बिहाइंड द कर्टन/राजपूत बने सबसे युवा गृह सचिव

  • प्रणव बजाज
 गौरव राजपूत
शिव प्रकाश

राजपूत बने सबसे युवा गृह सचिव  
आईपीएस अफसर गौरव राजपूत ऐसे अफसर हैं, जो अब तक के सबसे युवा गृह सचिव माने जा रहे हैं। उनकी उम्र अभी चालीस साल है। वे अभी तक सीआईडी में डीआईजी के पद पर पदस्थ थे, बाते रोज हुई डीपीसी में उन्हें आईजी के पद पर पदोन्नत कर गृह विभाग में बतौर सचिव पदस्थ किया गया है। इस बैठक में राजपूत के अलावा छह अन्य आईपीएस अफसरों को पदोन्नत देने के प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने के बाद उनके आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसमें भोपाल के पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर ,गृह सचिव डी. श्रीनिवास वर्मा और आईजी जबलपुर उमेश जोगा एडीजी रैंक में पदोन्नत हुए हैं। फिलहाल पदोन्नति के बाद वर्मा की पदस्थापना का मामला अटका हुआ है। माना जा रहा है कि उन्हें एडीजी ईओडब्ल्यू बनाया जा सकता है। मुख्यमंत्री के लौटने के बाद उनकी पदस्थापना का फैसला होगा। तब तक वे पुलिस मुख्यालय में पदस्थ रहेगें। इसी तरह से ग्वालियर के नए आईजी का भी फैसला सीएम के लौटने के बाद किया जाएगा।

असमंजस के बीच सेवानिवृत्त हुए प्रमुख अभियंता अग्रवाल
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता अखिलेश अग्रवाल आखिरकार असमंजस के बीच बीते रोज शुक्रवार को सेवानिवृत हो ही गए। उनकी जगह किसी को भी फिलहाल प्रमुख अभियंता के पद पर पदस्थ नहीं किया गया है। खास बात यह है कि प्रभार भी किसी अन्य को नहीं दिया गया है। उन्होंने सेवानिवृत्त होने के पहले अपना कामकाज का प्रभार कार्यालय प्रभारी को सौंपा है। विभाग के सूत्रों की मानें तो शासन स्तर पर अभी तक इस पद को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसकी वजह बताई जा रही है कि विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई का अवकाश पर होना। फिलहाल उनके अवकाश पर होने की वजह से विभाग का जिम्मा अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान के पास है। दरअसल अग्रवाल को संविदा नियुक्ति देने की तैयारी की जा रही थी, लेकिन इस बीच अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ (अजाक्स) इसके विरोध में खड़ा हो गया है।

आखिरकार फर्जी नियुक्ति पाने वाले 35 आरोपी बर्खास्त
देर से ही सही सरकार ने भ्रष्टाचार और फर्जी नियुक्ति के आरोपी 35 स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। इसके बाद भी अभी 84 कर्मचारी नौकरी में बने हुए हैं। इन पर कार्रवाई कब होगी इसका इंतजार बना हुआ है। खास बात यह है कि यह कार्रवाई भी विभाग द्वारा तब की गई है जब इस मामले में  लोकायुक्त संगठन द्वारा कार्रवाई की गई है। दरअसल इस मामले में स्वास्थ्य विभाग का रवैया शुरू से ही टालू रहा है। इसके बाद इस मामले की शिकायत सर्वदलीय संघर्ष समिति दतिया ने लोकायुक्त से की थी। जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और अन्य योजनाओं में भ्रष्टाचार, फर्जी नियुक्तियों के मामले शामिल थे। इसके बाद लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज कर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से पूरी जानकारी तलब कर जांच शुरू की तो पता चला कि आरोपियों ने फर्जी आदेश के माध्यम से अवैध नियुक्ति यां प्राप्त की हैं।

हारने के बाद भी भारी पड़ रहे नेता जी
अगर आप नेता है और आप सरकारी आवास के पात्र नही भी रहे हैं , तो भी सरकार व शासन की मजाल नहीं है कि वो आपसे शासकीय आवास खाली करा सकें। ऐसे कई नेता है जो भोपाल के पॉश इलाकों में पात्र नहीं होने के बाद भी सरकारी बंगलों पर कब्जा किए हुए हैं। इनमें एक कांग्रेस के नेता भी हैं , जो बीता विधानसभा चुनाव हार चुके हैं, लेकिन वे सरकारी बंगले का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। उनके बंगले पर उन्हें हराने वाले एक माननीय की नजर भी है। वे इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, फिर भी उन्हें उनका बंगला नहीं मिल पा रहा है। दरअसल नेता जी चाहते हैं कि अब वे इन नेता जी को भोपाल में भी सियासी पटकनी देकर पूरी तरह से अपना जलवा कायम कर लें। इसके लिए भाजपा विधायक बेहद परेशान हैं। यह माननीय संगठन में भी अहम पद पर हैं, फिर भी उनकी इस मामले में सुनवाई नहीं हो पा रही है। कांग्रेस नेता के पास यह बंगला उनके पास उनके पिताजी के समय आवंटित हुआ था। भाजपा विधायक जहां भी गुहार लगाते हैं , वहां -वहां उन पर हारे हुए विपक्षी दल के नेता के रसूख और संबंधों के कारण निराशा ही हाथ लगती है। 

Related Articles