भोपाल (बिच्छू रोज़ाना)। सरकार के चहेते अफसर मनमाने कदम उठाते रहते हैं जिससे सरकार की गाहे बगाहे किरकिरी होती रहती है। इसकी बड़ी वजह है सरकार पर अफसरशाही का हावी होना। खास बात यह है कि सरकार भी मनमानी करने वाले अफसरों पर कोई कड़ी कार्रवाही करने की हिम्मत नहीं दिखा पाती है, जिसका फायदा यह अफसर उठाते रहते हैं। ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया है। राज्य सरकार और उसके मुखिया मांसाहार के सख्त खिलाफ हैं इसके बाद भी उनके मातहत आने वाले पर्यटन निगम द्वारा इन दिनों मांसाहारी व्यंजन नल्ली निहारी का जमकर प्रमोशन किया जा रहा है। यह हाल प्रदेश में तब है जब कि कुपोषण के कलंक को मिटाने कई बार आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों को अंडा परोसने का सुझाव आया, लेकिन शाकाहारी सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसे मानने से साफ मना कर दिया।
गौरतलब है कि पर्यटन निगम द्वारा प्रमोशन के लिए चलाए जा रहे अभियान में इस मांसाहारी व्यंजन को पकाने की प्रक्रिया और प्रस्तुतीकरण के तरीके बताकर लोगों को इसके लिए आकर्षित कर रहा है। इसकी खूबियां गिनाई जा रही है। बाकायदा सोशल मीडिया के माध्यम से एक कैंपेन चलाकर इसका प्रमोशन किया जा रहा है। सवाल यह है कि अब आखिर अंडा से परहेज और नल्ला निहारी कैसे सरकार की पसंद बन गया। आंगनबाड़ी केंद्रों की भोजन सूची में अंडा शामिल किए जाने का एक प्रस्ताव सितंबर 2010 में भी सीएम चौहान निरस्त कर चुके हैं। तब उन्होने जैन समाज के एक प्रतिनिधिमंडल से कहा था, आंगनबाडिय़ों के भोजन में अंडा शामिल करने की कोई जरूरत नहीं है। जब तक शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री है, किसी भी सूरत में अंडे नहीं परोसे जाएंगे। मानव शरीर शाकाहारी भोजन के लिए बना है और हमारे शरीर की जरूरतों के लिहाज से इसमें (शाकाहारी) सबकुछ है। इसके बाद कई बार अंडे पर बहस हो चुकी है, लेकिन सरकार में कई इसके विरोध में दिखे तो कई इसके पक्ष में नजर आए। तमाम विरोध और विवाद के चलते आज तक आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की थाली में अंडा नहीं पहुंचा, इसके पीछे तर्क दिया गया था कि अंडा खाने से बच्चों में प्रोटीन की कमी दूर होगी और कुपोषण दूर होगा, लेकिन अब मध्य प्रदेश सरकार के उपक्रम मप्र पर्यटन विकास निगम नल्ला निहारी को खूबसूरत प्लेट में सजाकर खुलेआम मांसाहार का प्रचार कर रहा है। लेकिन सरकार इस पर चुप है।