आरएसएस के मुकाबिल राजा दिग्विजय सिंह…

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भोपाल/राघवेंद्र सिंह/बिच्छू डॉट कॉम। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के तीखे तेवर जगजाहिर हैं। रविवार को भोपाल में संघ परिवार के अनुषांगिक संगठन लघु उद्योग भारती को भोपाल के इंडस्ट्रियल एरिया गोविंदपुरा में एक प्लॉट के आवंटन को लेकर कांग्रेस के गांधीवादी नेता दिग्विजय सिंह सड़क पर उतर आए। इस आंदोलन में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नदारद होना उन्हें सड़क के संघर्ष की सियासत में कमजोर साबित करता है। यहीं से प्रदेश कांग्रेस में फिर एक बार दिग्विजय सिंह के एकछत्र नेता बनने पर मुहर लगती दिख रही है। पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी इस तरह के साफ संकेत पहले ही दे चुके हैं। कांग्रेस की राजनीति में राष्ट्रीय स्तर पर इस घटना के दूरगामी असर दिखेंगे। सिंह का कहना है कि देशभर में जहां भी संघ परिवार को नियम विरुद्ध भूमि दी जाएगी उसका हम पूरी ताकत से विरोध करेंगे। भाजपा ने कहा है कि इस सीधे से मुद्दे को उलझाने के प्रयास कर कांग्रेस सुर्खियों में आना चाहती है। कार्यकर्ताओं और जनता के बीच की जाकर राजनीति करने वाले कुछ बचे हुए नेताओं में दिग्विजयसिंह अग्रणी है। उन्होंने भोपाल में लघु उद्योग भारती को भोपाल के गोविंदपुरा में जमीन देने के मुद्दे पर सड़क पर संघर्ष कर सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा है। भाजपा के महामंत्री भगवानदास सबनानी कहते हैं कि प्रदेश में कांग्रेस नेतृत्व विहीन है और उसमें कब्जा करने की होड़ मची हुई है। भोपाल में लघु उद्योग भारती को नियमानुसार भूमि प्रदान की है उसके विरोध का प्रश्न ही नहीं उठता। लेकिन संघ की खिलाफत के लिए वे दूरबीन से मुद्दे खोजते हैं फिर भले ही उनमें दम न हो। संघ की खिलाफत को ही उन्होंने अपनी राजनीति का हिस्सा बना लिया है। इसी तरह भाजपा नेता डॉ हितेष वाजपेयी कहते हैं कि गुटबाजी में फंसी कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई है। गोविंदपुरा भूमि आवंटन का विरोध 75 साल की उम्र में दिग्विजय सिंह को पार्टी में पकड़ बनाने के लिए विवश कर रहा है। सबको पता है सड़क के संघर्ष में कमलनाथ परहेज करते हैं।
एक बात तो तय है कि कांग्रेस में नेतृत्व करने के लिए भोपाल से लेकर दिल्ली तक मैदान खाली है और इसमें बढ़त बनाने के लिए जो सड़क पर मोर्चा संभालेगा उसे ही जनता और कार्यकर्ताओं के दिलों में और मीडिया की चर्चाओं में जगह मिलेगी। किसान आंदोलन में सक्रियता से लेकर कोरोना योद्धाओं के बीच उपस्थिति दर्ज करा कर दिग्विजय सिंह इस मामले में प्रदेश के नेताओं से काफी आगे निकल गए हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अलबत्ता दिल्ली से आकर कोरोना से अपने परिजनों को खोने वालों के घर जाकर संवेदनशीलता प्रकट की है।  भाजपा ने जरूर लघु उद्योग भारती के मामले में दिग्विजय सिंह के विरोध की अनदेखी करने की रणनीति अपनाई है। उसका मानना है कि इस मामले में सरकार और प्रशासन को ही निपटने दिया जाए। गौरतलब है कि जब कांग्रेस के विरोध को काबू में करने के लिए पुलिस ने वाटर केनन के साथ लाठियां लहराई तो दिग्विजय सिंह ने कहा कि भूमि आवंटन संबंधी सरकार का निर्णय गलत है और हम दबने वाले नहीं है। गोविंदपुरा में 95 प्रतिशत लोग इसके खिलाफ हैं। पेड़ों को काट कर शिलान्यास किया जा रहा है। अच्छा होता कि सरकार लघु उद्योग भारती को गोविंदपुरा के बदले अचारपुरा में जमीन आवंटित करती। वहां अन्य उद्यमियों को भी आवंटन होता तो और भी लाभकारी होता। बहरहाल आने वाले दिनों में आंदोलन की यह चिन्गारी भड़कने की सम्भावना है। इसमें युवक कांग्रेस के कूदने से भोपाल में सियासी हालात गर्म हो सकते है। कलेक्टर अविनाश लवानिया का कहना है कि उद्योग विभाग ने खाली पड़ी भूमि का आवंटन किया है और प्रशासन हर हाल में कानून व्यवस्था बनाए रखेगा। डीआईजी इरशाद वली ने कहा है कि पुलिस- प्रशासन आवंटित स्थल पर किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और अन्य कांग्रेस नेताओं पर नजर बनाए रखेगी।
सिंधिया के कद में इजाफा
मोदी सरकार में मंत्री बनने के साथ ही प्रदेश की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतिक कद में इजाफा हुआ है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें घर जा कर बधाई दी। इधर दिल्ली में मुख्यमंत्री की यात्रा और उनका नए मंत्रियों को बधाई शुभकामनाएं देने के साथ मेल मुलाकात के सियासी रंग भी नजर भी आए। भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश से जुड़ी योजनाओं को लेकर भी केंद्रीय मंत्रियों से विचार विमर्श किया। 

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