सूबे में जल्द शुरू होगा रामगमन पथ का काम, तीन सौ करोड़ के प्रस्ताव स्वीकृत

रामगमन पथ
  • केंद्र सरकार 60 तो राज्य सरकार देगी 40 फसदी राशि

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश  की शिवराज सरकार ने नई तैयारी में है। दरअसल जल्द राम वन गमन पथ का काम शुरू हो जाएगा। इसके लिए धनराशि का भी प्रबंध कर लिया गया है। परियोजना में यात्रियों की सुविधा पर फोकस रखा जाएगा। 300 करोड़ की शुरूआती परियोजना के लिए केंद्र सरकार 60 प्रतिशत तो राज्य सरकार द्वारा 40 प्रतिशत राशि का योगदान दिया जाएगा।
सरकार द्वारा बनाई योजना के तहत पहले चरण में मूलभूत सुविधाएं विकसित की जाएगी।  एक बोर्ड भी गठित किया जाएगा। 300 करोड़ के प्रस्ताव को अनुमति दी गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग सहित अन्य संबंधित विभाग के अधिकारी को इसमें शामिल किया जाएगा। बोर्ड गठित होने के साथ ही किसी भी निर्णय को लेने में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी। साथ ही सरकार राम वन गमन पथ न्यास का भी गठन करेगी। मामले में संस्कृति मंत्री उसे ठाकुर का कहना है कि राम वन गमन पथ को धरातल पर उतारना हमारा लक्ष्य है। इसके लिए जल्द प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जानकारी के मुताबिक परियोजना के पहले चरण मैं श्रद्धालुओं के लिए रात्रि विश्राम, फुटपाथ निर्माण, सड़क, भोजन और साधन के उपयुक्त वातावरण तैयार किए जाएंगे। साल 2019 में कमलनाथ सरकार द्वारा कार्य योजना तैयार की गई थी। जिसके लिए 22 करोड़ रुपए का बजट दिया गया था। रामपथ गमन में चित्रकूट पन्ना बागबाहरा रामघाट, राम मंदि तालाब, रामनगर, मंडला शहडोल डिंडोरी और अमरकंटक को शामिल किया जाएगा। पथ में पन्ना की प्राणनाथ मंदिर, राम जानकी मंदिर, जुगल किशोर मंदिर, बलदेव जी मंदिर, गोविंद शिव मंदिर के दर्शन होंगे। साथ ही अमरकंटक में नर्मदा उद्गम, श्री यंत्र मंदिर, बटेश्वर महादेव कपिलधारा बागबाहरा में बांधवगढ़ नेशनल पार्क, बांधवगढ़ फोर्ट, सागर झील, राम घाट, जबलपुर चौंसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट योगिनी मंदिर देखने को मिलेगा।
कांग्रेस बता रही चुनावी शिगूफा
राम वन गमन पथ योजना को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोला है। कांग्रेस का कहना है की भाजपा ने धोखे से सत्ता हासिल की और उसके बाद जितना समय उसे मिला, उसमें काम करने की जगह वह हिंदुत्ववादी एजेंडे को लागू करने में लगी रही। अब चुनाव से पहले उसे भगवान राम याद आ रहे हैं। जबकि राम वन गमन पथ योजना हमारी सरकार में ना केवल शुरू हुई, बल्कि उस पर तेजी से काम भी हो रहा था। यहां तक कि प्रोजेक्ट की डीपीआर भी तैयार हो गई थी, लेकिन भाजपा बीते कई सालों से सिर्फ अपने घोषणापत्र में ही राम वन गमन पथ का नाम लेती थी, उस पर काम नहीं करती थी।  
मप्र के हिस्से का श्री राम वन गमन पथ
अयोध्या से प्रयागराज होते हुए चित्रकूट के बाद एमपी के सतना जिले की सीमा लगती है। 14 वर्ष के वनवास काल के दौरान भगवान श्री राम ने चित्रकूट में 11 वर्ष 11 माह और 11 दिन बिताए थे। ऐसे में 80 फीसदी राम की लीला एमपी के हिस्से में हुई है। इसके बाद यह पथ पन्ना, अमानगंज, कटनी, जबलपुर, मंडला, डिंडोरी, शहडोल होते हुए अमरकंटक तक जाता है। इसके आगे सरगुजा में सीता कुंड से छत्तीसगढ़ की सीमा लग जाती है। इसका समापन छत्तीसगढ़ के कोरिया में होता है। 2007 में श्रीराम वन गमन पथ की योजना बनाई गई थी। इसके बाद 14 सालों तक इस पर कोई काम ही नहीं किया गया है।
एक बार टेंडर की जा चुके
मध्य प्रदेश सरकार सिर्फ राज्य के अंदर वाले क्षेत्र में इस मार्ग का निर्माण करेगा। पहले धार्मिक न्यास विभाग ने राम वन गमन पथ के निर्माण का कार्य एमपीआरडीसी को दिए थ। .इसके लिए 50 लाख रुपये दिया गया था.एमपीआरडीसी ने डीपीआर बनाने के लिये ख्यात कंपनियों को टेण्डर भी जारी कर दिये थे। किन्तु जब पता चला कि करीब 14 सौ किमी के इस मार्ग के बीच आने वाले धार्मिक स्थलों पर भी यातायात,पार्किंग,चौड़े मार्ग,धमार्लुओं के ठहरने की सुविधा आदि भी विकसित की जाना है तथा इसके लिये संबंधित जिलों की विकास योजनाओं में बदलाव करने होंगे,जिसकी वजह से वह टेंडर टेण्डर निरस्त कर दिया गया था।

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