बिहाइंड द कर्टन/वीडी को करनी पड़ी बंद कमरे में मुलाकात

  • प्रणव बजाज
 वीडी शर्मा

वीडी को करनी पड़ी बंद कमरे में मुलाकात
प्रदेश में भाजपा में कुछ नेताओं का दंभ और उनकी एकला चलो की कार्यशैली अब संगठन के लिए भारी पड़ रही है। यही वजह है कि अब संगठन के मुखिया वीडी शर्मा को नाराज विधायकों को समझाइश देनी पड़ रही है। इसका उदाहरण बीते दिन सतना प्रवास पर पहुंचे प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी के बीच बंद कमरे में हुई मुलाकात है। दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक यह मुलाकात चली। इसमें शर्मा द्वारा रैगांव सीट पर पार्टी की कमजोर स्थिति को देखते हुए उन्हें समझाइश देने की खबर है। दरअसल पृथक विंध्य प्रदेश की मांग के अगुआ नारायण त्रिपाठी के तेवर रैगांव उपचुनाव में भाजपा के लिए मुश्किल बन रहे हैं। दरअसल इन दिनों त्रिपाठी ने पृथक विंध्य का झंडा उठा रखा है। इसकी वजह से पूरे अंचल में उन्हें जबरदस्त समर्थन भी मिल रहा है। भाजपा को पता है कि अगर एन वक्त पर भी त्रिपाठी ने यह मुद्दा रैगांव में उठा दिया तो पार्टी के लिए मुश्किल हो जाएगा।

कांग्रेस चाहती जल्द समाप्त हो सचिन बिडला की विधायकी
दो दिन पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपाई बने कांग्रेस विधायक सचिन बिडला अब कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं। दलबदल करने के बाद अब तक सचिन ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है। वे अब भाजपा के पक्ष में प्रचार करने में व्यस्त हैं। माना जा रहा है कि मतदान के बाद वे विधायक पद से इस्तीफा दे सकते हैं। उधर इस मामले में अब कांग्रेस भी सक्रिय हो गई है। कांग्रेस चाहती है कि जल्द ही सचिन की विधायकी चली जाए। यही वजह है कि कांग्रेस ने अपने स्तर पर तैयारी करनी शुरू कर दी है कि अगर वे इस्तीफा नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की जाए जिससे उन्हें विधायकी गंवानी पड़ जाए। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में भी ऐसा प्रकरण सामने आ चुका है। तब कांग्रेस विधायक नारायण त्रिपाठी भाजपा में शामिल हो गए थे, पर उन्होंने विस की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया था।

शिकायतों के संकेत
अगर सत्तारुढ़ दल को ही सरकारी कर्मचारियों व अफसरों व कर्मचरियों की उपचुनाव में चुनाव आयोग से शिकायत करनी पड़े तो इससे उसके दल व सरकार की वास्तविकता का पता चल जाता है कि किस सीट पर क्या स्थिति है। प्रदेश की दो उपचुनावी विस सीटों में शामिल जोबट और पृथ्वीपुर को लेकर भाजपा को चुनाव आयोग के दरवाजे पर दस्तक देनी पड़ रही है। शिकायत में भाजपा ने जोबट में एडीशनल एसपी सुंदर सिंह कनेश पर खुलेआम कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में चुनाव प्रचार करने का आरोप लगाया है। इसी तरह की शिकायत धार के एसडीओ कृषि दिलीप मौर्य को लेकर भी की गई है। यह दोनों ही अफसर पदस्थापना के समय भाजपा की शिव सरकार में आंखों के तारे रह चुके हैं, जिसके चलते ही उनकी मनचाही जगह पदस्थापना की गई थी। इसी तरह से भाजपा ने पृथ्वीपुर में कांग्रेस उम्मीदवार नितेन्द्र सिंह के चाचा यशपाल सिंह को लेकर भी मतदाताओं को धमकाने पर भी पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने की शिकायत की गई है।

श्रीमंत से नाराज हैं बुआ
भले ही कांग्रेस छोड़कर श्रीमंत पूरी तरह से भाजपाई बन चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी उनकी अपनी बुआ यशोधरा राजे से पटरी पूरी तरह से नहीं बैठ पा रही है। यही वजह है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती दो-दो बार मनाई गई है। पहली बार 12 अक्टूबर को श्रीमंत की अगुवाई में और फिर उसके बाद 24 अक्टूबर को उनकी बुआ खेलमंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की अगुवाई में। बात यहीं समाप्त नहीं हुई, बल्कि उनके बीच चल रही खटास उस समय सामने आ गई जब पत्रकारों के सवाल पर उनके द्वारा यहां तक कह दिया गया कि यदि श्रीमंत उन्हें बुलाते तो वे 12 अक्टूबर को आयोजित कार्यक्रम में जरूर शामिल होती। इससे यह तो साफ है कि सिंधिया परिवार में अब भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल ऐसा पहली बार ही हुआ है कि जब राजमाता की जयंती दो बार मनाई गई है। 12 अक्टूबर को उनकी जयंती थी, तब श्रीमंत ने मनाई थी। 24 अक्टूबर को जयंती मनाने पर यशोधरा राजे का कहना है कि उनका जन्म तिथि के मुताबिक करवा चौथ को हुआ था, इसलिए उन्होंने रविवार को उनकी जयंती मनाई ।

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