बा खबर असरदार/साहब का बोरिया-बिस्तर बंधना तय

  • हरीश फतेह चंदानी
आईएएस अधिकारी

साहब का बोरिया-बिस्तर बंधना तय
1996 बैच के एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी इन दिनों केंद्र और राज्य सरकार की आंखों की किरकिरी बन गए हैं। इसकी वजह यह है कि साहब सबको एक लाठी से हांक रहे हैं। साहब का विभाग के मंत्रीजी से छत्तीस का आंकड़ा रहता है। मंत्री को भाव न देने की साहब की आदत इस कदर खराब हो गई है कि अब वे सभी को उसी तरह ट्रीट करने लगे हैं। विगत दिनों जब एक संसदीय दल मप्र के दौरे पर आया तो साहब का व्यवहार भी उनसे रूखा-सूखा रहा। बताया जाता है कि दल विभाग के बड़े साहब के साथ बैठक करके रणनीति बनाना चाहता था, लेकिन साहब ने बिना सोचे-समझे विभाग के सचिव को भेज दिया। बताया जाता है कि साहब की इस मनमानी पर संसदीय दल के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री तक शिकायत कर दी है कि आपके अधिकारी का व्यवहार ठीक नहीं है। हम दिल्ली से मप्र की पंचायतों का सर्वे करने यहां तक आ गए, लेकिन अफसर को हमसे मिलने की फुर्सत तक नहीं मिली। बताया जाता है कि संसदीय दल की शिकायत को सरकार ने गंभीरता से लिया है। माना जा रहा है कि विभाग से जल्द ही साहब का बोरिया-बिस्तर बंधने वाला है।

लड़े सिपाही नाम सरदार का
अक्सर देखा जाता है कि काम कोई करे, उसका श्रेय दूसरे लोग ले जाते हैं। लेकिन गत दिनों प्रदेश का एक पिछड़ा जिला शिक्षा के मामले में प्रदेशभर में अव्वल आया तो कलेक्टर साहब ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया कि लड़े सिपाही नाम सरदार का वाली बात यहां नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि आज जिले ने शिक्षा के क्षेत्र में जो रिकॉर्ड बनाया है, उसके पीछे शिक्षा विभाग और जिले के शिक्षकों की मेहनत है।  बता दें कि 2013 बैच के आईएएस अधिकारी जबसे बुंदेलखंड के इस जिले के कलेक्टर बने हैं, जिले में नए-नए नवाचार हो रहे हैं और जिला प्रादेशिक ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति पा रहा है। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग की रिपोर्ट में जिले में प्राथमिकता के आधार पर अनेक कार्य बिंदु निर्धारित किए गए थे। जिनमें कृत कार्यों को सामने रख जिलों की रिपोर्ट और रेकिंग बनाई है।  इन कार्यों को मुख्यत: बच्चों के नामांकन एवं ठहराव, गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक उपलब्धियां, शिक्षकों का व्यावसायिक विकास, समानता, अधोसंरचना एवं भौतिक सुविधाएं और सुशासन प्रक्रियाएं आदि को 6 मुख्य भागों में बांटा है। इन सभी को मिलाकर उक्त जिले में 100 में 83.81 अंक प्राप्त करते हुए ए ग्रेड में रहते हुए पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल किया है।

रसूख हो तो ऐसा…
2016 बैच की एक महिला आईएएस अधिकारी एक बार फिर चर्चा में हैं। इसकी वजह यह है कि 23 साल बाद भी मैडम ग्वालियर-चंबल अंचल से बाहर नहीं जा सकी हैं। यानी मैडम ने अपनी आधी से अधिक नौकरी अपने गृह संभाग में ही कर ली है। कुछ महीने पहले मैडम को अपर कलेक्टर बनाकर शिवपुरी भेजा गया था। मैडम को वहां भी आबोहवा अच्छी नहीं लगी, इसलिए उन्हें फिर से संभाग के सबसे प्रमुख जिले में स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर पदस्थ कर दिया गया है। अपर कलेक्टर शिवपुरी बनने से पहले भी उनके पास स्मार्ट सिटी मुख्य कार्यपालन अधिकारी का प्रभार था। मैडम इससे पहले 2012 से लेकर 2017 तक शिवपुरी में संयुक्त कलेक्टर, अपर कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ और रह चुकी हैं। 2016 में आईएएस बनने के बाद सरकार ने उन्हें फिर से अपर कलेक्टर शिवपुरी बना दिया है। 23 साल की नौकरी में वे कभी ग्वालियर-चंबल संभाग से बाहर नहीं निकली हैं। सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस की, मैडम का रसूख बराबर कायम रहा है। सूत्र बताते हैं कि उन्हें जल्द ही ग्वालियर संभाग के किसी जिले का कलेक्टर बनाया जा सकता है।

इस दर्द की दवा क्या है
प्रदेश के 2 बड़े विभागों सहित कई विभागों के मंत्री पद संभालने वाले एक मंत्रीजी इन दिनों दांत दर्द से परेशान हैं। आलम यह है कि लगातार इलाज के बाद भी साहब का दर्द कम नहीं हो रहा है। बताया जाता है कि साहब को उनके दोस्तों ने सलाह दी है कि वे एक जिस विभाग के मंत्री हैं, उस विभाग का टॉनिक सुबह, दोपहर, शाम लेने लगे तो दर्द कम हो सकता है। बताया जाता है कि तलवारबाजी का जौहर दिखाकर चर्चा में रहने वाले मंत्रीजी को सूझ नहीं रहा है कि वे करें तो क्या करें। क्योंकि दिन में वे टॉनिक ले नहीं सकते, इसलिए दर्द की नई दवा खोज रहे हैं। बताया जाता है कि विगत दिनों साहब का दर्द तेज हो गया था और वे कराह रहे थे। दर्द निवारक दवाएं भी दिनचर्या को सामान्य नहीं कर पा रही थी। इस अवस्था में विगत दिनों जब वे अपने जिले में पहुंचे तब भी हालत खराब ही थी। लेकिन मौके पर लोगों का हुजूम देखा तो तलवारबाजी के करतब शुरू कर दिए। करतब दिखाने के दौरान वाहवाही होने लगी तो मंत्रीजी का जोश भी परवान चढ़ गया। तब मंत्रीजी को अहसास हुआ कि भीड़ और भीड़ की वाहवाही मिलने लग जाए तो बड़े से बड़ा दर्द काफूर हो सकता है। इसलिए इन दिनों मंत्रीजी अधिक समय भीड़ से घिरे रहने की कोशिश करते हैं।

रातों रात आम से खास
शीर्षक पढ़कर आप भी आश्चर्यचकित हो रहे होंगे, लेकिन यह 100 फीसदी सही है। दरअसल, पिछले दिनों जब नगरीय निकाय चुनाव हो रहे थे, उस समय कई अनजान चेहरों ने भी राजनीति में दांव लगाया था। ऐसे ही चेहरों में से एक की इन दिनों राजधानी की प्रशासनिक और राजनीतिक वीथिका में खूब चर्चा हो रही है। जिनकी चर्चा हो रही है, वे महिला हैं। मैडम ने निकाय चुनाव के दौरान महापौर के लिए ताल ठोकी थी और आम आदमी पार्टी के टिकट पर नामांकन भी किया था। लेकिन ऐन मौके पर उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। बताया जाता है कि कुछ समय तक आम आदमी की श्रेणी में आने वाली मैडम इन दिनों खास लोगों की श्रेणी में आ गई हैं।

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