सरकार में थकेलों को… उपकृत करने का उपक्रम

उपक्रम

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन चुका है, जिसमें युवाओं को सरकार ने नौकरी देने की जगह सेवानिवृत्त हो चुके अफसरों व कर्मचारियों का पुर्नवास करना प्राथमिकता बना लिया गया है। यही वजह है कि हर साल प्रदेश में हजारों युवा सरकारी नौकरी का इंतजार करते हुए भर्ती आयु सीमा को पार कर जाते हैं। इसके बाद भी सरकार की रुचि लंबे समय से रिक्त चल रहे पदों पर युवाओं की भर्ती में नहीं है। खास बात यह है कि इसके बाद भी सरकार व उसके आला अफसरान अपने चहेते रिटायर्ड होने वाले अफसरों का पुर्नवास करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं और मौका मिलते ही उनके लिए नए अवसरों की खोज करने में लग जाते हैं। यह वे अफसर होते हैं जो उम्र के चौथे पड़ाव में होने की वजह से पूरी तरह से थकेले हो चुके होते हैं।
दरअसल सरकार में अफसरशाही हावी होने की वजह से रिटायर्ड होने वाले अफसरों का  सरकारी वेतन और सुविधाओं का मोह ही नहीं छूट पाता है। यही वजह है कि उनके द्वारा अपने पुर्नवास के लिए रिटायर होने से पहले ही पूरा खाका तैयार करा लिया जाता है। फिर भले ही नियमों में परिवर्तन क्यों न कराना पड़े। शायद सरकार भी उनके लिए नियमों में परिवर्तन करने में खुद को गौरान्वित महसूस करती है। इसी तरह का अब एक नया मामला मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ कारपोरेशन का सामने आ रहा है। इसमें युक्तियुक्तकरण के नाम पर पदों का नया सेटअप तैयार कर लिया गया है। यह पूरी कवायद एक अफसर को उपकृत करने की अभी से तैयारी के तहत की गई है। खास बात यह है कि इस नए सेटअप को स्वास्थ्य मंत्री द्वारा भी मंजूरी दे दी गई है। अब इस पर कैबिनेट की मुहर लगना बाकी है। इसके लिए भी विभाग स्तर पर पूरी तैयारी की जा रही है। दरअसल इस संस्थान का गठन कंपनी अधिनियम 1956 के तहत किया गया था। यह संस्थान लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत आता है। इसका उद्देश्य प्रदेश में औषधि, सामग्री एवं उपकरण के उपार्जन को सुदृढ़ करना है। निगम की मुख्य आय का स्रोत क्रय की गई सामग्री का तीन प्रतिशत सर्विस चार्ज है। इसी से निगम के कर्मचारियों की सेलरी समेत अन्य खर्च चलते है। वर्ष  2018-19 में इसे कम कर डेढ़ फीसदी किया जा चुका है, जिससे कारपोरेशन की आय में कमी आयी है।
अभी इस कारपोरेशन में मुख्यालय में साठ पद और संभागीय स्तर पर 264 पद स्वीकृत हैं। अब नए सेटअप की वजह से अफसरों के साथ ही कर्मचरियों की संख्या बढ़ जाएगी जिसकी वजह से कारपोरेशन पर करीब पौने दो करोड़ का अधिक भार बढ़ जाएगा।
अब नौ करोड़ से अधिक का आएगा भार
नए सेटअप के अनुसार कर्मचारियों व सेवा निवृत्त अफसरों की सेवाएं लेने की वजह से निगम को उनके वेतन भत्तों और सुविधाओं पर हर साल अतिरिक्त रुप से एक करोड़ 67 लाख रुपए खर्च करने होंगे। अभी मौजूद अमले के वेतन, भत्तों पर 7 करोड़ 47 लाख रुपए खर्च आता है। खास बात यह है कि तैयार किए गए नए सेटअप में अधिकारियों के वेतन में वृद्धि करना भी शामिल है। यही नहीं इसमें मुख्यालय के लिए पदों में भी वृद्धि की गई है। इसकी वजह से नए सेटअप में वेतन और अन्य भत्तों पर 9 करोड़ 14 लाख रुपए का खर्च आएगा। खास बात यह है कि कारपोरेशन के गठन के बाद यहां एक भी नियुक्ति नियमित पद पर नहीं की गई है। चहेतों का उपकृत करने के लिए इसमें पूरा अमला प्रतिनियुक्ति, संविदा और आउटसोर्स से ही तैनात किया गया है। हद तो यह है कि नए सेटअप में प्रशासनिक शाखा में 23 पदों का प्रस्ताव है। इसमें प्रबंध संचालक के बाद दूसरा पद मुख्य वित्तीय अधिकारी, संचालक प्रशासन का है। इस पद का वेतन एमडी के बराबर करने का प्रस्ताव बनाया गया है। फिलहाल एमडी का वेतन 1 लाख 78 हजार 250 रुपए है। यही वेतन मुख्य वित्तीय अधिकारी और संचालक प्रशासन के लिए तय किया गया है। इस पद पर पदस्थ करने के लिए राज्य वित्त सेवा से प्रतिनियुक्ति अथवा संविदा पर अधिकारी की नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार किया गया है। राज्य वित्त सेवा में इस कैडर के कई अधिकारी मौजूद होने के बाद भी उसके लिए संविदा का प्रावधान किए जाने की वजह से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस प्रावधान की वजह है एक पूर्व अफसर को उपकृत करने की तैयारी है। दरअसल यह अफसर अभी एनएचएम और कारपोरेशन में संचालक के पद पर पदस्थ हैं, लेकिन वे चार माह बाद जुलाई में रिटायर हो रहे हैं, उनके पुर्नवास के लिए ही यह प्रावधान किया गया है। इसी तरह से मुख्य महाप्रबंधक तकनीकी के एक पद में भी वृद्धि करने का प्रस्ताव है, जिस पर भी एक रिटायर अफसर के पुर्नवास की योजना है।
इसके लिए तैयार की गई युक्तियुक्तकरण की संक्षेपिका में तर्क दिया गया है कि संशोधित कंपनी अधिनियम में ऐसी शासकीय कंपनी में जिनका पेड अप शेयर कैपिटल दस करोड़ या अधिक हो उनके लिए चीफ फाइनेंस आॅफिसर और कंपनी सेकेट्री की पदस्थापना अनिवार्य है। वर्तमान सेटअप में दोनों पद स्वीकृत नहीं हैं। इसमें भी खास बात यह है कि नए सेटअप में कंपनी सेकेट्री पद का उल्लेख तक नहीं किया गया है।  
उपकृत करने के लिए की जाती हैं यह व्यवस्थाएं
एक तरफ सरकार और उसका स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों के लिए बजट का रोना रोता रहता है, तो दूसरी तरफ हेल्थ कारपोरेशन का गठन कर उस पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च करता है। इसके जिम्मे जो सेन्ट्रलाइज व्यवस्था है उसमें भी भ्रष्टाचार की संभावना अधिक रहती है। इसकी वजह से यह माना जाता है कि विभिन्न विभागों में कारपोरेशन का गठन सेवानिवृत्तों और थकेले अफसरों को उपकृत करने के उद्देश्य से ही किया जाता है। इसका उदाहरण नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण,  अर्बन डेवलपमेंट कंपनी सहित कई विभागों द्वारा बनाई गई कंपनियां हैं।

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