माननीयों ने नहीं रखा विधानसभा की गरिमा का भी मान

 विधानसभा

हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम।
मप्र विधानसभा का सत्र कुछ साल पूर्व तक देश की अन्य विधानसभाओं के लिए अनुकरणीय था। लेकिन अब यहां के विधायक भी विधानसभा की गरिमा का मान नहीं रख पा रहे हैं। सदन में हो-हल्ला, बात-बात पर हंगामा तो आम बात हो गई है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब माननीय सवाल पूछकर सदन से गायब होने के आदी हो गए हैं। दिलचस्प ये कि विधानसभा में बीते तीन वर्ष में 48 विधायक सवाल पूछकर गैरहाजिर हो गए। सदन में विधायकों का नाम पुकारा जाता रहा, लेकिन वे नहीं पहुंचे। गौरतलब है की पिछले साल विधानसभा में प्रथम बार के विधायकों की अनुपस्थिति को लेकर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम द्वारा नाराजगी जताई जा चुकी है। उन्होंने कहा था कि सदन में प्रथम बार के विधायकों को सवाल पूछने का मौका दिया गया था। लेकिन आधा दर्जन विधायक अपने सवाल पूछने के समय ही सदन से गायब रहे।
गौरतलब है कि विधानसभा में प्रश्नकाल अहम अंग है। इसीलिए इसे संसदीय प्रक्रिया में सबसे पहले स्थान दिया गया है। प्रश्नों के खर्च का आंकलन प्रश्न के स्वभाव के अनुसार होता है। इसमें प्रश्नों का उत्तर तहसील से बनवाना, जिला, संभाग स्तर पर बैठकें आयोजित करना शामिल होता है। जवाब में जब भिन्नता होती है ,तो अफसरों को बुलाकर मीटिंग करना , जिसका टीए, डीए का भुगतान हजारों रुपए में होता है। ऐसे में जब सदन में प्रश्नकाल के दौरान सवाल पूछने वाले विधायक गैरहाजिर रहते हैं तो यह संसदीय परंपरा का एक तरह से अपमान है।
तीन वर्ष में 48 विधायक सवाल पूछकर गैरहाजिर
एक तरफ विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम सदन को सुचारू रूप से चलाने के प्रयास करते रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विधायकों की सदन में अनुपस्थिति चिंता का विषय बन गई है। हैरानी की बात यह है कि जनता जिन्हें भरोसे से चुनकर विधानसभा भेजती है, वे विधानसभा में सवाल पूछकर गायब हो जाते हैं। ऐसे में क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाती, जबकि इन मुद्दों पर चर्चा हो तो समस्याएं हल भी हो जाती हैं। दिलचस्प ये कि विधानसभा में बीते तीन वर्ष में 48 विधायक सवाल पूछकर गैरहाजिर हो गए। इनमें भी 12 विधायक हालिया बजट सत्र में गैर मौजूद रहे। सदन में विधायकों का नाम पुकारा जाता रहा, लेकिन वे नहीं पहुंचे। बीते तीन साल में बजट सत्र की बात करें तो कुल 40 विधायक प्रश्नकाल में सवाल आने पर गैरहाजिर रहे। इनमें वर्ष 2023 में 12, 2022 में 12 और 2021 में 16 विधायक गैर हाजिर रहे हैं।  
इस बार भी गायब रहे माननीय
हाल ही में संपन्न विधानसभा के बजट सत्र में भी माननीयों की मनमानी देखने को मिली। 15 मार्च 2023 को प्रश्नकाल में 8 सवाल आ सके। चौधरी सुजीत सिंह (चौरई) अनुपस्थित रहे थे। 16 मार्च 2023 को दो सवाल हो सके। दो ध्यानाकर्षण थे, दोनों हुए। 17 मार्च 2023 का प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ा, वहीं ध्यानाकर्षण भी नहीं हुआ। 20 मार्च 2023 को प्रश्नकाल में 15 प्रश्न आए, लेकिन चार विधायक गैरहाजिर रहे। विजय राघवेंद्र सिंह का व्यापमं से वर्ष 2021-22 में स्टाफ नर्स की भर्ती में गड़बड़ का मुद्दा था। नीलेश उइके का पाहुना को जनजातीय कार्य विभाग के तहत करने संबंधित, कृष्णा गौर का कुक्कुट विकास निगम में संविदा कर्मी के ईपीएफ का मामला और नीलांशु चतुर्वेदी का रीवा और शहडोल के धार्मिक स्थलों में चोरी व हत्या से संबंधित मामला था। लेकिन ये गैरहाजिर रहे। वहीं जब  कार्यसूची में 14 ध्यानाकर्षण थे। सदन में 6 लिए गए, जिनमें विधायक प्रदीप लारिया अनुपस्थित रहे। 21 मार्च 2023 को प्रश्नकाल में 16 प्रश्न लिए। लेकिन 6 विधायक गैरहाजिर रहे। झूमा सोलंकी ने स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय निर्माण व भुगतान का मुद्दा लगाया था। धर्मेन्द्र लोधी ने ग्राम सडक़ योजना में पुल निर्माण में देरी का सवाल था, पर धर्मेन्द्र लोधी गैरहाजिर रहे। प्रदीप पटेल का फसलों के लिए उर्वरकों की कालाबाजारी का मुद्दा था, लेकिन चर्चा में उन्होंने भाग ही नहीं लिया। कुणाल चौधरी ने जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार की बात कही थी। 17.50 करोड़ की गड़बड़ी के आरोप लगाए। रवींद्र सिंह तोमर ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में खेल प्रोत्साहन योजना को लेकर मुद्दा उठाया था। वहीं भूपेंद्र मरावी ने अमृत सरोवर योजना में ठेके और भ्रष्टाचार से जुड़ा सवाल लगाया था।  बजट सत्र के अंतिम दो दिन में 12 विधायक प्रश्नकाल में व 3 ध्यानाकर्षण में गैरहाजिर हो गए। 20 मार्च को प्रश्नकाल के समय 5 विधायक और 21 मार्च को 6 विधायक गायब रहे। वहीं 20 मार्च को 6 ध्यानाकर्षण में 2 विधायक और 21 मार्च को 1 विधायक अनुपस्थित नहीं हुए।

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