कोरोना ने तोड़ी व्यापारियों की कमर, अरबों रु. फंसने से गड़बड़ाई चैन

कारोबार
  • सरकार ने अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए कारोबार शुरू कराया तो कारोबारियों की परेशानी का पिटारा खुलने लगा…

    भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के दौरान रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने कारोबारियों की कमर तोड़ कर रख दी है। कई जगह पैसे देने के बाद भी माल नहीं पहुंचा तो कई जगह सीजन होने के बावजूद व्यापारी अपना माल ही नहीं बेंच पाए। ऐसे में उनके व्यापार की चैन गड़बड़ा गई है।
    सरकार ने जैसे ही अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए कारोबार शुरू कराया तो कारोबारियों की परेशानी का पिटारा खुलने लगा। दरअसल व्यापारियों का लाखों-करोड़ों रुपए का माल फंस गया है। जिसमें से काफी जगह तो माल खराब भी हो गया और कुछ माल का सीजन ही खत्म हो गया। ऐसे में व्यापारियों के बीच विवाद पैदा हो गए है, जिनको निपटाने के प्रयासों में कारोबारी संस्थाएं जुटी है। यही नहीं कारोबारियों के बीच विवाद की सबसे बड़ी वजह यह भी है कि जहां कारोबारियों ने माल तो भेज दिया लेकिन लॉकडाउन होने के कारण व्यापारियों को माल नहीं मिला। जो माल पहुंचा वह भी बाजार और दुकानें बंद होने के कारण जहां-तहां पड़ा रहा। माल भेजने वाले कारोबारियों का कहना है कि माल हमने भेजा था इसलिए हमें माल का भुगतान मिलना चाहिए। वहीं माल बुलाने वाले कारोबारियों का कहना है कि माल समय पर नहीं पहुंचा और सीजन खत्म हो गया। ऐसे में हम भुगतान किस बात का करें। उल्लेखनीय है कि शहर के व्यापारी पिछले चार साल से मंदी की मार झेल रहे हैं। इसमें कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने आग में घी का काम किया है। शहर के व्यापारी उधारी और वसूली नहीं होने की वजह से काफी परेशान है।
    उधारी और वसूली बने विवाद की वजह
    दरअसल व्यापारियों के बीच माल भेजने के बाद पैसे की वसूली और उधारी में फंसे पैसे की वजह से विवाद के मामले बढ़ गए हैं। कोरोना के बाद अब परिस्थितियां बदली है। उधार देने वालों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। बता दें कि अकेले भोपाल शहर में ही तकरीबन पांच अरब रुपए से अधिक की उधारी फंसी हुई है। ऐसे में व्यापारियों को आने वाले छह महीने से लेकर एक साल तक का समय इससे निपटने में लग सकता है।
    व्यापारियों ने बदल दिया तरीका
    अरबों रुपए की उधारी में उलझे हुए शहर के कारोबारियों ने अब अपने व्यापार का तरीका बदल दिया है। पूर्व में जहां थोक व्यापार में अस्सी प्रतिशत कारोबार उधारी पर आधारित होता था और रिटेल में लगभग आधे  से भी अधिक कारोबार उधारी पर आधारित होता था। वहीं अब दोनों ही सेक्टर में उधारी का प्रतिशत नए व्यापार में काफी कम हो गया है। व्यापारियों ने उधार में सामान नहीं देने का एक अभियान भी सोशल मीडिया पर चला दिया है। व्यापारियों ने अपनी दुकानों पर अब उधार मांग कर शर्मिंदा न करें और उधार देना बंद है जैसे पोस्टर भी चिपका दिए हैं।
    व्यापारी संघों ने माना चैन बिगड़ी
    व्यापारियों के विभिन्न संघों के अनुसार कोरोना की वजह से व्यापार की चैन बिगड़ गई है। वस्त्र व्यवसायी संघ के मुताबिक लॉकडाउन के पहले ही व्यापारियों के आर्डर का माल भेज दिया गया था लेकिन लॉकडाउन लागू होने के कारण व्यापारी कपड़े नहीं बेच पाए। अब पिछला पैसा फंस गया है, क्योंकि अधिकांश व्यापारी फोन ही नहीं उठा रहे हैं। वहीं व्यापारियों का  कहना है कि अनलॉक के बाद भी उधारी का पैसा नहीं मिल पाया है, जिससे वह बर्बाद होने के कगार पर हैं। उल्लेखनीय है कि वस्त्र व्यवसाय में उधार और एडवांस दोनों चलते हैं लेकिन अब कारोबारियों और दुकानदारों के लिए स्थिति मुश्किल हो गई है। कमोबेश सभी व्यापार संघों का यही कहना है कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने उन्हें बर्बाद कर दिया है। भोपाल स्टॉक इन्वेस्टर्स एसोसिएशन के मुताबिक मंदी और लॉकडाउन की वजह से व्यापार की चैन मौजूदा समय में गड़बड़ा गई है। बाजार में विभिन्न ट्रेडो का व्यापार कर रहे व्यापारियों के लाखों-करोड़ों रुपए की उधारी फंसी हुई है। व्यापारी उधारी वसूल नहीं हो पाने से परेशान हैं। ऐसे में व्यापार की चैन ही बिगड़ गई है। कुछ इसी तरह का मत भोपाल व्यापारी महासंघ का भी है। संघ के मुताबिक कोरोना के बाद बाजार की दशा और दिशा में बहुत से परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। नकदी आधारित व्यापार का चलन बढ़ गया है। अब व्यापारी उधार में सामान देने से बच रहे हैं।

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