- प्रणव बजाज
वसूली से नाराज कांग्रेस विधायक ने की तोड़फोड़
मुरैना जिले के दिमनी विधानसभा के कांग्रेस विधायक रविंद्र सिंह भिडोसा टोल वसूली से इस कदर नाराज हुए की उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर नेशनल हाइवे के छौंदा टोल प्लाजा के पास शिकारपुर बायपास मोड़ पर जमकर हंगामा बरपा दिया। यही नहीं इस दौरान उनके समर्थकों ने शिकारपुर बायपास पर लगे फास्टैग स्कैनर, सीसीटीवी कैमरे के खंभों तक को तोड़ डाला। दरअसल उनका कहना है कि नेशनल हाइवे के बजाय नगर निगम के बाइपास पर टोल टैक्स की अवैध रुप से वसूली की जा रही है। उधर, टोल प्लाजा प्रबंधन ने बाइपास पर हो रही टोल वसूली को पूरी तरह वैध बताया और विधायक के खिलाफ एफआईआर के लिए सिविल लाइन थाने में आवेदन दे दिया है। हालांकि विधायक जी तोडफोड़ की घटना से इंकार कर रहे हैं, लेकिन पूरी घटना सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह से विधायक और उनके समर्थकों को शांत कराकर वहां से रवाना किया। इस मामले में एसपी आशुतोष बागरी का कहना है कि उनको बायपास रोड से गुजर रहे वाहनों से टोल टैक्स की वसूली पर आपत्ती है। तोडफोड़ की कोई शिकायत मेरे पास नहीं आई।
सहकारी संस्थाओं की जांच करेंगे लोकपाल
प्रदेश में अब करीब साढ़े चार हजार से ज्यादा प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों और 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई का जिम्मा स्वतंत्र निकाय के पास होगा। इसके लिए सरकार सहकारी लोकपाल की नियुक्ति करने जा रही है। यह लोकपाल भी अन्य बैंकों के लिए नियुक्त लोकपाल की तरह ही काम करेंगे। इसके लिए सहकारिता आयुक्त कार्यालय द्वारा शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। लोकपाल पद पर सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, सहकारिता विभाग के अपर या संयुक्त पंजीयक स्तर के अधिकारी को ही नियुक्त किया जा सकेगा। दरअसल प्रदेश की सहकरी समितियों व सहकारी बैकों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों की शिकायतें आती रहती हैं। इन संस्थाओं में किसानों के नाम पर अब तक हजारों धोखाधड़ी के मामले सामने आ चुके हैं। अभी समितियों के विरुद्ध शिकायतें सहायक पंजीयक, उप पंजीयक, संयुक्त पंजीयक, अपर पंजीयक के स्तर पर सुनी जाती हैं। इसमें अधिकारियों को बचाने और पक्षपात किए जाने की शिकायतें होती हैं।
ओबीसी वर्ग कभी नहीं करेगा कमलनाथ को माफ
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने एक बार फिर से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर ओबीसी आरक्षण के मामले में हमला बोला है। उनका कहना है कि इस मामले में जिस तरह से नाथ द्वारा खुद का सम्मान कराया गया है वह ओछा चुनावी हथकंडा है। उनका कहना है कि आरक्षण के मामले में कमलनाथ को ओबीसी वर्ग से क्षमा मांगना चाहिए, क्योंकि उन्होंने ओबीसी हितों को जानबूझकर चोट पहुंचाने का काम किया है। सिंह का कहना है कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक निर्णय लेने वाली शिवराज सिंह सरकार है, जिसने कांग्रेस और कमलनाथ के तमाम षड्यंत्रों के बाद भी 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लागू करके दिखाया। उनका आरोप है कि नाथ सरकार ने ओबीसी वर्ग को आरक्षण को न्यायालयीन प्रक्रिया में उलझाने की साजिश की थी। हाईकोर्ट में सरकारी वकील को पैरवी के लिए नहीं भेजा और आसानी से स्टे हो जाने दिया। कमलनाथ इतनी जल्दी भूल गए कि ओबीसी को 27 प्रतिशत और सामान्य वर्ग के निर्धनों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का आदेश केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पहले ही ले चुकी थी।
पीएस गृह, डीजी करेंगे अवमानना का सामना
सरकार द्वारा अभिवचन देने के बाद भी होमगार्ड के सैनिकों को पूर्ववत दो माह का कॉल आॅफ दिए जाने पर मप्र हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई। यही नहीं चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस एमएस भट्टी की डिवीजन बेंच ने इस मामले में अब गृह विभाग के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा, डीजी होमगार्ड पवन जैन एवं अन्य अफसरों के खिलाफ अवमानना के आरोप तय करने के निर्देश तक जारी कर दिए हैं। दरअसल योगेश बनवारी व अन्य होमगार्ड सैनिकों ने अवमानना याचिकाएं दायर की थीं। इस मामले में होमगार्ड कर्मचारियों द्वारा वर्ष 2010 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियमितीकरण, आरक्षकों के समान वेतन, पूरे वर्ष कार्य देने की प्रार्थना की गई थी। 2011 में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि होमगार्डस के सेवा नियम बनाएं एवं उन्हें पूरे वर्ष कार्य पर रखें। इसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई, लेकिन वहां पर भी हाईकोर्ट का आदेश यथावत रखा गया, इसके बाद भी सरकार ने 2 माह का कॉल ऑफ़ दे दिया।