भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। जो होमगार्ड सैनिक बैंको से लेकर मंत्री बंगलों पर बतौर सुरक्षा 24 घंटे तैनात रहते हैं, अगर उन्हें ही सालभर बाद भी मिलने वाला भर्ती भत्ता न मिले तो समझा जा सकता है कि उनके साथ सरकार कैसा बर्ताव करती है। यह वो सैनिक होते हैं जो आपदा के समय में भी सहायता का मोर्चा सम्हालते हैं। हद तो यह है कि इनको भर्ती भत्ता देने के निर्देश होमगार्ड मुख्यालय से जिलों को जारी किए जा चुके हैं इसके बाद भी सैनिकों को इसका भुगतान नहीं किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस मामले में सबसे बुरे हाल भोपाल में बने हुए हैं। दरअसल पहले प्रदेश में होमगार्ड सैनिकों को वर्दी के लिए कपड़ा के अलावा सिलाई के लिए अलग से पैसा दिया जाता था।
करीब तीन साल पहले इन सैनिकों की टोपी को लेकर विवाद की स्थिति बन गई थी। अब टोपी का मामला लोकायुक्त की जांच में है। इसकी वजह से तय किया गया कि होमगार्ड सैनिकों को वर्दी के लिए राशि सीधे उनके खाते में जमा करा दी जाए। इसके तहत प्रत्येक सैनिक को 2424 रुपए की राशि साल में वर्दी के लिए प्रदान की जाती है। यह राशि दो किश्तों में सैनिकों को दी जाती है। इसमें पहली किश्त मार्च और दूसरी किश्त सितंबर में देने का तय किया गया। इस संबंध में आदेश 2020 से प्रभावी है। आदेश जारी होने के बाद 2020 में वर्दी भत्ते का भुगतान किया गया लेकिन उसके बाद से इस मद में भुगतान ही नहीं किया जा रहा है। इसके बाद करीब डेढ़ साल का समय हो गया है, लेकिन होमगार्ड सौनिकों को अब तक वर्दी भत्ता का भुगतान ही नहीं किया गया है। इसमें भी सबसे बुरे हाल भोपाल जिले के हैं। हद तो यह है कि अगर सैनिक अवकाश पर जाता है, तो उसके वर्दी भत्ते में से आठ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से काट लिया जाता है। इसकी वजह से सैनिकों को वर्दी भत्ता में भी फटका लगाने से अफसर नहीं चूकते हैं, जबकि उन्हें जो मानदेय दिया जाता है वह पहले से ही बहुत कम है। ऐसे में सैनिकों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
नहीं दिया जाता स्वास्थ्य भत्ता
उल्लेखनीय है कि पहले इन सैनिकों को पहले मेडिकल भत्ता भी दिया जाता था। यह भत्ता परिवार के प्रत्येक सदस्य के बीमार होने पर प्रदान किया जाता था। यह भत्ता भी बीते तीन सालों से नहीं दिया जा रहा है। खास बात यह है कि मैदानी स्तर पर अल्प वेतन में काम करने वाले इन सैनिकों की जगह अफसरों की सुविधाओं का पूरा ख्याल रख जा रहा है। अफसरों को अभी भी लगातार मेडिकल भत्ता का भुगतान किया जा रहा है।
उपचुनाव में तैनाती का भी नहीं मिला भुगतान
जब भी कोई कानून व्यवस्था का काम हो या फिर चुनाव का सभी में होमगार्ड सैनिकों को आगे कर दिया जाता है। उनसे काम तो पूरा लिया जाता है, लेकिन जब भुगतान की बात आती है तो उनकी घोर उपेक्षा की जाती है। वर्ष 2021 में जिन सैनिकों की तीन विधानसभा और एक लोकसभा उपचुनाव में ड्यूटी लगाई गई थी, उसका भुगतान उन्हें अभी तक नहीं किया गया है। यह स्थिति तब है, जब अधिकांश जगहों पर दीगर कर्मचारियों को इसका भुगतान किया जा चुका है।
21/02/2022
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