भोपाल (बिच्छू रोज़ाना)। सियासी दल चुनावी माहौल में भगवान भरोसे हो गए हैं। इतना ही नहीं वे अपने सहूलियत और रणनीति के हिसाब से भगवान का चयन भी करने लगे हैं। इनमें राम, शिव, गणेश, नर्मदा और शक्तिपीठ मुख्य हैं। इसके अलावा गाय भी चुनावी मुद्दा है। सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते चल रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी कभी शिवभक्त तो कभी रामभक्त और कभी नर्मदा भक्त बता रही है। भाजपा राम के नाम पर पहले भी दांव खेल चुकी है। भूल चुके वादे को याद कर सरकार ने राम पथ बनाने के लिए 100 करोड़ रुपए खर्च करने की बात कही है। वहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने पैत्रिक गांव सैफई में विष्णु मंदिर बनाने का ऐलान किया है। इसके जरिए सपा अपनी हिंदू विरोधी छवि खत्म करना चाहती है। प्रदेश में अकेले चुनाव लडऩे का ऐलान कर चुकी बहुजन समाज पार्टी भी अपने पुराने नारे पर लौट सकती है। बसपा का नारा है- हाथी नहीं गणेश हैं, ब्रह्मा विष्णु महेश हैं। अब देखना यह है कि चुनावी माहौल में जनता रूपी भगवान किसका बेड़ा पार लगाती है।
राम की राह पर कांग्रेस भी
कांग्रेस अपनी चित्रकूट से शुरू हुई राम पथ वन गमन यात्रा के जरिए 15 साल का सत्ता का वनवास खत्म करने का प्रयास कर रही है। पार्टी 13 दिवसीय इस यात्रा के जरिए 35 विधानसभा सीटों को अपने पाले में लाना चाहती है। शुरुआत में इस यात्रा से कांग्रेस के बड़े नेता नदारद रहे, लेकिन अब इसमें बड़े नेता भी शामिल हो रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी कहते हैं कि वे इस यात्रा में जरूर शामिल होंगे।