अपने ही बनाए आदेश का पालन नहीं करता वन विभाग, अब शुरू हो गया विवाद

 वन विभाग
  • याचिकाकर्ता की आवेदन पर 15 दिन में करे सुनवाई …

भोपाल/गणेश पाण्डेय/बिच्छू डॉट कॉम। वन विभाग के वर्किंग प्लान बनाने संबंधित अधिकारियों की पदस्थापना को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। वन विभाग की पदस्थापना आदेश से प्रभावित कटनी वन संरक्षक रमेश चंद्र विश्वकर्मा ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी है। अपनी याचिका में विश्वकर्मा ने उल्लेख किया है कि वन विभाग जून 2020 को जारी अपने ही आदेश का पालन नहीं करवाने में अक्षम रहा है। याचिका में उल्लेख है कि विभाग ने चहेते और वरिष्ठ आईएफएस अफसरों से वर्किंग प्लान नहीं बनवाया। जूनियर आईएफएस खासकर सेवा के 3 साल से कम अवधि शेष रहते हुए वर्किंग प्लान बनवाया जाना न्यायसंगत नहीं है।  केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने न्यायिक सदस्य रमेश सिंह ठाकुर कटनी वन संरक्षक विश्वकर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए वन विभाग को निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ता से नए आवेदन लेकर 15 दिन में सुनवाई करें। याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए सभी बिंदुओं का कारण बताते हुए निराकरण करें। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में 5 जून 2020 के उस आदेश को संलग्न किया है, जिसमें मुख्य वन संरक्षक, वन संरक्षक और उप वन संरक्षक वर्किंग प्लान बनवाने का फरमान दिया गया है। इसके साथ ही वन संरक्षक  विश्वकर्मा ने याचिका के साथ उन आईएफएस अफसरों के नाम का उल्लेख किया है, जिनसे जून 2020 के आदेश का पालन नहीं करवाया गया। यानी उन्हें वर्किंग प्लान बनाने की छूट दी गई है। ऐसे अधिकारियों में बीएस बघेल, हरीश चंद्र गुप्ता, उत्तम शर्मा, राजेंद्र प्रसाद राय, सुनील कुमार सिंह और देवाप्रसाद प्रमुख है।
क्यों लेना पड़ी कैट की शरण?
 कटनी वन संरक्षक रमेश चंद शर्मा की वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए वन विभाग ने उनसे जूनियर कमल अरोरा को जबलपुर सर्किल में केडर में निर्धारित मुख्य वन संरक्षक के पद पर पदस्थ कर दिया गया। विभाग में चर्चा है कि कमल अरोड़ा की पदस्थापना मैनेजमेंट कोटे से की गई, यही कारण है कि वरिष्ठता सूची में जूनियर रहते हुए भी अरोरा को मुख्य वन संरक्षक जबलपुर में पदस्थापना से विश्वकर्मा अपमानित महसूस करने लगे थे। इसके अलावा विभाग के मुखिया को एक अभ्यावेदन देकर अपनी सेवानिवृत्ति का उल्लेख करते हुए वर्किंग प्लान में पदस्थ न किए जाने का आग्रह किया था। विभाग ने उनकी आवेदन को गंभीरता से लेते हुए 27 जुलाई को आदेश जारी कर रमेश चंद विश्वकर्मा को वर्किंग प्लान जबलपुर के पद पर पदस्थ कर दिया गया।
 रसूखदारों ने कराया था 2017 में संशोधन
वन विभाग में वर्किंग प्लान बनाया जाना अनिवार्य रहा। यहां तक की प्रतिनियुक्ति पर लौटने के बाद भी चितरंजन त्यागी और आरआर ओखण्डियार को भी वर्किंग प्लान बनाना पड़ा था। सत्ता में दखल रखने वाले 1999 और 2000 बैच के आईएफएस अफसरों ने तत्कालीन वन मंत्री पर दबाव बनाकर 2017 में संशोधन कराया कि जिनका प्रमोशन सीसीएफ के पद पर ड्यू है और जिन की सेवा 3 साल से कम है उन्हें वर्किंग प्लान बनाने से राहत दी जाए। जुलाई 2020 की पॉलिसी में मुख्य वन संरक्षक से लेकर वन संरक्षक को वर्किंग प्लान बनाने के लिए कहा गया है। जबकि वर्ष 2005 और 2011 में यह प्रावधान किया गया था कि जिन आईएफएस अफसरों के 3 साल से कम सेवाएं रह गई है, उनसे वर्किंग प्लान ना बनवाया  जाए। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि एक वर्किंग प्लान बनाने में कम से कम 3 साल का समय जाया होता है।
इंडक्शन कोर्स नहीं करने पर पीएस खफा
मैनेजमेंट कोटे से सीसीएफ का पद हथियाने वाले प्रमोटी आईएफएस कमल अरोरा को इंडक्शन कोर्स पर ना जाना  पड़े, इसके लिए वे मेडिकल अवकाश पर चले गए थे। सूत्रों का कहना है कि इससे प्रमुख सचिव वन नाराज हुए और अवकाश से लौटने पर उन्हें चार्ज नहीं देने के मौखिक निर्देश भी दे दिए। यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि प्रमोटी आईएफएस को इंडक्शन कोर्स करना जरूरी रहता है। कोरोना काल के चलते 2 साल से  अरोरा का इंडक्शन कोर्स नहीं हो पाया था। पिछले महीने जब आदेश हुआ तब वे मेडिकल अवकाश में चले गए।

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