संगठन हुआ योजनाओं की हकीकत से रुबरु

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  • जनाधार बढ़ाने के साथ ही मिलेगी कामकाज में कसावट में मदद

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में 10 फीसदी मतों में वृद्धि के लिए बूथ स्तर तक पहुंचे सत्ता व संगठन के लोगों को जहां पार्टी के अभियान की वजह से पार्टी का जनाधार बढ़ाने में मदद मिली है तो वहीं उन्हें सरकारी योजनाओं से रुबरु होने का भी मौका मिला है। जनता व बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से मिले सरकारी योजनाओं के फीडबैक से अब सरकार को उनमें कसावट लाने का मौका हाथ आया है। दरअसल इसके पहले तक अफसर जो जानकारी देते थे, सरकार उस पर ही विश्वास कर लेती थी, लेकिन इस फीडबैक के बाद ऐसा नहीं होगा।
माना जा रहा है कि जल्द ही योजनाओं की हकीकत और जनता की परेशानियों को लेकर भी संगठन एक रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंप सकती है। इसके आधार पर ही सरकार आगे जरुरी कदम उठाएगी। संगठन के इस अभियान के फीडबैक को भाजपा व उसकी सरकार को तिहरे फायदे के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल सरकारी योजनाओं को लेकर सर्वाधिक शिकायतें सत्ता व संगठन के बड़े नेताओं को बुंदेलखंड और ग्वालियर अंचल सहित कुछ अन्य जिलों में अपने मैदानी कार्यकर्ताओं से मिली हैं। इनमें सर्वाधिक मामले कोरोना काल की दूसरी लहर में स्थगित किए गए बिजली के बिलों से जुड़े हुए हैं।
अब बिजली कंपनियां पुराने बिलों की वसूली के लिए उपभोक्ताओं को पेनाल्टी के साथ बिजली बिल भेज रही हैं। इसी तरह से वृद्धावस्था पेंशन, पीएम आवास, पानी, सड़क के अलावा संबल योजना के रिन्युअल के मामलों में भी लेट लतीफी किए जाने की शिकायतें मिली हैं। खास बात यह है कि इसमें कई शिकायतें कमलनाथ सरकार के समय की भी है। दरअसल हाल ही में बीते माह भाजपा ने प्रदेश के सभी जिलों में हर बूथ पर 10 फीसदी वोट शेयर बढ़ाने की योजना के तहत 25 दिन घर-घर दस्तक देने का कार्यक्रम चलाया था। इसमें प्रदेश के 65 हजार बूथों तक सत्ता- संगठन के छोटे-बड़े 20 हजार कार्यकर्ताओं को लगाया गया था। इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश भाजपाध्यक्ष तक दूर दराज के इलाकों के बूथों पर गए थे और उनके द्वारा कार्यकर्ताओं के साथ ही आमजन से भी संवाद स्थापित किया गया था।
इस तरह की समस्याओं की मिली जानकारी
बुंदेलखंड के छतरपुर, सागर और टीकमगढ़ जिलों में संबल योजना के तहत रिन्युअल न होने और लाभ न मिलने की जानकारी सामने आयी है। इसके अलावा बदहाल सड़कें, पीएम आवास न मिलने, रोजगार-पलायन और जल संकट जैसी समस्याओं का भी पता चला है। इसी तरह की कुछ हद तक जानकारी ग्वालियर अंचल के ग्रामीण क्षेत्रों से भी मिली हैं।
अधिकारियों को किया निर्देशित
मंदसौर जिले में 80 घंटे तक बूथों पर घूमने के बाद विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया कहते हैं कि मेरे क्षेत्र में बड़ी समस्या कहीं नहीं दिखी। जहां सड़क और अन्य छिटपुट समस्याएं सामने आईं उन्हें ठीक करने के लिए तत्काल ही अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया। बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर के ग्रामीण अंचलों में पार्टी के जिलाध्यक्ष गौरव सिरोठिया भी कई दिन तक घूमते रहे। वह स्वीकारते हैं कि कुछ स्थानों पर वृद्धावस्था पेंशन, पानी और पीएम आवास को लेकर आ रही दिक्कतें लोगों से पता चली हैं।  
किसने क्या कहा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि भाजपा नेताओं को जनाधार बढ़ाने की मुहिम के दौरान कई स्थानों पर अपमान का भी सामना करना पड़ा। महंगाई, बेरोजगारी, बिजली के बिल, कोरोना से मौतें और सफाई को लेकर लोग नाराज हैं। मिश्रा ने आरोप लगाया कि बड़े नेता नागरिकों का सामना करने के बजाए पार्टी कार्यकर्ताओं के घरों पर जाकर रस्म अदायगी कर आए।
सभी दूर लोग खुशहाल दिखे
भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी का दावा है कि मैं इंदौर संभाग के सभी 9 जिलों और 33 विधानसभाओं में घूमता रहा, मुझे कहीं भी कोई समस्या अथवा नागरिकों की शिकायत नजर नहीं आई। सभी दूर लोग खुशहाल दिखे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव के साथ भी सबनानी इंदौर सहित कई जिलों में घूम चुके हैं।

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