कांग्रेस की वापसी मुश्किल: गुलाम नबी आजाद

 गुलाम नबी आजाद

बिच्छू डॉट कॉम। कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस अध्यक्ष को भेजे पांच पन्नों के त्यागपत्र में उन्होंने पार्टी आलाकमान पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आजाद ने कहा कि कांग्रेस लड़ने की अपनी इच्छाशक्ति और क्षमता खो चुकी है। कांग्रेस में हालात अब ऐसी स्थिति पर पहुंच गए है, जहां से वापस नहीं आया जा सकता है। गुलाम नबी आजाद ने दावा किया है कि पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए पत्र लिखने वाले 23 नेताओं को अपशब्द कहे गए, उन्हें गालियां दी गईं। उन्होंने लिखा कि पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए जिन 23 नेताओं ने पत्र लिखा, उन्हें अपमानित किया गया और नीचा दिखाया गया। सीनियर नेता ने कहा कि वह ‘भारी मन’ से यह कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकाली जानी चाहिए थी। आजाद ने कहा कि पार्टी में किसी भी स्तर पर चुनाव संपन्न नहीं हुए। मालूम हो कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजाद पार्टी के ‘जी23’ समूह के प्रमुख सदस्य रहे हैं। इस गुट के नेताओं ने ही कांग्रेस की कमजोरियों को लेकर पार्टी आलाकमान के पत्र लिखा था। हाल ही में उन्होंने जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चुनाव अभियान समिति के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया था।

वहीं, नेशनल कांफ्रेंस (NC) के नेता उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस से गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे को पार्टी के लिए बड़ा झटका बताया है। उन्होंने कहा एक इतनी पुरानी पार्टी का पतन देखना ‘दुखद’ और ‘खौफनाक’ है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘लंबे समय से ऐसी अटकलें थीं… कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका है। शायद हाल के दिनों में पार्टी छोड़ने वाले वह सबसे वरिष्ठ नेता हैं, उनका इस्तीफा बेहद दुखद है। इतनी पुरानी पार्टी का पतन होते देखना दुखद और खौफनाक है।’ कांग्रेस नेता अजय माकन ने इस प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘हमने आजाद साहब का पत्र देखा। दुख की बात है कि उन्होंने ऐसे समय में कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया जब कांग्रेस देश भर में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, ध्रुवीकरण की लड़ाई लड़ने जा रही है। दुख की बात है कि वे इस लड़ाई में हिस्सा नहीं बन रहे।’ वहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘इंदिरा गांधी जी के वक्त से ये (गुलाम नबी आजाद) इनर कैबिनेट के मेम्बर थे। आज भी सोनिया गांधी के बहुत करीब थे। बड़ा अफसोस है मुझे कि ऐसा क्या हो गया कि इन्हें इतना बड़ा फैसला लेना पड़ा।’

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