अनुपयोगी संपत्तियों को बेचकर खजाना भर रही सरकार

अनुपयोगी संपत्तियों
  • मप्र में राज्य शासन की मृतप्राय और अनुपयोगी संपत्तियों की बन रही सूची

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में फैली राज्य शासन की ऐसी संपत्तियां जो मृतप्राय हैं और जिनका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है, सरकार उनको बेचकर अपना खजाना भर रही है। शासन का मानना है कि इन संपत्तियों पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण हो रहे हैं। ऐसे में इन संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन करना जरूरी है। इसी के लिए सरकार ने लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग बनाया है। विभाग प्रदेशभर की अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों को सूचीबद्ध कर रहा है। इसी कड़ी में प्रदेश सरकार ने बीते सवा महीने में 107 करोड़ रुपए में दस परिसंपत्तियों को नीलामी के जरिए बेच चुकी है।
दरअसल, सत्ता में आने के बाद से ही खजाना खाली होने के चलते प्रदेश की शिवराज सरकार लगातार आय के साधन को बढ़ाने में जुटी हुई है। राजस्व में बढ़ोत्तरी के लिए आए दिन बड़े-बड़े फैसले लिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब सरकार प्रदेश भर में मौजूद अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों को बेच रही है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार की कहां, कितनी संपत्ति है, उसका क्या व्यावसायिक या अन्य उपयोग किया जा सकता है। इसका प्रबंधन करने के लिए सरकार ने एक अलग लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग बनाया है। यह विभाग प्रदेशभर में सरकारी संपत्तियों की सूची तैयार कर रहा है।  विभाग संपत्ति के रखरखाव के साथ उसके औचित्य का निर्धारण भी कर रहा है। सरकार को इस संपत्ति के बारे में राय दे रहा है कि उसे बेचना उचित है या नहीं। उसका किस तरह से व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है।
107 करोड़ में10 परिसंपत्तियां बेंची
जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने बीते सवा महीने में 107 करोड़ रुपए में दस परिसंपत्तियों को नीलामी के जरिए बेच दिया है। इन परिसंपत्तियों के लिए रिजर्व प्राइस से सरकार को डेढ़ से तीन गुना तक फायदा हुआ है। अभी तक सरकार 43 परिसंपत्तियों को बेच चुकी है और 39 संपत्तियों को बेचने की टेंडर प्रक्रिया चल रही है। सवा माह के भीतर सरकार ने 68,965 वर्गमीटर जमीन बेची है। बेकार पड़ी परिसंपत्तियों को बेचने के कारण केंद्र से मप्र को 1,005 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सहायता मिलेगी। मप्र सरकार ने 26 सितंबर 2020 में अनुपयोगी परिसंपत्तियों को बेचने का निर्णय लिया। इसके बाद 69 विभागों की 2 हजार परिसंपत्तियों की सूची तैयार की गई। जिसमें से 444 शासकीय कार्य के लिए उपयोगी पाई गईं। इन परिसंपत्तियों के लिए निर्धारित मूल्य से सरकार को तीन गुना तक फायदा हुआ है। बीते सवा महीने में दस परिसंपत्तियों को 107 करोड़ 42 लाख रुपए में बेचा गया।
प्रदेश के बाहर की संपत्तियां भी बिकेंगी
मप्र के बाहर शासकीय परिसंपत्तियों से आय बढ़ाने के लिए सरकार उनका नए सिरे से उपयोग करेगी। इसके लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने पुनर्घनत्वीकरण नीति 2016 में बदलाव का मसौदा तैयार किया है। इसके तहत मप्र के स्वामित्व वाली वे संपत्तियां जो अन्य राज्यों में है और अविवादित हैं, उन्हें नीति में शामिल किया जाएगा। वहीं, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के माध्यम से विभिन्न विभागों की अनुपयोगी परिसंपत्तियों को नीलाम करने कार्रवाई शुरू कर दी गई है। शहरी क्षेत्रों में स्थित शासकीय भवन और परिसरों के नए सिरे से उपयोग के लिए पुनर्घनत्वीकरण नीति 2016 में लागू की गई थी। इसका दायरा सीमित था लेकिन अब इसके विस्तार की जरूरत महसूस की जा रही है। इसे देखते हुए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नीति में संशोधन का मसौदा तैयार किया है। सूत्रों के मुताबिक निगम, मंडल, प्राधिकरण और नगरीय निकायों के भवन या परिसर भूमि का नए सिरे से उपयोग किया जा सकेगा। प्रदेश के बाहर स्थिति अविवादित और अनुपयोग संपत्ति भी नीति के दायरे में आएगी। प्रदेश की उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में संपत्तियां हैं। पुनर्घनत्वीकरण के अलावा उन संपत्तियों को नीलाम करने की प्रक्रिया भी चल रही है, जो अनुपयोगी हैं। इसके लिए अब लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग बनाया गया है। सभी विभागों ने अपनी परिसंपत्तियों की जानकारी इस विभाग के पोर्टल पर दर्ज की हैं। विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई की लगातार समीक्षा मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस कर रहे हैं। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राजस्व, वित्त, लोक निर्माण सहित अन्य विभागों का अभिमत लिया जा रहा है। मप्र राज्य परिवहन निगम की कई संपत्तियां गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व अन्य राज्यों में भी हैं। उनमें से कई सम्पत्तियों की हालत यह है कि कहीं तो दबंगों ने इन पर कब्जा कर लिया है तो कहीं स्थानीय सरकार ने। महाराष्ट्र के नागपुर में भी मप्र राज्य परिवहन निगम का एक संपत्ति थी, जिस पर महाराष्ट्र सरकार ने गरीबों के आवास बना दिए हैं।

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