आदिवासियों को साधने की मशक्कत करती भाजपा

  • अरुण पटेल

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता का रास्ता आदिवासियों व दलितों के बीच से होकर गुजरता है इसलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही आदिवासियों को साधने में लगे हैं। सतना में आयोजित कोल महाकुंभ में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जहां कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा तो वहीं दूसरी ओर उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि कांग्रेस ने आज तक किसी आदिवासी को राष्ट्रपति नहीं बनाया जबकि, भाजपा ने आदिवासी बेटी द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया है।
आदिवासियों पर कांग्रेस ने 24 हजार करोड़ रुपये खर्च किए थे तो हमने 89 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस प्रकार उन्होंने आदिवासी समाज के बीच यह रेखांकित करने की कोशिश की है कि भाजपा आदिवासियों की सबसे बड़ी हितचिंतक और सच्ची हितैषी है। वहीं छत्तीसगढ़ की धरा से कांग्रेस राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनाव की दृष्टि से आम जनमानस को अपना नजरिया, दिशा तथा गठबंधन की राजनीति का स्वरुप क्या होगा, इस पर दो टूक संदेश देने जा रही है। कांग्रेस का रायपुर में हो रहा 85वां महाधिवेशन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे एक केंद्रीय स्वर यह उभर कर सामने आया है कि कांग्रेस जातिगत जनगणना के पक्ष में खड़ी नजर आ रही है और वह कांग्रेस संगठन को एक नया स्वरुप, नई ऊर्जा व एक नई ताकत देने के लिए आदिवासियों, दलितों, युवाओं और महिलाओं को संगठन के विभिन्न पदों में 50 प्रतिशत तक आरक्षण देने का अपना इरादा जाहिर कर रही है। कांग्रेस का प्रयास अब यही भी होगा कि लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में कम से कम आधे उम्मीदवार 50 साल की उम्र तक के ही बनाए जाएं । कांग्रेस कार्यसमिति के चुनाव नहीं होंगे और अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे उनका मनोनयन करेंगे। कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति में सदस्यों को बढ़ाने सहित पार्टी संविधान में संशोधन के लिए कुछ प्रस्ताव भी महाधिवेशन में पारित किए जा रहे हैं। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री कांग्रेस कार्यसमिति यानी सीडब्ल्यूसी के आजीवन सदस्य रहेंगे। इस प्रकार सोनिया गांधी, राहुल गांधी और डॉ. मनमोहन सिंह कार्यसमिति के आजीवन सदस्य बन जायेंगे और आगे जो भी पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री बनेंगे वह भी आजीवन सदस्य हो जाएंगे।
मध्यप्रदेश के 30 विधानसभा क्षेत्रों और 24 लाख आदिवासी मतदाताओं वाले इलाके विंध्य अंचल से गृहमंत्री अमित शाह ने 24 फरवरी को एक प्रकार से चुनावी बिगुल फूंक दिया है। यही कारण रहा कि उनके निशाने पर कांग्रेस रही। 2018 के विधानसभा चुनाव में विंध्य अंचल में भाजपा को काफी सफलता मिली थी और कांग्रेस को यहां धीरे से जोर का झटका लगा था, जबकि यह इलाका पूर्व में तीखे समाजवादी तेवरों और कांग्रेस की मजबूत पकड़ वाला माना जाता रहा था। यहां पर 30 में से 23 विधायक भाजपा के हैं। भाजपा का प्रयास है कि वह अपनी सफलता को पूरी ताकत लगाकर और अधिक आगे बढ़ाये जबकि कांग्रेस का प्रयास यह है कि इस इलाके में फिर से सेंध लगाकर अपनी खोई उर्वरा जमीन को हासिल करें। शबरी महाकुंभ में अमित शाह का जोर इस बात पर था कि आदिवासियों को यह अहसास दिलाया जाए कि उन्हें उचित सम्मान भाजपा ने ही दिया है। उनका कहना था कि 70 साल में कभी भी जनजाति के बेटे-बेटियों को राष्ट्रपति नहीं बनाया गया। देश के सर्वोच्च पद पर द्रोपदी मुर्मू को आसीन कर भाजपा ने समग्र जनजाति के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया है। उनका कहना था कि भाजपा ने 200 करोड़ रुपये खर्च कर जनजाति वर्ग के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सम्मान में 10 स्मारक बनाये हैं। ऊपर नरेन्द्र मोदी और नीचे शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार है, जिसका उद्देश्य आदिवासियों को सुख पहुंचाना है। इसलिए एक बार फिर से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनायें। शाह का दावा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा दो तिहाई बहुमत से अपनी सरकार बनायेगी।
अमित शाह ने शिवराज की जमकर तारीफ करते हुए उन्हें गरीबों का हितैषी व राज्य का सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री निरूपित करते हुए कहा कि पिछली बार जब मैं जबलपुर आया था तो मुख्यमंत्री ने 14 घोषणाएं की थीं, मुझे लगा था कि मेरी उपस्थिति में शिवराज जी घोषणाएं कर रहे हैं और यदि पूरी नहीं हुईं तो आदिवासी भाई-बहन मुझे पकड़ेंगे, लेकिन आज उन्हें पूरा करने का शिवराज ने हिसाब दे दिया है और यही भाजपा की विशेषता है। यह सरकार आदिवासियों, पिछड़ों व गरीबों की सरकार है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में थोड़े समय के लिए पंजे की सरकार आई थी जिसने जनजाति समाज के भले के लिए बनाई गई शिवराज सरकार की योजनाओं को बंद कर दिया था, लेकिन उनकी सरकार गिर गयी तो शिवराज ने फिर से योजनायें आरंभ की हैं।
एक-दूसरे से सवाल पूछते ‘शिव और कमल’ पिछले कुछ समय से मध्यप्रदेश की राजनीति में एक सवाल तुम करो एक सवाल मैं करुं का सिलसिला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच अभी भी निरंतर जारी है। शिवराज ने शुक्रवार 24 फरवरी को कमलनाथ से सवाल किया कि आपने वायदा किया था कि संभाग स्तर पर कन्याओं के लिए आवासीय खेल स्कूल खोले जायेंगे, आपने वह वायदा क्यों नहीं निभाया, क्या आपने संभागीय स्तर पर एक भी स्कूल खोला और यदि नहीं खोला तो झूठ क्यों बोलते हो, क्यों भ्रम फैलाते हो।
( सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं)

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