बिहाइंड द कर्टन/मुलाकाती दिग्गज कांग्रेस नेताओं को नरोत्तम ने बताया बड़ा भाई

  • प्रणव बजाज
 नरोत्तम मिश्रा

मुलाकाती दिग्गज कांग्रेस नेताओं को नरोत्तम ने बताया बड़ा भाई
प्र देश के गृहमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा से बीते कुछ समय में जिस तरह से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का मेल मुलाकात का दौर जारी है उससे लगातार प्रदेश में सियासी तापमान बढ़ता रहता है। इसकी वजह है मिश्रा ने ही आपरेशन कमल चलाकर डेढ़ दशक बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस को महज 15 माह में ही बाहर का रास्ता दिखवा कर पार्टी की सत्ता में वापसी कराई थी। इस ऑपरेशन में मिश्रा द्वारा दो दर्जन कांग्रेस विधायकों का दलबदल कराया गया था। इस मामले में हालांकि मिश्रा का कहना है कि पहले राजनीतिक दलों के नेताओं से पहले अच्छे रिश्ते होते थे। हम भी उसी का अनुसरण करते हैं। अब हम लोग अच्छे रिश्ते बनाएं, तो उसे राजनैतिक बना दिया जाता है। उनका कहना है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह, डा. गोविंद सिंह, सज्जन सिंह वर्मा और कांतिलाल भूरिया हमारे बड़े भाई हैं, इसलिए उनसे मुलाकात करते हैं। उन्होंने कहा कि साथ बैठते हैं, तो चाय पी लेते हैं, कोई विशेष राजनैतिक बातचीत नहीं होती है। खास बात यह है कि मुलाकाती कांगे्रस नेताओं में से अधिकांश उपेक्षित माने जाते हैं।  

कांग्रेस एमएलए सिकरवार ने पढ़े श्रीमंत की शान में कसीदे
अपने ही दल के एक विधायक द्वारा सार्वजनिक सरकारी कार्यक्रम में पार्टी के अलावा कांगे्रस के मप्र में सबसे बड़े विरोधी माने जाने वाले श्रीमंत की शान में जब कसीदे पढ़े तो सभी अवाक रह गए। इसकी खबर जैसे ही पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में पहुंची तो कई तरह के कयास भी लगाए जाने लगे। अपन भाषण के दौरान श्रीमंत के साथ मंच साझा कर रहे कांग्रेसी विधायक सतीश सिंह सिकरवार ने न केवल सिंधिया को बार-बार श्रीमंत महराज कहा बल्कि उन्हें ग्वालियर का लाड़ला के साथ ही चहेता भी बता दिया। वे यहीं नही रुके बल्कि श्रीमंत के पिता स्व माधव राव सिंधिया द्वारा ग्वालियर जिले में किए गए विकास को भी बताना नहीं भूले। गौरतलब है कि सिकरवार बीते आम विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे और कांग्रेस के ही टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे। उनके इस भाषण को सुनने के बाद तो यहां तक कहा जाने लगा है कि वे कहीं जल्द घर वापसी करने की तैयारी तो नही कर रहे हैं।

नाथ के बाद अब वासनिक भी उतरेंगे चुनावी मोर्चा पर
मप्र में हो रहे चारों विधानसभा सीटों के उपचुनाव के प्रचार का काम अब पूरी तरह से जोर पकड़ चुका है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी अपनी सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। वे अब सभाएं लेने से लेकर बैठकें तक लेते दिखने लगे हैं। कांग्रेस के मुकाबले भाजपा के नेताओं की सभाएं पूरे शबाब पर बनी हुई है। इसकी वजह है भाजपा के पास नेताओं का अधिक होना। ऐसे में अब कांग्रेस भी अपने प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक को भी चुनावी मैदान में उतारने जा रही है। यह बात अलग है कि उनके सामने मतदाताओं में पहचान का संकट है। अब वासनिक भी चुनावी सभाएं करने जा रहे हैं। उनकी सभाओं की शुरुआत प्रतिष्ठापूर्ण खंडवा लोकसभा सीट से होने जा रही है। यही वजह है कि कमलनाथ ने भी अपनी सभाओं की शुरुआत यहीं से की है। इसके बाद पार्टी प्रचार के अंतिम दिनों में यहां पर अपने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी उतारने की योजना बना चुकी है।

प्रचार के बीच भाजपा को याद आए विधायक देवेंद्र
कांग्रेस के अपेक्षा भाजपा के लिए बेहद प्रतिष्ठा से जुड़ी लोकसभा सीट इस बार उपचुनाव में मानी जा रही है। इसकी वजह है भाजपा की यह परंपरागत सीट रही है। इस सीट पर भाजपा ने अपने नए चेहरे को उतारा है। अब सीट पर उपचुनाव का प्रचार पूरे जोर पर है और मतदान में महज दस दिन का ही समय रह गया है। ऐसे में अब जाकर भाजपा को इस सीट के लिए चुनाव संचालन समिति की याद आयी है। बीते रोज घोषित की गई समिति की कमान खंडवा के विधायक देवेन्द्र पटेल को सौंपी गई है। इसकी वजह है पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस और नंदकुमार सिंह के पुत्र हर्षवर्धन की खींचतान। इसके बाद भी प्रदेश मुख्यालय द्वारा हर सीट और हर बूथ की मॉनीटरिंग अपने हाथ में ही रखी गई है, ताकि दमोह जैसे परिणाम का दोबारा सामना न करना पड़े। इस समिति में चिटनीस, हर्षवर्धन को सह-संयोजक बनाया गया है।

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