14 कलेक्टर और 11 पुलिस अधीक्षकों की दक्षता की अग्निपरीक्षा

 शिवराज सिंह चौहान
  • 13 सितंबर को कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस से पहले मनवाना होगा अपने मैनेजमेंट का लोहा

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। करीब 5 माह बाद 13 सितंबर को कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस आयोजित होनी है। इस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कमिश्नर, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट का आकलन करेंगे। मुख्यऔर एसपी को है जो हाल ही में जिलों में पदस्थ किए गए हैं। ऐसे 14 कलेक्टर और 11 पुलिस अधीक्षकों की अपनी दक्षता का लोहा मनवाने के लिए अधिक मेहनत करनी होगी। क्योंकि इनके पास सात-आठ दिन का ही समय बचा है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में मैदानी अफसरों की परफॉर्मेंस का आकलन करते हैं। इस बार 13 सितंबर को होने वाली कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस के पहले 14 जिलों के कलेक्टर और 11 पुलिस अधीक्षक बदल दिए हैं। पांच माह के अंतराल में होने वाली इस कॉन्फ्रेंस में नए कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को अपनी दक्षता साबित करना चुनौती भरा होगा। इन अफसरों के समक्ष मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाले एजेंडे पर अगले कुछ दिनों में तेजी से क्रियान्वयन कराना और समन्वय स्थापित करना प्राथमिकता होगी।
    नवनियुक्त अफसरों के
    सामने चुनौती

    कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस से पहले अपनी नवनियुक्त अफसरों के सामने चुनौती है कि वे अपने जिले में अपनी दक्षता और मैनेजमेंट का ऐसा प्रदर्शन करें, जिससे सरकार के पास अच्छा संदेश पहुंचे। गौरतलब है कि सरकार ने उपचुनाव वाले दो जिलों अलीराजपुर और निवाड़ी के कलेक्टर भी बदले हैं। 2006 से 2008 बैच के जो अधिकारी कलेक्टर के रूप में पदस्थ रहे हैं, उन्हें कलेक्टर पद के बजाय दूसरी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें 2006 बैच के धनंजय सिंह भदौरिया, 2007 बैच के अभय कुमार वर्मा, दीपक सिंह, 2008 बैच के सुरभि गुप्ता, आलोक कुमार सिंह शामिल हैं। 2009 बैच के अधिकारी सतेंद्र सिंह की भी अब मंत्रालय वापसी हुई है। इसी तरह 2011 बैच अधिकारी व कमलनाथ सरकार के समय से सीधी की कलेक्टरी कर रहे रवीन्द्र कुमार चौधरी को स्वास्थ्य संचालक बनाया गया है। वहीं इसी बैच के अफसर व मंदसौर कलेक्टर मनोज पुष्प, उमाशंकर भार्गव को मंदसौर और रायसेन से हटाकर अलीराजपुर और विदिशा की कलेक्टरी सौंपी गई है। अलीराजपुर जिले में जोबट विधानसभा है, इसलिए यहां चुनाव के मद्देनजर पुष्प की पदस्थापना मानी जा रही है। इसी बैच के गौतम सिंह और मुजीबुर्रहमान खान को पहली कलेक्टरी मिली है।  
    किसी को पहली तो किसी को दूसरी कलेक्टरी
    राज्य सरकार ने फेरबदल में सबसे अधिक तबादले 2012 बैच के अफसरों के किए हैं। इसमें दीपक आर्य को बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए उन्हें बालाघाट से हटाकर संभागीय मुख्यालय सागर कलेक्टर का दायित्व सौंपा गया है। आशीष भार्गव को उपचुनाव के पहले कलेक्टरी से हटाया गया है और उन्हें अपर आयुक्त ग्वालियर बनाया गया है। इसी बैच के पंकज जैन को विदिशा से हटाकर धार कलेक्टर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। नीरज कुमार सिंह को और बड़ा दायित्व सौंपते हुए राजगढ़ में एक साल के बाद होशंगाबाद कलेक्टर बनाया गया है। रोहित सिंह को दूसरी कलेक्टरी मिली है और झाबुआ में पदस्थापना के दौरान कोरोना संक्रमित होने के बाद हटाए गए रोहित को नरसिंहपुर कलेक्टर बनाया गया है। नरसिंहपुर में कलेक्टर रहे वेदप्रकाश को रिटायरमेंट के पहले बदला गया है। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव कार्यालय में पदस्थ रहे इसी बैच के आईएएस अरविन्द दुबे को पहली कलेक्टरी रायसेन जिले की सौंपी गई है और उज्जैन में महाकाल मंदिर के प्रशासक नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी निवाड़ी कलेक्टर होंगे। 2013 बैच के अधिकारी व जबलपुर के अपर कलेक्टर हर्ष दीक्षित को राजगढ़ कलेक्टर बनाया गया है जबकि इसी बैच के अपर आयुक्त आबकारी ग्वालियर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा बालाघाट कलेक्टर बनाए गए हैं। इसी बैच की उमा माहेश्वरी आर को अशोकनगर कलेक्टर बनाया गया है। अब इन अफसरों को 13 सितंबर से पहले अपनी दक्षता का लोहा मनवाना होगा, ताकि मुख्यमंत्री कॉन्फ्रेंस में उन्हें उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर सकें।
    कुछ एसपी ने दिखाया दम, कुछ फेल
    जिन 11 आईपीएस अफसरों को नए जिले में एसपी के तौर पर पदस्थ किया गया है उनके सामने अपने आप को बेहतर साबित करने की चैनौती है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार की नजर में पांच पुलिस अधीक्षक खरे नहीं उतरे इसलिए उनसे जल्द ही जिलों की कमान वापस ले ली। 11 जिलों के पुलिस अधीक्षक बदले गए, इनमें से आधा दर्जन पुलिस अधीक्षक ऐसे थे.जो 6 महीने से डेढ़ साल के बीच ही जिले में काम कर सके। इनके काम-काज से सरकार खुश नहीं थी। नतीजे में कम समय में ही उन्हें बदल दिया गया। वहीं दो रेंज के आईजी इसी महीने के अंत में रिटायर होने वाले हैं, इसलिए उन्हें भी पुलिस मुख्यालय बुला लिया गया। सबसे कम समय निवाड़ी और अलीराजपुर एसपी का रहा। निवाड़ी एसपी आलोक कुमार सिंह और अलीराजपुर एसपी विजय भगवानी को इसी साल फरवरी में जिले की कमान दी थी। ये दोनों अफसर महज 6 महीने ही इन जिलों में रहे। दोनों ही अफसरों को फिलहाल जिले में नहीं भेजा गया है। आलोक कुमार सिंह को 14वीं वाहिनी ग्वालियर भेजा गया है। जबकि पुलिस मुख्यालय में एआईजी बनाया गया है। इन दोनों जिलों में उपचुनाव भी होना है। इसी तरह रीवा एसपी राकेश कुमार सिंह पिछले साल जून में पुलिस अधीक्षक बनाए गए थे। इसी तरह जून में निमिष अग्रवाल को बड़वानी का पुलिस अधीक्षक बनाया गया था। राकेश कुमार सिंह को 13वीं वाहिनी और निमिष अग्रवाल को पीटीएस इंदौर भेजा गया है। वहीं मंदसौर एसपी सिद्धार्थ चौधरी पिछले साल मई में एसपी बनाए गए थे। हालांकि इन पांच अफसरों के अलावा इसी साल जनवरी में कटनी एसपी बनाकर भेजे गए मयंक अवस्थी को सीहोर जिले की कमान दी गई है, वहीं पिछले साल जुलाई में उमरिया एसपी बनाए गए विकास कुमार सहवाल को रायसेन जिले की कमान दी गई है। दो रेंज के आईजी को रिटायरमेंट के कुछ दिनों पहले पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किया गया है। जबलपुर आईजी बीएस चौहान और होशंगाबाद आईजी जितेन सिंह कुशवाह तीस सितम्बर को रिटायर हो रहे हैं। इन दोनों अफसरों को इसलिए रेंज से हटाकर पुलिस मुख्यालय बुलाया गया है। वहीं एडीजी उज्जैन योगेश देशमुख रेंज की जगह पर भोपाल में पदस्थापना चाहते थे।मंत्री की कसौटी पर खरा उतरने वाले अफसरों का जहां मान बढ़ेगा वही खराब प्रदर्शन वालों पर गाज गिर सकती है। इसको देखते हुए कलेक्टर, कमिश्नर और पुलिस अधीक्षकों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती उन कलेक्टर 

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