भोपाल (बिच्छू रोज़ाना)। प्रदेश में लगातार चौदह सालों से सत्ता की कमान संभाल रही भाजपा सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में स्थाई स्थान नहीं बना पा रही है। यही वजह है कि इस साल इस मामले में लंबी छलांग लगाने के बाद भी वह वर्ष 2016 वाला स्थान नहीं पा सका है। पिछले साल प्रदेश को इस मामले में 22वां स्थान दिया गया था, लेकिन इस साल इसमें 15 स्थानों के सुधार के साथ अब सातवां स्थान मिला है। मप्र को इस मामले में 97.31 प्रतिशत अंक मिले हैं। अब मप्र देश के टाप टेन प्रदेशों में शामिल हो गया है। हालांकि अब भी प्रदेश 2016 की स्थिति में दो स्थान नीचे है। 2016 में मप्र टॉप 5 राज्यों में शामिल था। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट में मप्र को सिंगल विंडो सिस्टम और जमीन की उपलब्धता के मामले में बेहद कम नंबर मिले हैं। सिंगल विंडो सिस्टम पर मप्र को 100 में से 10 और जमीन की उपलब्धता पर महज 18 नंबर मिले हैं। वहीं औद्योगिक संगठनों से लिए गए फीडबैक में भी मप्र का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है। राज्यों को 372 रिफॉर्म के आधार पर नंबर दिए गए हैं। मप्र ने इसमें से 367 रिफॉर्म की जानकारी दी थी।
दफ्तरों के चक्कर लगाने पर नहीं लगा सकी रोक
राज्य सरकार ऐसी व्यवस्था तैयार नहीं कर सकी, जिससे बिजनेस या उद्योग शुरू करने वाले व्यक्ति को सरकारी दफ्तर जाए बिना सभी आवेदन और आवश्यक मंजूरियां मिल जाए। केंद्र सरकार ने राज्यों से इस बिंदु पर भी जानकारी मांगी थी, जिसे राज्य सरकार उपलब्ध नहीं करवा पाई।
संगठनों से मिला खराब फीडबैक
रिफॉर्म के आधार पर राज्य सरकार ने 99 प्रतिशत नंबर हासिल किए, लेकिन औद्योगिक और व्यापारिक संगठनों ने सरकार के कामकाज का फीडबैक बहुत अच्छा नहीं दिया है। संगठनों के फीडबैक पर 79 प्रतिशत अंक मप्र को मिले हैं। जबकि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में टॉप पर रहने वाले आंध्रप्रदेश को 86 प्रतिशत से ज्यादा नंबर मिले हैं।
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में पांचवें नंबर पर
ईज ऑफ डूइंग की विभिन्न कैटेगरी में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में मप्र टॉप 5 में रहा है। इसके अलावा अन्य 11 कैटेगरी में प्रदेश टॉप 5 में जगह नहीं बना सका है।
दावे और फीडबैक में इसलिए अंतर
फेडरेशन ऑफ मप्र चैंबर्स एंड कॉमर्स के अध्यक्ष आरएस गोस्वामी के मुताबिक मप्र ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर बेहतर काम किया है, लेकिन कई विभागों के काम से औद्योगिक या व्यापारी संगठन खुश नहीं होंगे, जिसकी वजह से फीडबैक बहुत अच्छा नहीं गया। कई विभाग ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी नीतियों को अच्छी तरह लागू किया।
इन रिफॉर्म पर मिले नंबर
– पारदर्शिता और सूचनाओं तक पहुंच।
– सिंगल विंडो सिस्टम ताकि उद्योगपति या व्यापारी को अलग-अलग जगह भटकना न पड़े। एक ही जगह पर उसका काम हो जाए।
– उद्योगों के लिए जमीन की उपलब्धता।
– निर्माण की अनुमति को लेकर नीति।