भोपाल (बिच्छू रोज़ाना)। प्रदेश में चुनावी फायदे के लिए राज्य सरकार ने गरीबों की मदद के नाम पर अपने खजाने का मुंह खोल दिया है। प्रदेश का खजाना पहले से ही खाली है ऐसे में सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। हालात यह है कि अब पहले से बड़े आर्थिक संकट का सामने कर रहीं प्रदेश की बिजली कंपनियों को हाल ही में शुरू की गई सरल बिजली बिल योजना व संबल योजना के नाम पर दिवालिया बनाने का काम शुरु कर दिया गया है। इस योजना के शुरु होने से हर माह कंपनियों को करीब चार सौ करोड़ रुपए की चपत लगना शुरू हो गई है। सियासी फायदे के लिए सरकार ने लगभग दो करोड़ परिवारों को 200 रुपए में प्रति माह मनमानी बिजली की सौगात देकर बिजली कंपनियों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। हालात यह हो गई है कि प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों पर हर माह करीब 400 करोड़ रुपए का अधिक भार पड़ रहा है। माना जा रहा है कि चुनाव होने तक कंपनियों पर करीब 3,000 करोड़ रुपए का भार बढ़ जाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियां मध्य क्षेत्र, पूर्व क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र पहले से ही भारी कर्ज में डूबी हुई हैं। ऐसे में संबल योजना ने कंपनियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस योजना की आड़ में इंदौर सहित कई बड़े शहरों के अलावा सिवनी जिले में विद्युत विभाग के जोनल कार्यालय, मुख्य सहायक इंजीनियर और कार्यपालन यंत्रियों ने जमकर फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार किया है। प्रदेश में अगर संबल योजना के नाम पर असंगठित मजदूरों को वितरित किए गए कार्डों की जांच कराई जाए तो कई अरबपतियों, लखपतियों सहित बंगले, कार वालों और सक्षम परिवारों सहित कई अधिकारियों कर्मचारियों के नाम भी सामने आ सकते हैं।
संबल योजना में अपात्रों का चयन
शिवराज की सबसे महत्वकांक्षी संबल योजना पर सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं। योजना के नाम पर अरबों रुपए के भ्रष्टाचार के मामले में मंत्री, विधायक, पार्षद, सरपंच और पंचों सहित उद्योगपति, अधिकारी-कर्मचारियों सहित भाजपा के कई नेताओं के शामिल होने की जानकारी सामने आ रही है। इस घोटाले के मामले में कांग्रेस ने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस ने कुछ महीनों बाद होने वाले विस चुनाव के मद्देनजर संबल योजना पर सवाल खड़े करते हुए अरबों रुपए के घोटाले का बड़ा आरोप लगाया है।
ठंड में दोगुना हो जाएगा घाटा
सरल बिजली योजना में 200 रुपए प्रतिमाह बिजली बिल योजना की वजह से बिजली कंपनियों को जुलाई में 421 करोड़ और अगस्त माह में 368 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। दीपावली से जब ठंड बढ़ेगी तो बिजली की खपत भी बढ़ेगी। ऐसे में दीपावली तक यह घाटा बढक़र 800 करोड़ रुपए प्रतिमाह होने का अनुमान जताया जा रहा है।
वेतन के पड़ सकते हैं लाले
बिजली कंपनियों के सूत्रों का कहना है कि इसकी वजह से बिजली कंपनियों की स्थिति खराब हो रही है। अगर इसी तरह कंपनियों पर भार बढ़ता रहा तो कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो सकता है।
बिजली बिल माफी में फर्जीवाड़ा
संबल योजना के नाम पर पूरे प्रदेश में यह बात भी सामने आ रही है कि योजना का लाभ पाने के लिए अधिकारियों की मिलीभगत से उद्योगपति, सरकारी कर्मचारी, अधिकारियों सहित व्यवसाइयों और नेताओं सहित हजारों अपात्र लोगों ने मजदूरों के तौर पर अपना पंजीयन करवा लिया है। बिजली बिल में छूट और पिछले बिलों का बकाया माफ करवाने के लिए योजना में इतनी बड़ी संख्या में फर्जीवाड़ा किया जा रहा जिसमें कई अरबपतियों और लखपतियों सहित पूंजीपतियों और व्यापारियों के नाम भी असंगठित मजदूर के नाम पर सामने आ रहा है।
5 करोड़ मतदाता में 2 करोड़ 16 लाख मजदूर
कांग्रेस मीडिया सेल की अध्यक्ष शोभा ओझा ने दस्तावेजों के आधार पर यह आरोप भी लगाए हैं कि करीब 40 फीसदी लोगों को योजना से जोडक़र असंगठित मजदूर बताया गया है। मध्यप्रदेश में कुल सवा सात करोड़ जनसंख्या में से लगभग 5 करोड़ मतदाता हैं जिनमें से करीब 2 करोड़ 16 लाख लोगों को संबल योजना के तहत पंजीकृत कर उन्हें मजदूर दर्शाया गया है।