ग्वालियर-चंबल में वर्ग संघर्ष के आसार!

ग्वालियर-चंबल
  • सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर दो तबको में तकरार…

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
    सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर ग्वालियर और मुरैना में दो वर्गों के बीच संघर्ष बढ़ने लगा है। सम्राट को अपना वंशज बताकर गुर्जर और क्षत्रिय आमने-सामने आ गए हैं। गुर्जर व क्षत्रिय राजपूत समाज के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा ने समूचे ग्वालियर-चंबल अंचल के सियासी व समाजी माहौल में तनाव के हालात बना दिए हैं।  इस मुद्दे को लेकर भिण्ड, मुरैना और ग्वालियर तीनों ही शहरों में बसों में तोडफोड़, धरना-प्रदर्शन हो चुके हैं। प्रशासन हाईअलर्ट मोड पर है। ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए न्यायालय जो भी फैसला करेगा उसे लागू किया जाएगा। न्यायालय ने जो निर्देश दिए हैं, उनका पालन कराया जा रहा है। कोर्ट के निर्णय का इंतजार करें। इसके बाद भी किसी ने माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया तो उसके खिलाफ एनएसए, जिला बदर की कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि सामाजिक सदभाव को प्रभावित करने वाले इस मामले में हाईकोर्ट ने दखल देते हुए प्रशासन से कमेटी बनाने और इस कमेटी की रिपोर्ट आने तक प्रतिमा के शिलापट्ट को ढकने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को है और इस बीच प्रशासन ने दोनों समुदायों के बीच सुलह सफाई और उन्हें मिहिर भोज की जाति पर एकराय करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।
    सात माह से पनप रहा विवाद
    दरअसल, शिवपुरी लिंक रोड स्थित चिरवाई नाके पर करीब 7 माह पहले सांसद विवेक शेजवलकर ने सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का वर्चुअल अनावरण किया था, बस तभी से विवाद शुरू हो गया। अगले ही दिन क्षत्रिय समाज ने प्रतिमा के पेडस्टल पर लगी पट्टिका पर उन्हें गुर्जर सम्राट लिखे जाने को लेकर आपत्ति दर्ज करा दी। आठ सितंबर को इसके विरोध में क्षत्रियों ने गोला का मंदिर चौराहा पर धरना प्रदर्शन किया तो इसी रात गुर्जर समाज ने चिरवाई नाके पर जाम लगाकर उग्र प्रदर्शन किया। मुरैना में इस विवाद को लेकर दोनों समाज के युवा प्रदर्शन कर रहे हैं तो विवाद की आग भिंड भी पहुंच चुकी है। हाईकोर्ट के प्रतिमा ढंकने के आदेश के बाद मिहिर प्रतिमा पर गुर्जर समाज के एक तबके ने रात भर फिर हंगामा किया। पथराव में ग्वालियर के एएसपी भी घायल हुए तो यहां से चंद किमी दूर सिकरौदा पर जाम लगा रहे एक वर्ग के बीच आपस में ही गोलियां चल गई। कांग्रेस नेता साहब सिंह गुर्जर सहित तमाम लोगों को पुलिस हिरासत में लेना पड़ा।
    विवाद सुलझाले में जुटा प्रशासन
    गौरतलब है कि ग्वालियर में कुछ दिन पहले सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति लगाई गई। मूर्ति के नीचे लगे शिलालेख में उन्हें गुर्जर बताया गया। इसी बात को लेकर दोनों वर्गों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है। यह विवाद अब धीरे-धीरे वर्ग संघर्ष का रूप लेता जा रहा है। लेकिन प्रशासन ने विवाद सुलझाने के लिए मोर्चा संभाल लिया है। जिला प्रशासन के अफसरों का कहना है कि सामाजिक सौहार्द के मामले में ग्वालियर की उज्ज्वल परंपरा रही है। यह अंचल मजहबी या जातीय फसादों से दूर ही रहा है। कतिपय विघ्नसंतोषी लोग भले ही सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा विवाद का इस्तेमाल अपने सियासी मंसूबों या स्वार्थों की पूर्ति के लिए करें लेकिन ओवरआॅल इस अंचल का बड़ा वर्ग कुछ समाजों की भावनाओं व ऐतिहासिक विरासत से जुड़े इस मसले को निरर्थक या खतरनाक तूल देने के बजाए सर्वसम्मत हल तलाश करने के हक में है।
    सम्राट मिहिर भोज का इतिहास
    गुर्जर-प्रतिहार वंश के संस्थापक नागभट्ट प्रथम थे। इसके बाद नागभट्ट द्वितीय और रामभद्र ने गद्दी संभाली। रामभद्र के बेटे मिहिर भोज थे। मिहिर भोज इस वंश के सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक थे। भोज ने उत्तर भारत में एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया था। ग्वालियर अभिलेख में जिक्र है कि अगस्त ऋषि ने तो केवल विंध्य पर्वत का विस्तार रोका था लेकिन सम्राट मिहिर भोज ने कई राजाओं पर आक्रमण कर उनका विस्तार रोक दिया था। ग्वालियर नगर निगम की कार्य परिषद में 14 दिसंबर 2015 को एक ठहराव प्रस्ताव लाया गया था। इसमें सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को स्थापित करने का उल्लेख है, लेकिन कहीं भी गुर्जर सम्राट शब्द का जिक्र नहीं है। ग्वालियर के एमएलबी कॉलेज के हिस्ट्री के प्रोफेसर डॉ. सुशील कुमार की मानें तो इतिहास में सम्राट मिहिर भोज का उल्लेख राजपूत सम्राट के रूप में किया जाता है जो गुर्जर-प्रतिहार वंश के शासक थे। राजपूत कौन हैं इसकी परिभाषा क्या है, इस सवाल पर कुछ इतिहासकार कहते हैं कि दूसरों की रक्षा करने वाला भी राजपूत है।

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