सत्र समाप्ति पर, लेकिन नहीं मिल सकीं बच्चों को गणवेश

बच्चों को गणवेश

तीन सालों से बना हुआ है इंतजार, विभाग नहीं ले सका समय पर फैसला  

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का स्कूल शिक्षा विभाग कितना गंभीर है, इससे समझा जा सकता है चालू सत्र अब समाप्ति की कगार पर है, लेकिन सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को वह गणवेश तक उपलब्ध नही करा सका है। ऐसे में स्कूलों की गणवेश व्यवस्था ही पूरी तरह से चरमरा गई है।
विभाग की तैयारी ऐसी है कि सत्र समाप्ति पर ही बच्चों को गणवेश मिल सकेगी।  इसकी बड़ी वजह है विभाग के आला अफसरों द्वारा इस मामले में  समय पर फैसला नही कर पाना। जिसका खामियाजा बच्चों व उनके अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में करीब 66 लाख बच्चे हैं जो सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं।  पूर्व में स्वसहायता समूहों द्वारा बनाई स्कूल ड्रेस घटिया होने की वजह से इस बार मामला ऐसा उलझा कि बच्चों को अब तक ड्रेस ही नहीं मिल सकी है।  यह बात अलग है कि इस बार भी अब जाकर यह काम एक बार फिर से स्वसहायता समूहों को ही दिया गया है। दरअसल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को नि:शुल्क दो जोड़ी ड्रेस हर साल दी जाती हैं। पिछले सालों में ड्रेस की राशि विद्यार्थियों की खातों में डाली जाती थी। जिससे विद्यार्थियों के अभिभावक राशि लेकर अपनी मर्जी से कही से भी ड्रेस सिलवा सकते थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद ड्रेस का काम पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत आजिविका मिशन के माध्यम से स्व सहायता समूह को दे दिया गया। जिससे हजारों महिलाओं को रोजगार मिल सके। लेकिन जब स्व- सहायता समूह के माध्यम से सिलकर स्कूल में यूनिफार्म पहुंची, तो उनकी क्वालिटी बहुत ही घटिया थी। साथ ही बच्चों की नाप के अनुसार उन्हें ड्रेस नहीं मिल सकी। इसके बाद कोरोना के चलते स्कूल बंद रहे। अब कोरोना की पाबंदी हटने के बाद स्कूलों का सत्र करीब समाप्ति के कगार पर ही  है। इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि स्व-सहायता समूह के माध्यम से ही ड्रेस सिलवाने का कार्य किया जाएगा। लेकिन स्व-सहायता समूह की पिछले बार की क्वालिटी व खामियों को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने कुछ शर्त रखी दी। इसमें क्वालिटी देखने के बाद ही पूरी राशि का भुगतान किया जाएगा। पंचायत विभाग के पास स्कूल शिक्षा से प्रस्ताव  पहुंचा तब पंचायत विभाग ने कुछ शर्तों को मानते हुए विद्यार्थियों की  ड्रेस स्वसहायता समूह से बनवाने का काम शुरू किया है, जिसकी वजह से लेकिन अभी तक 66 लाख विद्यार्थियों को ड्रेस नहीं मिल सकी है।
छह सौ रुपए कीमत की दी जाती हैं दो जोड़ी ड्रेस
प्रदेश के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को दो जोड़ी ड्रेस के लिए छह सौ रुपए की राशि दी जाती है।  हर साल राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा इस पर 390 करोड़ रूपए खर्च किए जाते हैं। दरअसल इस बार स्कूल ड्रेस वितरण के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने अलग-अलग प्रस्ताव तैयार किए थे। इसके तहत सीएम राइज के स्कूलों में पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को उनके बैंक खाते में दो जोड़ी ड्रेस के लिए 600 रुपए की राशि नकद दी जाएगी। जबकि अन्य सरकारी स्कूलों की शेष कक्षाओं में स्व- सहायता समूह के माध्यम से ड्रेस बनवाई जाएगी। लेकिन सीएम राइज स्कूलों के विद्यार्थियों को भी ड्रेस के लिए नगद राशि अब तक नहीं मिली है।

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