शिव मंत्रिमंडल में मिलेगी विंध्य व महाकौशल को भागीदारी!

शिव मंत्रिमंडल
  • पुर्नगठन की सुगबुगाहट शुरू, कई मंत्रियों के विभागों में होगा फेरबदल

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव होने के बाद अब शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट तेज हो गई है। माना जा रहा है की इस पुर्नगठन में विंध्य और महाकौशल अंचल की प्रथमिकता के आधार पर भागीदारी बढ़ाई जाने की तैयारी है। दरअसल निकाय चुनाव में भाजपा को इन दोनों अंचलों के साथ ही ग्वालियर अंचल में भी नगर निगमों के महापौर चुनाव में बड़ा झटका लगा है। यही वजह है की अब सवा साल बाद होने वाले विधानसभा के आम चुनावों को देखते हुए मंत्रिमंडल पुर्नगठन पर गंभीरता से विचार विमर्श शुरू कर दिया गया है।
इसके लिए पार्टी के अंदर मंत्रियों के विभागों के कामकाज की समीक्षा का दौर बीते छह माह से जारी है। माना जा रहा है की जिन मंत्रियों का प्रदर्शन कमजोर रहा है या जिनकी शिकायतें अधिक हैं, उनके विभागों में परिवर्तन कर उन्हें कम महत्व वाले विभागों का दायित्व दिया जाएगा। दरअसल संगठन व सरकार चुनाव के ठीक पहले मंत्रियों की छुट्टी कर नया विवाद खड़ा करने के मूड में नही है। सरकार में फिलहाल चार मंत्री पद खाली हैं। माना जा रहा है की जल्द ही तीन नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। इन पदों पर तीन अलग-अलग अंचलों से आने वाले एक- एक विधायक को शपथ दिलाने की संभावना बनती दिख रही है। हालांकि मंत्री पद के दावेदारों में आधा दर्जन से अधिक नामों की चर्चा है। माना जा रहा है की जिन जिलों में नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव के परिणाम पार्टी की अपेक्षा अनुसार अच्छे नहीं रहे हैं, वहां भी पार्टी बदलाव कर सकती है। चूंकि मौजूदा समय में मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और जातीय असंतुलन है। सबसे अधिक विधायक जिताकर भेजने वाले विन्ध्य को मंत्रिमंडल में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। इसलिए इस बार इस क्षेत्र को अधिक तवज्जो मिल सकती है। वहीं मंत्रिमंडल में महाकौशल को जगह मिल सकती है, क्योंकि इस क्षेत्र से अभी एक ही राज्यमंत्री रामकिशोर कावरे हैं। वहीं सिंधिया खेमे से कुछ मंत्रियों के विभाग बदलने की चर्चाएं तेज हो गईं हैं। प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं लंबे समय से चल रही हैं। लेकिन नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के बाद इसकी अटकलें और अधिक तेज हो गई हैं। जिस तरीके से भाजपा को कई जिलों में नगर निगम, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में रीवा, सीधी, सतना, दमोह, टीकमगढ़, मुरैना, छिंदवाड़ा, जबलपुर, ग्वालियर आदि जिलों में अपेक्षाकृत अच्छे परिणाम नहीं मिले हैं, उसे देखते हुए पार्टी में चिंतन-मंथन का दौर शुरू हो गया है।
इसलिए मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है।  चूंकि सवा साल बाद विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में पार्टी को अभी से लाव-लश्कर के साथ मैदान में उतरना होगा। इसलिए पार्टी क्षेत्रीय, जातीय संतुलन के साथ ही निकाय चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। बताया जा रहा है कि अगले महीने शुरू हो रहे मानसून सत्र से पहले प्रदेश में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। हाल ही में हुई भाजपा संगठन की बैठक में इस संबंध के संकेत मिले थे। हाल ही में राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश एवं क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल के दौरे के दौरान भी मंत्रिमंडल विस्तार पर मंथन हुआ। सूत्रों की मानें तो संगठन स्तर पर भी इसकी सहमति मिल गई है।
 दावेदारों की लंबी लाइन
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चौथी पारी में सीएम के सामने कैबिनेट विस्तार को लेकर लंबे समय से नामों को लेकर उलझन बनी हुई है, क्योंकि मंत्रिमंडल में खाली चार पदों पर कई विधायकों की निगाहें टिकी हुई हैं। पिछली बार मंत्रिमंडल विस्तार में सीएम शिवराज के करीबी कई विधायक मंत्री नहीं बन पाए थे। जो अब फिर से मंत्री पद की उम्मीद में हैं। इनमें राजेंद्र शुक्ला, रामपाल सिंह, संजय पाठक अजय विश्नोई, नागेंद्र सिंह, रमेश मेंदोला, गिरीश गौतम, पारस जैन, प्रदीप लारिया, गायत्री राजे पवार सहित अन्य कई विधायकों के नाम हैं। हालांकि जैसे-जैसे सरकार को समय बीतता जा रहा है वैसे-वैसे दावेदारों की रुचि भी कम होती जा रही है। इस बार विस्तार में अंचलों का समीकरण भी बैठाया जाएगा।  फिलहाल सबसे ज्यादा मंत्री ग्वालियर चंबल से हैं, यहां हर दूसरा विधायक मंत्री है, जबकि विंध्य और महाकौशल में सबसे कम मंत्री हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार विंध्य और महाकौशल से मंत्री बनाए जा सकते हैं जबकि मालवा-निमाड़ को भी मौका मिलना तय माना जा रहा है।
जातिगत समीकरणों पर होगा मंत्रिमंडल विस्तार
खास बात यह है कि अगर शिवराज सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार होता है तो उसके जातिगत समीकरणों के आधार पर होने के पूरे चांस हैं , क्योंकि पार्टी हाईकमान पहले ही  जातिगत लीडरशिप डेवलप करने को कह चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि समुदाय के हिसाब से ही मंत्री बनाए जा सकते हैं।  बताया जा रहा है कि आदिवासियों को साधने के हिसाब से आदिवासी वर्ग से भी एक मंत्री बनना तय है। जोबट सीट से उपचुनाव जीतने वाली आदिवासी समुदाय से सुलोचना रावत को भी मंत्री पद दिए जाने की चर्चा है, रावत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई थीं, तब उन्हें मंत्री बनाए जाने का आश्वासन दिया गया था।

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