मेरठ। पोलियोमुक्त भारत की राह में एक बार फिर वायरस ताल ठोंककर खड़ा है। साल 1999 में टाइप-2 खत्म होने के बाद भी यह वायरस उत्तर प्रदेश में 24 सैंपलों में मिला है। अब ओरल वैक्सीन में वायरस मिलने से प्रदेश में हड़कंप मच गया है।
भले ही वैक्सीन का वायरस कमजोर होता है, किंतु चिकित्सक भी अन्य संक्रमण की आशंका जता चुके हैं। इधर, प्रदूषित वैक्सीन मेरठ में करीब 20 हजार बच्चों को वैक्सीन पिलाई जा चुकी है।
वायरस खत्म था तो कहां से पहुंचा
गाजियाबाद स्थित कंपनी में तैयार वैक्सीन में टाइप-2 वायरस मिलने से चिकित्सा जगत में हड़कंप है। साल 1999 में अंतिम बार टाइप-2 वायरस से संक्रमित मरीज मिला, किंतु सुरक्षा के तौर पर इसकी वैक्सीन-“ट्राइवैलेंट” 2015 तक पिलाई गई। इसी बीच अभियान में पोलियो का इंजेक्शन भी शामिल किया गया।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट पर साल 2016 में नई वैक्सीन से टाइप-2 हटाकर सिर्फ टाइप-1 और टाइप-3 वायरस शामिल किया गया। मेरठ समेत देशभर के सभी लैबों, कोल्ट स्टोरों, एवं क्लीनिकों में टाइप-2 खोजकर उसे नष्ट कर दिया गया। विशेषज्ञों ने दावा किया कि दुनिया के 154 देशों से टाइप-2 वायरस खत्म हो गया है। ऐसे में वैक्सीन में इस वायरस के संक्रमण से नया खतरा पैदा हो गया।