मेंटाना पर सरकार की जारी है मेहरबानी

मेंटाना

हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र का सिंचाई महकमा अपने ही बहुचर्चित ठेकेदार राजू मेंटाना की कंपनी पर मेहरबानी दिखाने का मोह नहीं छोड़ पा रहा है। यही वजह है कि जब भी विभाग के अफसरों को मौका मिलता है, वे उसके उपकृत करने के लिए उनकी कंपनी को बतौर एडवांस में करोड़ों रुपए की राशि देने में पीछे नहीं रहते हैं। ऐसा ही एक और नया मामला सामने आया है, जिसमें विभाग द्वारा अब 16 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है। इसकी वजह से अब एक बार फिर विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। खास बात यह है कि यह राशि जिन योजनाओं के नाम पर जारी कर दी गई है, उनमें से किसी का भी अब तक कोई काम ही शुरु नहीं हुआ है। दरअसल इस राशि का भुगतान सूक्ष्म सिंचाई परियोजना पेंच-एक के नाम पर किया गया है। बतौर अग्रिम दी गई राशि का भुगतान दो किस्तों में किया गया है। यह राशि भी पाइप खरीदी के नाम पर दी गई है। खास बात यह है कि यह राशि ऐसे समय विभाग ने उन्हें अग्रिम भुगतान के रुप में जारी की है जब उनकी ही कंपनी के खिलाफ पूर्व में किए गए  887 करोड़ रुपये के अग्रिम भुगतान की जांच की जा रही है। यह राशि भी मेंटाना को कई परियोजनाओं के एवज में बतौर अग्रिम दी गई थी। हद तो यह है कि मेंटाना को उपकृत करने के लिए विभाग के अफसरों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशों की भी खिल्ली उड़ा दी है। दरअसल बिछुआ में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से मुख्यमंत्री ने साफ कहा था कि ठेकेदारों को राशि का अग्रिम भुगतान नहीं किया जाए। करें। मामले में विभाग के मैदानी अधिकारियों की शिकायत हुई है।
ठेकेदार राजू मेंटाना ने करीब पांच हजार करोड़ की छिंदवाड़ा कांप्लेक्स, 138 करोड़ की माइक्रो सिंचाई परियोजना पेंच एक का ठेका लिया है। इसमें से पेंच परियोजना के लिए करीब डेढ़ साल पहले 12 करोड़ रुपये ठेकेदार को दिए गए थे। करीब दो माह पहले ठेकेदार ने पाइप खरीदने के लिए फिर अग्रिम राशि मांगी और अधिकारियों ने चार करोड़ रुपये दे दिए। ठेकेदार ने किसानों को खेतों में पाइप बिछाने के लिए यह कहकर राजी कर लिया कि इससे इसी सीजन में सिंचाई के लिए पानी मिल जाएगा। कुछ खेतों में पाइप बिछाए भी गए, पर किसानों को पानी नहीं मिला। उन्हें अब भी निजी स्रोत से ही पानी लेना पड़ रहा है।
विवादों में घिरे हैं ठेकेदार मेंटाना
ठेकेदार राजू मेंटाना छिंदवाड़ा कांप्लेक्स और पेंच सिंचाई परियोजना काही काम नहीं देख रहे हैं, वे रतनगढ़, पार्वती, पॅच सहित अन्य नदियों पर आकार लेने वाली करीब सात परियोजनाओं का ठेका ले चुके हैं। इन परियोजनाओं को शुरू करने के लिए मशीनों की जरूरत है, जिन्हें खरीदने के लिए मेंटाना को 887 करोड़ रुपये अग्रिम दिए गए थे। इस मामले की जांच शासन स्तर पर पिछले दो साल से चल रही है। हालांकि इस मामले में ईओडब्ल्यू द्वारा इसी साल अप्रैल माह में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इसमें तत्कालीन प्रमुख अभियंता समेत चार इंजीनियरों को आरोपी बनाया गया है। विभाग के मुताबिक अगस्त 2018 से फरवरी 2019 के बीच बांध और हाई प्रेशर पाइप नहर प्रणाली के निर्माण के लिए टेंडर निकाले। विभाग ने सात सिंचाई प्रोजेक्ट के टर्नकी आधार पर 3,333 करोड़ रुपये के सात टेंडरों को मंजूरी दी थी। टर्नकी के आधार पर मंजूर टेंडरों का कार्य मुख्य रूप से बांध निर्माण और जलाशय से पानी की आपूर्ति के लिए निर्धारित प्रेशर पंप हाउस, प्रेशराइज्ड पाइप लाइन के साथ-साथ डिजाइन क्षेत्र के नियंत्रण उपकरण स्थापित करके सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति करना है। रीवा के मुख्य अभियंता गंगा कछार ने सरकार को जानकारी दी कि गोंड मेगा वृहद प्रोजक्ट के लिए शासन से 27 मई 2019 के आदेश में पेमेंट शेड्यूल की कंडिका 3 को शिथिल कर भुगतान कर दिया गया था। इसके बाद शासन ने इसकी पड़ताल की तो पाया कि शासन ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया। इस मामले में जानकारी सामने आई कि शासन की अनुमति के बिना ही इस शर्त को खत्म कर प्रमुख अभियंता ने अपने स्तर पर सभी अभियंताओं को पत्र जारी कर दिया, जबकि शासन और एजेंसी के बीच अनुबंध के बाद किसी भी शर्त को हटाया और जोड़ा नहीं जा सकता।  इस मामले में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस भी अधिकारियों को पूरी पड़ताल करने के निर्देश दे चुके हैं। खास बात यह है कि अभी सभी योजनाएं अधूरी हैं। इन में हनोता बांध एवं पाइप नगर प्रणाली निर्माण, बण्डा बांध एवं पाइप नगर प्रणाली निर्माण, गोंड बांध एवं पाइप नहर प्रणाली निर्माण, निरगुढ़ बांध एवं पाइप नहर प्रणाली निर्माण, घोघरी बांध एवं पाइप नगर प्रणाली निर्माण, वर्धा बांध एवं पाइप नहर प्रणाली निर्माण, सीता नगर बांध एवं पाइप नहर प्रणाली निर्माण की परियोजनाएं शामिल हैं।
बगैर पंप हाउस के कैसे पहुंचेगा पानी
इस पूरे मामले में बड़ा सवाल यह बना हुआ है कि जब पानी के लिए पम्प हाउस का ही निर्माण ही नहीं किया गया है तो आखिर पानी खेतों तक कैसे पहुंचाया जाएगा। वैसे कहा जा रहा है कि सीधे मोटर से पानी की सप्लाई की जाएगी।
ईडी कस रहा है शिकंजा
इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा भी पड़ताल शुरू कर दी गई है। मामले से जुड़े विभाग के पांच अधिकारियों की चल, अचल संपत्ति और नौकरी में आने से लेकर अब तक प्राप्त वेतन का हिसाब शासन से मांगा गया है। माना जा रहा है कि यह वे अफसर हैं, जो लगातार मेंटाना पर मेहरबान बने हुए हैं।

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