ब्यूरोक्रेसी की फाइलों में अटक गई तीर्थ दर्शन ट्रेनें

तीर्थ दर्शन ट्रेनें
  • धर्मस्व मंत्री की बार-बार की कोशिश पर पानी फेर रहे अफसर …

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना संक्रमण के कारण करीब दो साल के ब्रेक के बाद 28 अप्रैल को बुजुर्गों को देश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों की यात्रा ट्रेन से नि:शुल्क कराने के लिए सरकार ने तीर्थ दर्शन योजना बड़े इरादों और वादों के साथ शुरू की गई थी। लेकिन शुरूआती 4 तीर्थ दर्शन के बाद यात्रा आगे ही नहीं बढ़ पाई। तीर्थ दर्शन की ट्रेनें ब्यूरोक्रेसी की फाइलों में इस कदर अटक कर रह गई हैं, कि धर्मस्व मंत्री की बार-बार की कोशिश के बाद भी अगले तीर्थ स्थल के दर्शन के लिए टे्रन नहीं जा पा रही है।
गौरतलब है कि इस साल तीर्थ दर्शन यात्रा के लिए पहली ट्रेन 19 अप्रैल को रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से काशी विश्वनाथ दर्शन के लिए रवाना हुई थी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि अब तीर्थ दर्शन की ट्रेनें नहीं रुकेंगीं। लेकिन शुरूआती 4 तीर्थ दर्शन के बाद यात्रा आगे ही नहीं बढ़ पाई। विभागीय मंत्री उषा ठाकुर भी ट्रेनों की निरंतरता टूटने से नाराज बताई जा रही हैं।
अब तक 7 लाख से अधिक यात्रियों ने किया सफर
इस योजना के तहत साल 2012 से 2020 तक 7 लाख 45 हजार से अधिक लोगों को यात्रा कराई जा चुकी है। अब तक प्रदेश में करीब 747 ट्रेनों का संचालन किया गया है. इसमें सरकार की ओर से यात्रियों को आवास, चाय, नाश्ता, भोजन के साथ, फलाहार की व्यवस्था भी कराई जाती है। वहीं 1 चिकित्सक एवं सहायक (दवाइयों सहित )की व्यवस्था भी पहती है. पैकेज में आॅन बोर्ड एवं आॅफ बोर्ड पर भोजन, सड़क परिवहन बजट, आवास टूर सम्मिलित हैं।
अफसर खड़ी कर रहे अड़चन
दो साल के अंतराल के बाद जब यात्रा शुरू हुई तो प्रदेशभर के बुजुर्गों को तीर्थ दर्शन की आस जगी थी। लेकिन अचानक यात्रा रूक गई है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि मंत्री ने दो बार इस मामले पर फाइल भी चलाई लेकिन कोई न कोई अड़चन बताकर अड़ंगा लगा दिया गया। धर्मस्व विभाग ट्रेनों के प्रस्ताव आईआरसीटीसी को भेजता है। उसके बाद कार्यक्रम तय होते ही जिलों में तीर्थ यात्रियों का चयन होता है। फिलहाल ट्रेनों को चलाने की योजना के संबंध में विभाग की ओर से कोई नई जानकारी नहीं दी गई। प्रदेश में अब चुनावी आचार संहिता भी लागू हो गई है लेकिन पुरानी योजना को जारी रखने के लिए विभाग औपचारिक रूप से चुनाव आयोग की अनुमति ले लेता है।
 2012 में शुरू की गई थी तीर्थ दर्शन योजना
मध्य प्रदेश में अगस्त 2012 में  मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को शुरू किया गया था। यह अपने तरह की पहली और अनूठी तीर्थ दर्शन योजना थी, जिसके जरिए प्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों को तीर्थ स्थलों की यात्रा सरकार द्वारा नि:शुल्क कराई जाती थी। तीर्थ यात्रा करने वाले यात्रियों को सरकार विभिन्न सुविधाएं जैसे रुकने की व्यवस्था, खाने-पीने की व्यवस्था और स्टेशन आने-जाने की सुविधा देती है। इस योजना के तहत पहली ट्रेन 3 सितम्बर, 2012 को भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन ( वर्तमान नाम कमलापति रेलवे स्टेशन) से शुरू हुई थी, जो कि रामेश्वरम के लिए रवाना की गई थी।
इस बार ये तीर्थ स्थल हैं शामिल
तीर्थ दर्शन योजना के तहत दो प्रकार के तीर्थ स्थलों का चयन किया गया है। इनमें एकल तीर्थ स्थल और दोहरे तीर्थ स्थलों को शामिल किया गया है। एकल तीर्थ स्थल में बद्रीनाथ,  केदारनाथ,  जगन्नाथपुरी, द्वारकापुरी, हरिद्वार, अमरनाथ, वैष्णो देवी, शिर्डी, तिरूपति, अजमेर शरीफ, काशी (वाराणसी), गया, अमृतसर, रामेश्वरम, सम्मेद शिखर, श्रवणबेलगोला, वेलांगणी चर्च (नागापटटनम तमिलनाडू), गंगा सागर, कामाख्या देवी, गिरनार जी, पटना साहिब, तख्त सचखंड हजूर साहिब (नांदेड़), केशगढ़ साहिब (आनंदपुर पंजाब), दमदमा साहिब (बठिंडा, पंजाब), पोंटा साहिब (सिरमौर हिमाचल प्रदेश), मणिकर्ण (हिमाचल प्रदेश), रामदेवरा, जेसलमेर (राजस्थान), उज्जैन, श्रीरामराजा मंदिर, ओरछा, चित्रकूट, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मुडवरा, करतारपुर साहिब (पाकिस्तान), अयोध्या (उ.प्र.), संत बालानाथ जी महाराज की जन्म एवं निर्वाण स्थली ग्राम मंडावरी, जिला दौसा (राजस्थान) के नाम शामिल हैं। वहीं  दोहरे तीर्थ स्थल में रामेश्वरम – मदुरई, तिरुपति श्रीकालहस्ती, द्वारका – सोमनाथ, पुरी – गंगासागर हरिद्वार – ऋषिकेश, अमृतसर- वैष्णो देवी, काशी – गया, काशी – अयोध्या तीर्थ स्थान के नाम शामिल हैं।

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