औरतों को श्मशान घाट तक जाने की इजाजत नहीं…

  • सुमन कांसरा
श्मशान घाट

यह कल्पना करना ही बड़ा भयावा सा लगता है की कोई स्त्री श्मशान घाट में शवों को जलाने का काम करती हो जरा सोच कर देखिए। भारतीय परंपरा में बहुत से समाज ऐसे हैं जहां औरतों को सब के साथ श्मशान घाट तक जाने की इजाजत नहीं है बहुत ही काम प्रगतिशील समाज ऐसे हैं जिन्होंने अभी इजाजत दी है ज्यादातर पंजाब में आप अक्सर महिलाओं को श्मशान घाट जाते देख सकते हैं पर यूपी बिहार राजस्थान में यह नहीं होता।
काशी के डोम समाज की राजमाता जमुना देवी ने अपने पति की मृत्यु के बाद बच्चों के पालन पोषण के लिए मजबूरी में यह काम शुरू किया पर जमुना देवी कहती हैं कि भगवान ना करे किसी स्त्री को यह काम करना पड़े। जमुना देवी की शादी केवल 9 साल की उम्र में हो गई थी और 4 साल बाद ही उसके पति का देहांत हो गया, जायदाद के लालच में परिवार वालों ने बच्चों समेत घर से बाहर निकाल दिया फिर मायका ही उसका एक सहारा बना और बड़े भाई की मदद से पति का काम करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की मुकदमा लड़ा, तब जाकर यह हक मिला। पति का काम करने का आदेश जब कोर्ट ने दिया तब डोम समाज ने उसे राजमाता का दर्जा देकर स्वीकृति दी। जमुना देवी कहती है उनके बच्चे बचपन में ही इन कामों में लग जाते हैं। उनके खेलने कूदने का मैदान भी यह श्मशान घाट होता है। और यही सब बचपन से देखते आते हैं और बहुत छोटी उम्र में इन कामों में लगा दिए जाते हैं। इसलिए स्कूल से दूर रह जाते हैं और पढ़ाई लिखाई नहीं हो पाती। खुद पढ़ी-लिखी नहीं थी इसलिए कोई और काम नहीं कर पाई तो मजबूरी में उसको शवों को जलाने जैसा भयंकर काम करना पड़ा और शायद इसलिए भी कि उसके बच्चे इस काम से दूर रहें। इसलिए उसने अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया और खुद यह काम किया। वक्त के साथ-साथ समाज में भी जागरूकता आई है और अब डोम समाज के बच्चे भी स्कूल जाते हैं।
अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर वह अपने पूरे परिवार के साथ वहां गई थी अभी तक जमुना देवी ही अकेली महिला है जो यह काम करती आ रही है। वह डोम समाज की राजमाता की गद्दी को संभाले हुए हैं और अपनी हिस्सेदारी में मिले पूरे महीने में 3:30 दिन की पारी को ही अपने परिवार की विरासत समझ कर उससे हुई कमाई से ही अपने घर का निर्वाह करती आ रही है। उनके अनुसार वह 90000 तक महीना कमा लेती हैं अच्छे से अपने परिवार का पालन पोषण करती आ रही है। धन्य है भारतीय नारी जो अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है।
भारत में भी भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आई
पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार बढ़ने के साथ-साथ भारत में भी भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आई है। एक संस्था जिसका नाम है ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल, की 2023 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ। भारत का ओवरऑल, स्कोर 39 रहा जबकि 2022 में 40 था। भारत का 39 स्कोर कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखता है। भाजपा सरकार का यह दद्यवा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार को खत्म कर चुकी है  कि भाजपा सरकार के सारे दावे झूठे हैं। दुनिया में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। रिपोर्ट में कहां गया है पूरी दुनिया का औसत स्कोर 48 और 2 थर्ड कंट्रीज का 50 से कम है जो बढ़ते भ्रष्टाचार की तरफ इशारा है। आपको बता दे कि यह इंटरनेशनल एजेंसी 180 देश को जीरो से 100 तक के पैमाने की रैंकिंग करती है जीरो मतलब बिल्कुल साफ छवि मतलब भ्रष्टाचार न के बराबर और 100 मतलब बहुत ज्यादा । भारत की रैंकिंग इसमें 93 स्थान पर है आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं भारत में हो रहे भ्रष्टाचार का।

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