
- संस्था मातृ फाउंडेशन द्वारा इंदौर खंडपीठ में की गई है दायर
इंदौर/बिच्छू डॉट कॉम। संस्था मातृ फाउंडेशन द्वारा इंदौर हाईकोर्ट में भीख प्रथा पर दायर की गई एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। खास बात यह है कि इस मामले में पहली सुनवाई में ही कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। संस्था की ओर से यह याचिका एडवोकेट अमेय बजाज द्वारा दायर की गई है।
इस याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा मध्य प्रदेश भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम 1973 व रूल्स 1977 की संवैधानिक वैधता को भारत के संविधान के अनुच्छेद 14,19 व 21 के विरुद्ध होना बताया गया है। इस मामले में पैरवी कर रहे एडवोकेट बजाज के मुताबिक मध्य प्रदेश भिक्षा वृत्ति निवारण अधिनियम 1973 व रूल्स 1977 की विभिन्न धाराएं पुलिस को किसी भी भिक्षुक या भिखारी को बिना वारंट अरेस्ट करने का अधिकार देती है जिसके उपरांत उन पर पूरा क्रिमिनल ट्रायल चलाया जाता है। दूसरी ओर राज्य सरकार अलग अलग स्कीम और फण्ड के जरिये भिक्षुकों के रिहैबिलिटेशन व अन्य सुविधाओं की बात करती है। केंद्र सरकार के द्वारा भी 2021 में इंदौर को प्रोजेक्ट स्माइल के तहत उक्त विषय पर करोड़ों रुपये का फण्ड मिलना तय हुआ है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट व जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट द्वारा उनके राज्य में इसी तरह के कानून पहले ही रद्द किए जा चुके हैं। इसमें कहा गया है कि आरटीआई के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो, गृह मंत्रालय (म.प्र. शासन), ष्द्वश (म.प्र. शासन) व पुलिस मुख्यालय द्वारा उक्त विषय पर याचिकाकर्ता को कोई इनफार्मेशन नहीं दी गयी और न ही किसी भी विभाग के पास जिन गरीबों को अरेस्ट किया जाता है उनकी इनफार्मेशन है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में सिर्फ इंदौर जिले में भिक्षुकों के लिए सर्टिफाइड इंस्टिट्यूट है बाकी शहरों में ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
उनके द्वारा बातया गया कि याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि मध्य प्रदेश भिक्षा वृत्ति निवारण अधिनियम को असंवैधानिक घोषित किया जाए। राज्य सरकार को आदेश दिए जाएं कि भिक्षा व भिक्षुकों के संबंधित सभी अरेस्ट फण्ड व अन्य जानकारी पब्लिक डोमेन में दी जाए। ब3. उक्त कानून के तहत पेंडिंग सभी क्रिमिनल मामले रद्द किए जाएं। राज्य सरकार को सभी रैनबसेरों को सुद्रढ़ व सशक्त बनाया जाए और हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में एड एचओ सी समिति बनाई जाए जो रिपोर्ट पेश करे।