के सभी जिले ग्रेडिंग में टॉप टेन में स्थान बनाने में कामयाब रहे हैं।

जैसा चल रहा है, चलने दो
पिछले कई वर्षों से प्रदेश के निगम, मंडल अफसरशाही के चंगुल में है। इस कारण उनमें क्या हो रहा है, यह किसी को नहीं पता। लेकिन अभी हाल ही में निर्माण कार्य करने वाले एक मंडल में अध्यक्ष की नियुक्ति की गई है। बताते हैं कि मंडल की अध्यक्षी संभालते ही साहब ने कुछ नया करने की प्लानिंग शुरू की है। साहब सबसे पहले मंडल की संपत्तियों को अवैध कब्जों से मुक्त कराना चाहते हैं। इसके लिए साहब ने अफसरों से उन संपत्तियों की जानकारी मांगी जिन पर अवैध कब्जे किए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि पहले तो कई दिनों तक अफसर माननीय को इधर-उधर घुमाते रहे। एक दिन साहब ने सख्त रुख अपनाया और अधिकारियों से कहा कि मंडल के हित में उन संपत्तियों के बारे में बताएं जिन पर अवैध कब्जे हो गए हैं। लेकिन अफसरों ने उन्हें जानकारी दी कि फिलहाल इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। लगता है मंडल के अधिकारी अवैध कब्जों की फाइल को दबा ही रहने देना चाहते हैं। सोच रहे होंगे कब्जे बताए तो फिर हटाने का तनाव कौन मोल ले। जैसा चल रहा है, चलने दो।

कुंडली में नाम जुड़वाने की होड़
संभवत: अगले महीने के पहले हफ्ते में तबादलों पर से रोक हटा दी जाएगी। इसकी संभावना इसलिए और अधिक है कि मैदानी जमावट के लिए अफसरों की कुंडली बननी शुरू हो गई है। उस कुंडली में उन अफसरों के नाम शामिल किए जा रहे हैं, जिन्हें विधानसभा चुनाव तक फील्ड में पदस्थ किया जाएगा।  इस खबर की भनक लगते ही प्रदेश के आईएएस और आईपीएस अफसरों में कुंडली में नाम जुड़वाने की होड़ लग गई है। आलम यह है कि जो अफसर वर्तमान समय में फील्ड में पदस्थ हैं और जिले में उनका 3 साल का कार्यकाल पूरा होने वाला है, वे सबसे अधिक उतावले हैं। सूत्रों का कहना है कि संघ, सत्ता और संगठन में बैठे अपने हितैषियों के माध्यम से अफसर कुंडली में अपना नाम जुड़वाने की कोशिश में लग गए हैं। बताया जाता है कि अफसर कुंडली में नाम जुड़वाने के साथ ही अपनी पसंद के जिले का भी उल्लेख कर रहे हैं। हालांकि सरकार का कर्मठ अफसरों पर फोकस है।

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