आईएफएस के 25% पद रिक्त होने से विभाग का सिस्टम गड़बड़ाया

आईएफएस
  • लगातार अफसर मांगने के बाद भी नहीं हो रही है पूर्ति

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ मप्र के जंगलों में वन्य जीवों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है , तो वहीं प्रदेश के जंगल का क्षेत्र कम हो रहा है। इसके बाद भी प्रदेश के वन महकमे को अफसरों व कर्मचारियों का पर्याप्त अमला नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से विभाग का पूरा सिस्टम ही गड़बड़ा गया है। विभाग में जिन अफसरों पर योजना बनाने से लेकर प्रशासनिक व्यवस्था तक की जिम्मेदारी होती है, उन अफसरों की कमी से भी विभाग दो -चार हो रहा है। यह अफसर हैं, भारतीय वन सेवा के। दरअसल प्रदेश में इस सेवा के ही 25 फीसदी से अधिक अफसरों की कमी बनी हुई है। दरअसल प्रदेश में इस सेवा के अफसरों के 296 पद स्वीकृत है , लेकिन उनमें  से महज 225 ही कार्यरत हैं। इस तरह से 71 पद रिक्त पड़े हुए हैं। इसकी वजह से विभाग के सामाजिक वानिकी, अनुसंधान एवं विस्तार के साथ प्रशासनिक व्यवस्थाएं चरमराती जा रही हैं।
इस मामले में एक पूर्व आईएफएस अफसर का कहना है कि अफसरों की कमी का असर वनों के संरक्षण पर भी पड़ा है। प्रदेश में अब बगैर योजना के ही काम चल रहा है। हद तो यह है कि प्रदेश में चार साल से कॉडर रिव्यू तक नहीं हुआ है जिसकी वजह से पदों का युक्तियुक्तकरण का काम भी अटका हुआ है। प्रदेश का वन महकमा 25 फीसदी से अधिक रिक्त पदों को भरने के लिए लगातार केन्द्र सरकार का प्रस्ताव भी भेज रहा है, लेकिन फिर भी अफसर नहीं मिल पा रहे हैं। अफसरों की कमी की वजह से ही  विभाग के मातहत आने वाले राज्य लघु वनोपज संघ और राज्य वन विकास निगम में प्रबंध संचालक के पद तक रिक्त पड़े हुए हैं। हाल ही में निगम के  एमडी अभय कुमार पाटिल वन बल प्रमुख बन चुके हैं। इसके बाद से यहां पर एमडी का पद रिक्त चल रहा है। इसी तरह से दिसंबर माह में फेडरेशन के एमडी पुष्कर सिंह सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिसकी वजह से उनका पद भी रिक्त बना हुआ है। फेडरेशन में अपर प्रबंध संचालक के सात और वन विकास निगम में 6 पद रिक्त हैं।
प्रभार से चलाया जा रहा है काम
एपीसीसीएफ के कुल 25 पद स्वीकृत हैं, इनमें पद 13 खाली हैं। वन मुख्यालय में अनुसंधान एवं विस्तार, सतर्कता एवं शिकायत, उत्पादन, जेएफएम एवं एफडीए, निगरानी एवं मूल्यांकन, मानव संसाधन, वन भूमि रिकॉर्ड, कार्यआयोजना क्षेत्र इंदौर तथा भोपाल, संरक्षण वन मुख्यालय भोपाल और कैंपा प्रभार में चल रहे हैं। इसी तरह से सीसीएफ के कुल 51 पद हैं। इनमें 37 पद रिक्त है। प्रशासन राजपत्रित 1, प्रशासन अराजपत्रित-2, भू-प्रबंध, समन्वय, उत्पादन, वित्त एवं बजट, भू- अभिलेख, जेएफएम, आईटी क्राइम प्रोटेक्शन, वन्यप्राणी के साथ मुख्यालय में सीएफ के 2 पद और वन्य प्राणी और प्रशासन दो के पद रिक्त हैं।
यह जिले भी जूझ रहे अफसरों की कमी से
इसी तरह से प्रदेश के कई जिले भी अफसरों की कमी से जूझ रहे हैं। इन जिलों में डीएफओ टीकमगढ़, सीएफ कार्ययोजना ग्वालियर, सीसीएफ अनुसंधान एवं विस्तार वृत ग्वालियर, डीएफओ दतिया और नर्मदापुरम, सीसीएफ सामाजिक वानिकी इंदौर, सीएफ सामाजिक वानिकी वृत्त झाबुआ एवं जबलपुर, डीएफओ उत्पादन डिंडोरी, सीसीएफ सामाजिक वानिकी वृत रीवा तथा खंडवा, डीएफओ उत्पादन खंडवा, सीसीएफ सामाजिक वानिकी रीवा वृत, सीएफ कार्यआयोजना रीवा, सीसीएफ सामाजिक वानिकी वृत्त सागर भी नहीं। सीएफ कार्यआयोजना सागर, टाइगर रिजर्व बांधवगढ़, पेंच और माधव राष्ट्रीय उद्यान में फील्ड डायरेक्टर, सीसीएफ अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त सिवनी, अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त रतलाम, सीएफ कार्य आयोजना उज्जैन, शिवपुरी एवं डीएफओ उत्पादन देवास शामि हैं।
नहीं सुधर पा रहा कैडर
कॉडर मैनेजमेंट में पिछले दस साल से सुधार नहीं लाया जा सका है। सीसीएफ बनने के लिए 18 साल, सीएफ के लिए 14 और एपीसीसीएफ के लिए 25 साल की सर्विस होना चाहिए। इसके चलते प्रमोशन नहीं हो पा रहे हैं।
रेंजर्स कॉलेज है प्राचार्य विहीन
बालाघाट के रेंजर्स कॉलेज प्राचार्य,सीएफ कार्ययोजना भी नहीं है। बैतूल में सीसीएफ कार्यआयोजना, सामाजिक वानिकी वृत्त और डीएफओ उत्पादन का पद भी रिक्त पड़ा हुआ है। इसी तरह से भोपाल में भी सीसीएफ कार्ययोजना, डीएफओ पर्यावरण वानिकी भोपाल के पद रिक्त चल रहे हैं।

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