लापरवाही: खुद को अंधेरे में रखकर दूसरे प्रदेशों को कर दिया रोशन

सूबे के अफसर

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे के अफसर वाकई अजब गजब हैं। उनके द्वारा प्रदेश के कोटे की बिजली ऐसे समय सरेंडर कर दी गई , जब प्रदेश में ही बिजली की कमी की वजह से ग्रामीण इलाकों में कई-कई घंटो की कटौति करनी पड़ रही है। अगर 625.88 मेगावॉट बिजली को सरेंडर नहीं किया जाता तो प्रदेश के ग्रामीण इलाकों को पांच-पांच घंटे की अघोषित बिजली कटौति से भीषण गर्मी में राहत रहती।
प्रदेश के ऊर्जा विभाग ने बीते माह एनटीपीसी की 625 मेगावाट बिजली गुजरात और महाराष्ट्र को दे दी। इसकी वजह से अब यह मप्र के हिस्से की बिजली 30 जून तक दोनों प्रदेशों को मिलेगी।, जबकि इसी अवधि में सर्वाधिक मांग रहती है। प्रदेश में बिजली संकट के बाद भी दूसरे प्रदेशों को महंगी बिजली बेचने और रबी सीजन के लिए बैकिंग पर जोर दिया जा रहा है। उधर, प्रदेश में बिजली की मांग 12,200 मेगावाट के करीब पहुंच चुकी है। हद तो यह हो गई कि बिजली की मांग को लेकर भी विभाग सही आंकलन नहीं कर सका है। जानकारी के अनुसार बीते माह 13 मार्च से 30 जून तक के लिए 330 मेगावॉट बिजली एनटीपीसी खरगोन बिजली घर से गुजरात को दी गई। इसी प्रकार 27 मार्च से 15 जून  तक के लिए 295.88 मेगावॉट बिजली एनटीपीसी सोलापुर की महाराष्ट्र को दे दी गई है। इस तरह कुल 625.88 मेगावॉट बिजली सरेंडर की गई है। हालांकि सरकार का दावा है कि प्रदेश में 22 हजार मेगावाट बिजली की उपलब्धता है। जरूरत पड़ने पर इतनी बिजली मिल जाएगी, हालांकि अभी तक प्रदेश में 16 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली की मांग नहीं पहुंची है। गौरतलब है कि प्रदेश में हर साल अप्रैल में बिजली की मांग 10 हजार मेगावाट के आसपास ही रहती रही है, लेकिन इसमें इस साल अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। यह मांग भी ऐसी समय बढ़ी है जब प्रदेश के बिजली उत्पादन संयत्रों में कोयले की कमी बनी हुई है। इसकी वजह से पावर प्लांट भी र्प्याप्त बिजली की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश में अभी 12,200 मेगावाट बिजली की मांग पहुंच चुकी है। हालांकि विभाग का दावा है कि प्रदेश को अभी केंद्रीय उपक्रम से 3,450 मेगावाट, निजी क्षेत्र से 2,860 मेगावाट मप्र जेनको से 3,423 और विंड से 1,500 मेगावाट मिल रही है। इसकी वजह से बिजली की कोई कमी नही है।
यह हैं हालात
इन दोनों जगहों के अलावा ऊर्जा विभाग द्वारा मोहदा की 380 मेगावाट भी इसी तरह से छोड़ दी है। जो जानकारी सामने आयी है उसके मुताबिक मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी ने शोलापुर, मोहदा और खरगोन में एनटीपीसी के तीन प्लांट से 1,000 मेगावाट बिजली छोड़ी है। इसकी वजह से ही प्रदेश में बिजली संकट पैदा हो गया है। बिजली विभाग के अफसरों ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया कि मोहदा के एनटीपीसी प्लांट से गुजरात को 380 मेगावाट बिजली दी गई है। यहां से फिलहाल 47 मेगावाट बिजली ही प्रदेश के लिए ली जा रही है।
5.7 करोड़ यूनिट की बिजली बैंकिंग
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश ने  5.7 करोड़ यूनिट बिजली बैंकिंग के रूप में अन्य राज्यों को दी है।  इसके अलावा 31 मार्च तक 33 करोड़ यूनिट बिजली पावर एक्सचेंज के जरिये बेची गई। इसमें करीब 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बेंची गई है। इसकी वजह से अब प्रदेश में बिजली की कमी का मामला अब दिल्ली तक पहुंच  चुका है।  ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने पिछले हफ्ते रेल मंत्री से मिलकर कोयले की कमी के बारे में बात की थी।  
विभाग ने माना  625 मेगावाट बिजली को अनुपयोगी
एनटीपीसी के खरगोन और शोलापुर (महाराष्ट्र) के प्लांट से क्रमश: 330 मेगावाट और 295 मेगावाट बिजली मप्र को मिलती थी। मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी ने 13 मार्च से 30 जून तक के लिए 330 मेगावाट बिजली गुजरात को और शोलापुर की 295 मेगावाट बिजली को महाराष्ट्र के लिए छोड़ दी। बिजली कंपनी इसे प्रदेश के लिए अनुपयोगी मानकर चल रहा है। इसके अलावा 31 मार्च तक 33 करोड़ यूनिट बिजली पावर एक्सचेंज के जरिये बेची गई। इसमें करीब 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली विक्रय किया गया। वहीं 31 मार्च तक पांच करोड़ यूनिट बिजली की बैकिंग छत्तसीगढ़ समेत कई राज्यों के लिए की गई।

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