बा खबर असरदार/बड़े इनाम की आस

  • हरीश फतेहचंदानी

बड़े इनाम की आस
बुंदेलखंड के एक जिले में कलेक्टरी कर रहे एक आईएएस अधिकारी को उम्मीद है कि चुनावी साल में सरकार उन्हें कोई बड़ा इनाम दे सकती है। सूत्रों का कहना है कि बड़े इनाम के चक्कर में कई बार साहब सीमाएं लांघ चुके हैं। एक बार तो हाईकोर्ट इन्हें फटकार लगा चुका है। लेकिन उसके बाद भी वे कुछ न कुछ ऐसा कर जाते हैं जिससे विवाद में फंस जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि 2011 बैच के ये प्रमोटी आईएएस अधिकारी एक सोची समझी रणनीति के तहत काम कर रहे हैं। प्रदेश के एक पड़ोसी राज्य के मूल निवासी साहब की राजनीतिक महत्वाकांक्षा बलवती हो रही है। साहब अभी से उसके लिए मैदान तैयार कर रहे हैं। उनके करीबियों को कहना है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो साहब राजनीति के मैदान में भी हाथ आजमा सकते हैं। इसलिए वे अभी से अपनी विचारधारा सार्वजनिक कर रहे हैं ,ताकि रिटायरमेंट के बाद राजनीतिक पारी खेलने में आसानी हो सके।


बड़े जिले के लिए बड़ी जुगाड़
सरकार की गुड बुक में होना भी कभी-कभार हानिकारक हो जाता है। इस बात का मलाल मप्र के 2011 बैच के एक आईएएस अधिकारी को खूब हो रहा है। साहब ने जब राजधानी में एक बड़ी जिम्मेदारी संभाली थी तो उन्हें उम्मीद थी की एकाध साल में उन्हें किसी बड़े जिले का कलेक्टर बना दिया जाएगा। इसके लिए साहब सरकार की मंशानुसार काम कर रहे हैं। सरकार से जो भी टारगेट मिल रहे हैं उसे वे लगतार अचीव कर रहे हैं। इसका असर यह हुआ है कि वे सरकार की गुडबुक में आ गए हैं और उनकी क्षमता का यहीं भरपूर उपयोग किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि जब भी आईएएस के तबादले की कवायद शुरू होती है, साहब की आस जगती है और फिर टूट जाती है। इसलिए अबकी बार साहब ने राजधानी के पास के ही एक बड़े जिले की कलेक्टरी के लिए बड़ी जुगाड़ लगाई है। देखना है इस बार दाल गलती है कि नहीं।

चाहत की चाहत पूरी
कचरा बीनने वाली पांच वर्षीय मासूम चाहत जब भी हम उम्र बच्चों को स्कूल जाते हुए देखती थी तो उसे भी स्कूल जाने की इच्छा होती लेकिन, गरीबी आड़े आ जाती। महाकौशल के कटनी जिले में रहने वाली चाहत की स्कूल जाने की ख्वाहिश उसके जिले के कलेक्टर अवि प्रसाद ने पूरी कर दी है। दरअसल सोशल मीडिया पर मासूम बच्ची चाहत का कचड़ा बीनते हुए वीडियो वायरल हो रहा था, जिस शख्स ने बच्ची का वीडियो बनाया था ,उसने ही वीडियो बनाते समय बच्ची से पढ़ाई करने की बात पूछी थी, इस दौरान मासूम ने अपनी मंशा जाहिर करते हुए पढऩे की इच्छा व्यक्त की थी। वायरल वीडियो को संज्ञान में लेकर कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए। वहीं, इस तरह के कितने बच्चे हैं उसका भी पता लगवाने के आदेश जारी किए। निर्देश मिलते ही विभाग के सर्वे पर मिली तीन बच्चियों का स्थानीय शासकीय स्कूल में पहली कक्षा में दाखिला करवा दिया गया है।

बड़े जिले में फंस गए साहब
ग्वालियर-चंबल के एक जिले के कलेक्टर इनदिनों लगातार चर्चा में हैं। दरअसल 2010 बैच के ये प्रमोटी आईएएस अधिकारी जब से इस बड़े जिले के कलेक्टर बने हैं उनसे जाने अनजाने के ऐसे काम हो रहे हैं जिससे वे विवाद में फंस जाते हैं। इस बार वे यह कह कर चर्चा में आ गए हैं कि मैं सरकार के रोडमैप के भरोसे काम करता हूं। यानी उनके पास खुद का कोई विजन या रोडमैप नहीं है। वे सरकारी रोडमैप के भरोसे ही रहेंगे। उनका साफ कहना है कि वे सरकारी मुलाजिम हैं। राज्य सरकार की योजनाओं और प्राथमिकताओं पर ही काम करेंगें। इसके अलावा एक ओर कलेक्टर का कहना है कि वे सभी चीजों को समझ रहे हैं और वहीं उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जिले में जितना योगदान मिलना चाहिए उतना नहीं मिल रहा है, इशारा अधिकारियों की ओर था लेकिन, वे बोले की किसी व्यक्ति विशेष या वर्ग के लिए नहीं कह रहे हैं। लगता है साहब बड़े जिले में आकर फंस गए हैं।

पसीजा कलेक्टर का दिल
मालवा क्षेत्र के रतलाम जिले के कलेक्टर इनदिनों अपनी दरियादिली के कारण चर्चा में हैं। 2012 बैच के इन प्रमोटी आईएएस अधिकारी नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी को कड़क मिजाज के कारण उनका खौफ रहता है, लेकिन गतदिनों एक बच्ची की परेशानी सुन उनका दिल इस कदर पसीजा की इसकी चर्चा मंत्रालय में होने लगी। दरअसल एक छोटी बालिका जब अपनी परेशानी लेकर कलेक्टर से मिलने पहुंची। बालिका, दादी के साथ रहती है। दादी पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। ऐसे में वह अपनी दादी के साथ कलेक्टर के पास पहुंच गईं और एक आवेदन दिया। दादी ने बताया कि बच्ची एक निजी स्कूल की चौथी कक्षा की विद्यार्थी है। फीस नहीं देने के कारण उसे स्कूल से निकाल दिया गया। उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह पोती की फीस भरकर उसे पढ़ा सकें। बालिका की परेशानी को सुनकर कलेक्टर का मन इस कदर पसीजा की वे उसे स्कूल लेकर पहुंचे और स्कूल संचालक से कहा कि बालिका की पढ़ाई का पूरा खर्च प्रशासन उठाएगा। उसकी पढ़ाई में बाधा नहीं आना चाहिए।

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