– आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों ने की सरकार से मांग…
भोपाल/विनोद उपाध्याय /बिच्छू डॉट कॉम। इस साल मई में राजस्थान सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कैटेगिरी के अभ्यर्थियों को बड़ी राहत देते हुए ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट की वैधता 3 साल कर दी है। ऐसे में अब मप्र के अभ्यार्थी भी मांग कर रहे हैं कि उनके ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट की वैधता 3 साल की जाए, ताकि उन्हें बार-बार परेशान न होना पड़े।
गौरतलब है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 10 प्रतिशत आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ से मान्यता मिल गई है। ऐसे में इस श्रेणी के उम्मीदवारों ने राज्य सरकार के सामने मांग रखी है कि उनके लिए बनाए जाने वाले ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट की वैधता बढ़ाकर कम से कम 3 साल की जाए। इसके लिए वे राजस्थान सरकार का उदाहरण पेश कर रहे हैं। राजस्थान में एक बार ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बनवाने के बाद उसे 3 साल के लिए मान्य किया जाता है।
31 मार्च तक ही वैध रहता है सर्टिफिकेट
उम्मीदवारों का कहना है कि प्रदेश में भर्तियां बहुत धीमी रफ्तार से निकल रही हैं, वहीं जो भर्ती निकलती हैं उनकी प्रक्रिया भी लंबी होती है। ऐसे में एक भर्ती के लिए ही हर साल सर्टिफिकेट बनवाने पड़ते हैं। यह समस्या सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के साथ सबसे ज्यादा है। यह समस्या इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट वित्तीय वर्ष के अनुसार 1 अप्रैल से 31 मार्च तक ही वैध रहता है। यानी सर्टिफिकेट कभी भी बनवाइए, 31 मार्च तक ही वैध रहेगा। इसके साथ ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों ने कुछ और डिमांड भी राज्य सरकार के सामने रखी हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री को ई-मेल किया है। मामले में राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का कहना है कि यह एक नीतिगत मामला है। इस मामले अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
3-3 बार सर्टिफिकेट बनवा चुके
मप्र में भर्तियों की रफ्तार धीमी और प्रक्रिया लंबी होने के कारण ईडब्ल्यूएस श्रेणी के उम्मीदवारों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। एमपीपीएससी-राज्य प्रशासनिक सेवा-2019 में आवेदन करने वाले ईडब्ल्यूएस श्रेणी के उम्मीदवारों ने कहा कि 3-3 बार सर्टिफिकेट बनवा चुके, लेकिन अब तक चयन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, जबकि उन्हें हर साल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए पूरी प्रक्रिया दोहरानी पड़ती है। कर्मचारी चयन मंडल- उच्च माध्यमिक और माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए सितंबर-अक्टूबर 2018 में आवेदन बुलाए। इसमें योग्य ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों की अभी तक भर्ती चल रही है। कई उम्मीदवार 3-3 बार ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बनवा चुके हैं।
आरक्षित वर्ग की तरह मिले लाभ
उम्मीदवार सर्टिफिकेट का टाइम पीरियड बढ़ाने के अलावा आवेदन शुल्क भी आरक्षित वर्ग की तरह लिए जाने की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि हम आर्थिक रूप से कमजोर हैं, इसलिए फीस भी अनारक्षित वर्ग के बराबर नहीं ली जानी चाहिए। एमपीपीएससी में अनारक्षित वर्ग की फीस 500 रुपए और आरक्षित वर्ग की 250 रुपए है। ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों का कहना है कि उन्हें भी आरक्षित वर्ग एससी, एसटी और ओबीसी के उम्मीदवारों की तरह ही सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना का लाभ दिया जाए। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में विभिन्न स्तरों पर सफल होने वाले जनजातीय वर्ग के उम्मीदवारों को प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर 40 हजार, मुख्य परीक्षा में पास होने पर 60 हजार और साक्षात्कार में सफल होने पर 50 हजार रुपए दिए जाते हैं। इसके लिए आय सीमा का बंधन नहीं होता है। इसी तरह मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के लिए भी प्रोत्साहन राशि दी जाती है।