विधायकों की खराब परफॉर्मेंस ने… बढ़ाई भाजपा और कांग्रेस की चिंता

भाजपा और कांग्रेस
  • हार के डर से सुरक्षित सीट तलाश रहे विधायक

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव में भले ही अभी सवा महीने का समय बाकी है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस की तैयारियां जोरों पर है। दोनों पार्टियों की कोशिश है की 2023 में उनकी सरकार बने। लेकिन इस बीच विधायकों की खराब परफॉर्मेंस ने भाजपा और कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, दोनों पार्टियों के अंदरूनी सर्वे में उनके अधिकांश विधायकों की स्थिति खराब बताई गई है। ऐसे में पार्टियों में बदलाव की संभावनाओं पर चर्चा चल रही है, वहीं विधायक हार के डर से सुरक्षित सीट तलाशने लगे हैं।
प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उन विधायकों का टेंशन बढ़ गया है जिनका पार्टी सर्वे रिपोर्ट में परफॉर्मेंस खराब निकला है। भाजपा और कांग्रेस के आंतरिक सर्वे रिपोर्ट में कई विधायकों को डेंजर जोन में बताया गया है। कांग्रेस में ऐसे 27 और भाजपा में भी ऐसे ही कई विधायकों का टिकट संकट में पड़ गया है। ये विधायक अपने लिए सुरक्षित सीट तलाश रहे हैं। इन्हें डर है कि इस बार कहीं टिकट ही न कट जाए।
कांग्रेस के 27 विधायकों की स्थिति खराब
मप्र में अगले साल 2023 में विधानसभा चुनाव होना हैं। कांग्रेस पार्टी के आंतरिक सर्वे में मौजूदा 27 विधायकों की स्थिति खराब बताई गई है। कमलनाथ ने बीते दिनों प्रदेश कांग्रेस दफ्तर में हुई पार्टी की प्रदेश समिति प्रदेश बैठक में उन विधायकों को चेताया है जिनकी सर्वे रिपोर्ट में परफॉर्मेंस पुअर  है। कांग्रेस के आंतरिक सर्वे के बाद अब कांग्रेस के कई मौजूदा विधायक सीट बदलने के मूड में आ गए हैं। स्थानीय स्तर पर एंटीइंकंबेंसी के चलते पार्टी के कई सीनियर विधायक से लेकर नए विधायक सेफ सीट की तलाश में जुट गए हैं। यही वजह है कि कई विधायकों ने अपने विधानसभा से लगी दूसरी विधानसभा सीट पर भी अपनी सक्रियता तेज कर दी है। बताया जा रहा है कि कमलनाथ के इस गोपनीय सर्वे में उनकी सरकार में मंत्री रहे 8 विधायकों की रिपोर्ट खराब आई है। बताया जा रहा है कि पहली बार में इन्हें अपना परफॉर्मेंस सुधारने की चेतावनी दी जाएगी और फिर भी सुधार नहीं हुआ तो इनके टिकट भी काटे जा सकते हैं।
ये पूर्व मंत्री भी डेंजर जोन में
कमलनाथ अगले साल होने वाले चुनावों को लेकर काफी गंभीर हैं। सभी जानते हैं कि कमलनाथ की एक निजी एजेंसी लगातार सर्वे करती है। सूत्रों का कहना है कि अभी जो सर्वे करवाया गया है, उसमें कांग्रेस के कई विधायकों का परफार्मेंस गड़बड़ आया है। इसको लेकर कमलनाथ ने उन्हें चेतावनी भी दी है। सोशल मीडिया पर दौड़ रही इस गोपनीय सर्वे रिपोर्ट में 8 पूर्व मंत्रियों के नाम शामिल हैं, जिनका प्रदर्शन खराब आया है। इनमें कमलेश्वर पटेल, लखन घनघोरिया, हर्ष यादव, सज्जनसिंह वर्मा,  हुकुमसिंह कराड़ा, लाखन यादव, पीसी शर्मा और विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति शामिल हैं। इनकी रिपोर्ट आने के बाद कमलनाथ ने इन्हें अपने क्षेत्र में सक्रिय रहने को भी कहा है।
भाजपा में भी चिंता की लहर
सिर्फ कांग्रेस के अंदर ही विधायक सीट बदलने की तैयारी में नहीं हैं बल्कि भाजपा के अंदर भी आंतरिक सर्वे रिपोर्ट में कई विधायकों को डेंजर जोन में बताया गया है। हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनाव में आधा दर्जन मंत्री ऐसे निकल कर आए हैं जिनके प्रभाव वाले जिले में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा है। पार्टी की सर्वे रिपोर्ट में भी कई विधायकों की स्थिति ठीक नहीं बताई गई है। यही वजह है कि भाजपा के अंदर भी कई विधायकों ने दूसरी सीट तलाशना शुरू कर दिया है। हालांकि भाजपा विधायक कृष्णा गौर का कहना है भाजपा के अंदर पार्टी आलाकमान का फैसला ही सर्वमान्य होता है। जिस विधायक को पार्टी जहां से बोलेगी वहां से वह चुनाव लड़ेगा। भाजपा और कांग्रेस के अंदर मौजूदा विधायकों के साथ और भी कई दावेदार सक्रिय हैं। इनमें तो कई नये चेहरे भी हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी ने अपने जन्मदिन के बहाने हुजूर विधानसभा सीट के कोलार क्षेत्र में बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर 2023 के चुनाव की दावेदारी पेश कर दी है। भगवानदास सबनानी के होर्डिंग में क्षेत्र के मौजूदा विधायक रामेश्वर शर्मा का फोटो नहीं लगाया गया। मतलब साफ है कि नए चेहरों की दावेदारी और पुराने चेहरों की स्थिति को लेकर भाजपा के अंदर भी अब विधायक दूसरी सीट की तलाश में जुटे हुए हैं। जैसे ही चुनाव नजदीक आएंगे वैसे ही विधायक अपनी विधानसभा सीट पर अपनी स्थिति को भांपते हुए व पाला बदल दूसरी सीट पर किस्मत आजमाने की कोशिश कर सकते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के आंतरिक सर्वे में कई मंत्रियों के विधानसभा में चुनाव हारने की रिपोर्ट आई थी। कई मंत्रियों की सीट बदल दी गयी थी। लेकिन अपनी परंपरागत सीट पर चुनाव लड़ने वाले कई मंत्री विधायकी से हाथ धो बैठे थे। अब यही वजह है कि पार्टी सर्वे के आधार पर विधानसभा में अपनी स्थिति को बेहतर बनाने की कोशिश में विधायक हैं। जहां स्थिति नहीं सुधरेगी वहां विधायक दूसरी विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी ठोक सकते हैं।

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