आईएएस अब खुद तैयार करेंगे अपनी रिपोर्ट

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हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। जिस तरह आईएएस हर साल अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा देते हैं, उसी तरह अब मप्र के आईएएस अफसरों को अपने सालभर के कार्यों का ब्यौरा देना होगा। इसके लिए खुद आईएएस अफसरों को अपने कामों की रिपोर्ट तैयारी करनी होगी। यह रिपोर्ट 31 मई तक सरकार को देनी होगी। इस संदर्भ में सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक प्रदेश के सभी आईएएस अफसरों को निर्देशित किया है। गौरतलब है की मप्र में कई अफसरों के पास काम की भरमार है तो कई बेकाम है। यही नहीं बार -बार आरोप लगते रहते हैं कि अफसर फाइलों को लटकाए रहते हैं। ऐसे में सामान्य प्रशासन विभाग ने आईएएस अफसरों के कामों का आकलन करने के लिए यह तरीका अपनाया है। दरअसल प्रदेश में तय कैडर के बराबर अफसर भी नहीं है। प्रदेश में नौकरशाहों की कमी का असर दिखने लगा है। आलम यह है कि प्रदेश में तय कैडर से कम आईएएस, आईपीएस और आईएफएस पदस्थ हैं। खासकर आईएएस अफसरों की कमी का असर देखा जा रहा है। इसका असर यह है कि प्रदेश के कई आईएएस तीन-तीन विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इस कारण काम के बोझ से आईएएस दबे पड़े हैं। हालांकि ऐसा ही कुछ हाल आईपीएस और आईएफएस का भी है।  
31 मई तक देनी होगी रिपोर्ट
सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक के निर्देशानुसार राज्य सरकार ने रिपोर्ट देने के लिए कार्यक्रम तय कर दिया है। आईएएस अफसरों को रिपोर्ट ऑनलाइन ही देनी होगी। यह सभी प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी कर ली जाएगी। यदि 31 मई तक अफसर ऑनलाइन रिपोर्ट नहीं देंगे, तो उसके बाद एक जून को रिपोर्ट स्पेरो पोर्टल पर ऑटो फॉरवर्ड हो जाएगी। यानी तय समय से अधिक कोई भी अथॉरिटी रिपोर्ट को अपने पास नहीं रख सकेगी। संबंधित अफसर द्वारा एपीआर देने के लिए रिपोर्टिंग अथॉरिटी यानी अफसर के बारे में अपना मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करेंगे। उसमें संबंधित अधिकारी के कामों का वे मूल्यांकन कर अपना अभिमत देंगे। इसी क्रम में संबंधित अथॉरिटी द्वारा मूल्यांकन के  बाद दिए गए अभिमत को रिव्यू अथॉरिटी को 31 सितंबर तक हर हाल में देना होगा। यहां अधीनस्थ अफसर के बारे में रिपोर्टिंग अथॉरिटी द्वारा दिए गए अभिमत को रिव्यू किया जा सकेगा। उसमें यदि किसी तरह के संशोधन किया जाना जरूरी होगा, तो ये अधिकार रिव्यू अथॉरिटी को होगा। यदि इस अवधि में रिपोर्ट ऑनलाइन सबमिट नहीं की गई तो एक अक्टूबर को रिपोर्ट स्वमेव सबमिट हो जाएगी। उसके बाद रिव्यू अथॉरिटी अपने अभिमत के साथ रिपोर्ट को समीक्षक या स्वीकारकर्ता प्राधिकारी को देनी होगी । ये रिपोर्ट 31 दिसंबर तक सबमिट करना होगा। 31 दिसंबर को ही आटो क्लोजर भी हो जाएगा। यानी इस अवधि के बाद स्पेरो पोर्टल पर रिपोर्ट को सबमिट नहीं किया जा सकेगा।
इन पर कार्यभार अधिक
आईएएस की कमी के चलते कई अफसरों पर कार्यभार बहुत अधिक है। कई अफसरों को एक से अधिक पद भी सम्भालने पड़ रहे हैं। इसका असर सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग, समय पर पूरा करने, बेहतर प्रदर्शन पर भी पड़ता है। जनता को सरकारी तन्त्र का लाभ पूरा नहीं मिल पाता है। अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया वन के साथ उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण का जिम्मा संभाल रहे हैं। अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा गृह के साथ धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का काम देख रहे हैं। अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव रेवेन्यू बोर्ड के साथ तकनीकी शिक्षा एवं कौशल और कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग संभाल रहे हैं।
प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ मुखर्जी  सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) के साथ खेल एवं युवक कल्याण विभाग,  प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी वाणिज्यिक कर, आबकारी के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी राजस्व और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के साथ लोक सेवा प्रबंधन, प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ खनिज, प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह पीडब्ल्यूडी के साथ ट्रांसपोर्ट और सचिव एम सेलवेंद्रन पंजीयन के साथ कृषि संचालक का कार्यभार संभाल रहे हैं। वहीं इस समय प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव मछुआ विभाग, सचिन सिन्हा सिर्फ श्रम और संजीव झा अकेला आनंद विभाग देख रहे हैं, जिसका सालाना बजट ही बमुश्किल 5 करोड़ होता है। पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा का कहना है कि इस स्थिति में सुधार जल्द नहीं होने वाला है। इसके भविष्य में भारी नुकसान है। असल में यह प्रमोशन की चाह का मामला है।  ऊपर बैठे अफसर समय पर प्रमोशन लेते हैं और इस चक्कर में पद क्रिएट किए जाते हैं।
देना होगा एक साल का लेखाजोखा
सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक के निर्देशानुसार भारतीय प्रशासनिक सेवा के मप्र कॉडर के अफसरों को बीते वित्तीय वर्ष में उनके द्वारा किए गए कामों का लेखा-जोखा देना होगा। इसके लिए उन्हें अपने कामों का स्वयं ही मूल्यांकन करना होगा। उन्हें कार्य निष्पादन मूल्यांकन रिपोर्ट एक माह के भीतर देना होगा। सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के सभी अफसरों को कार्य निष्पादन मूल्यांकन रिपोर्ट यानी (पीएआर) देने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। आईएएस अफसरों को रिपोर्ट देने के लिए 31 मई तक का समय दिया है। आईएएस अफसरों को ये रिपोर्ट एक अप्रैल 2022 से लेकर 31 मार्च 2023 तक की अवधि के लिए देना होगा। वर्ष 2021 बैच के आईएएस अफसरों को अभी पीएआर नहीं देना होगा। उन्हें ये रिपोर्ट देने के लिए रियायत दी गई है।
काम के बोझ से दबे आईएएस
आईएएस अफसरों की कमी का असर यह देखने को मिल रहा है की अभी कई अफसरों के पास 2-3 विभागों का जिम्मा है। हाल ही में हुए तबादलों में फैज अहमद किदवई को आयुष विभाग का प्रभार दे दिया गया। अब उनके पास जेल, सामाजिक न्याय एवं कल्याण विभाग के साथ आयुष भी होगा। यह स्थिति असम-मेघालय कैडर के अफसर प्रतीक हजेला के मूल कैडर में लौटने से बनी। इसी तरह इंदौर कमिश्नर पवन कुमार शर्मा को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण आयुक्त (फील्ड) के साथ श्रम आयुक्त का भी चार्ज दे दिया गया। दूसरी तरफ 2021 में प्रमोशन से 19 एसएएस अफसरों को आईएएस अवॉर्ड होना था, 6 अक्टूबर 2022 को जीएडी ने प्रपोजल केंद्र सरकार को भेजा। डीपीसी की तारीख 27 फरवरी तय हुई, लेकिन डीपीसी नहीं हो पाई। 2022 में प्रमोशन के लिए 8 पद और हो गए। साथ ही कैडर रिव्यू से 6 पद मिलने हैं। समय पर यह हो जाए तो 33 आईएएस मिल सकते थे, जो अब अप्रैल के बाद मिलेंगे।

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