सूबे के सरकारी स्कूल के बच्चे बगैर ड्रेस स्कूल जाने को मजबूर

सरकारी स्कूल
  • नए सत्र के तीन माह निकले, नहीं किया गया छह सौ रुपए का भुगतान

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। कोबिड के चलते बंद रहे स्कूल इस नए सत्र में खुले तो , लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। नए सत्र के तीन माह गुजर जाने के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग बच्चों को ड्रेस नहीं दे पाया है। इसकी वजह से बच्चे अब भी बगैर ड्रेस स्कूल जाने को मजबूर बने हुए हैं। दरअसल इस बार विभाग ने बच्चों को ड्रेस के लिए  छह सौ रुपए उनके खाते में भेजने का तय किया है।
यह पैसा कब खाते में डाला जाएगा कोई नहीं जानता है। खास बात यह है की दो ड्रेस के लिए बच्चों को महज छह सौ रुपए देना तय किया गया है। इतनी राशि में अच्छी गुणवत्ता की दो जोड़ ड्रेस आना मुश्किल है।  यही नहीं पैसा खाते में आने के बाद एक हफ्ते का कम से कम समय ड्रेस बनने में लगना तय है। इसकी वजह से सरकारी स्कूलों में पढ़ने  वाले 66 लाख विद्यार्थी अब भी बगैर ड्रेस के स्कूल आने को मजबूर बने हुए हैं। दरअसल पिछले सालों में स्वसहायता समूहों द्वारा तैयार की गई स्कूल ड्रेस की क्वालिटी खराब होने के चलते इस बार मामला उलझ गया है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को नि:शुल्क दो जोड़ी ड्रेस दी जाती हैं। पूर्व के सालों में ड्रेस की राशि विद्यार्थियों की खातों में डाली जाती थी। जिससे अभिभावक अपनी मर्जी से कही से भी ड्रेस ले सकते थे। इसके बाद इसमें बदलाव करते हुए ड्रेस का काम पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत आजीविका मिशन के माध्यम से स्व सहायता समूह को दे दिया गया था, लेकिन  जब स्व-सहायता समूह के माध्यम से स्कूल में यूनिफार्म पहुंची, तो उनकी क्वालिटी बहुत ही घटिया और बच्चों के नाप के अनुसार नहीं थीं।
इसकी वजह से एक बार फिर व्यवस्था में बदलाव कर दिया गया। कहा तो यह भी जा रहा है की ड्रेस  का काम एक बार फिर स्व-सहायता समूहों को दिया जा सकता है। इसके लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं। जिसमें प्रमुख रुप से क्वालिटी देखने के बाद ही पूरी राशि का भुगतान करना शामिल है। इसके बाद से ही प्रस्ताव पंचायत विभाग के पास ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ। इस मामले में अब तक कोई फैसला नहीं ले पाने की वजह से प्रदेश के सरकारी स्कूलों के करीब 66 लाख बच्चों को अभी तक ड्रेस नहीं मिल पा रही है।
600 रुपए में दो जोड़ी यूनिफॉर्म पर सवाल
कोरोना के चलते वर्ष 2021 के सत्र में यूनिफॉर्म बांटी ही नहीं गईं। अब इस बार इंतजार हो रहा है, लेकिन किसी स्कूल में यूनिफॉर्म पहुंची नहीं हैं। अब कहा जा रहा है की उन्हें नकद राशि दी जाएगी। यह राशि छह सौ रुपए होगी। महंगाई के इस दौर में 600 रुपए में दो जोड़ी यूनिफॉर्म की बात सुनकर अभिभावकों से लेकर दुकानदान भी हैरान हैं। बाजार में यूनिफॉर्म के पैंट के कपड़े की कीमत 200 रुपए और शर्ट के कपड़े की कीमत 150 रुपए है। यही नहीं आठवीं के बच्चे की यूनिफॉर्म का कपड़ा कम से कम 600 रुपए में आ रहा है। इसी तरह से छात्राओं की ड्रेस का कपड़ा भी इसी कीमत में है। इसके बाद अभिभावकों को 250 से 300 रुपए सिलाई के लिए भी देने होंगे। उल्लेखनीय है की 2017 तक दो जोड़ी यूनिफॉर्म के लिए 400 रुपए दिए मिलते थे, लेकिन 2018 में इस बढ़ाकर 600 रुपए कर दिया गया था।
दो जोड़ी ड्रेस के लिए 600 रुपए
प्रदेश के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को दो जोड़ी ड्रेस के लिए छह सौ रुपए की राशि तय है। इसके लिए हर साल राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा 390 करोड़ रूपए खर्च करता है। गुणवत्ता का परीक्षण कराने की शर्त की वजह से पंचायत विकास विभाग असमंजस में बना हुआ है। स्कूल शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों के बच्चों की ड्रेस के लिए बीते सालों में  75 फीसदी राशि बतौर अग्रिम देता था, लेकिन इस बार स्कूल शिक्षा विभाग ने इस राशि को पचास प्रतिशत कर देने की शर्त रखी है। इसमें कहा गया है की जब यह ड्रेस आ जाएगी , तो उसकी गुणवत्ता देखी जाएगी, अगर वह सही पायी जाती है तो शेष पचास फीसदी राशि का भुगतान कर दिया जाएगा।
इन्हें नकद मिलेगी राशि
स्कूल ड्रेस के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने अलग-अलग प्रस्ताव बनाए हैं। इसके तहत सीएम राइज स्कूलों में पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को उनके बैंक खाते में दो जोड़ी ड्रेस के लिए 600 रुपए की राशि डाली जाएगी। इसी तरह से अन्य सरकारी स्कूलों में पढ़ने  वाले पांचवीं-आठवीं के विद्यार्थियों को भी नकद राशि ही खाते में डाली जाएगी। जबकि सरकारी स्कूलों की शेष कक्षाओं में स्व-सहायता समूह के माध्यम से ड्रेस बनवाकर प्रदाय की जाएगी।

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